छतरपुर। ''कौन कहता है आसाम में सुराख नहीं हो सकता है, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों.'' महान कवि दुष्यंत कुमार की कविता को चरितार्थ किया है छतरपुर जिले के एक छोटे से गांव कूंड़ के किसान ने. कूंड़ गांव के किसान ने सूखे से परेशान होकर आठ साल की कड़ी मेहनत से एक-एक पत्थर एकत्र कर धंसान नदी के ऊपर किसी भी शासकीय मदद के बिना ही बांध बना दिया है. बांध बनने से अब नदी में हर समय जल भराव रहता है. जिस कारण से किसान की 10 बीघा कृषि भूमि तो सिंचित हो ही रही है. साथ ही साथ आसपास के किसान 100 बीघा के लगभग जमीन पर अब बाकी फसलों के साथ साथ सब्जी और फूलों को खेती कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रहे हैं.
सूखे के चलते खराब हो जाती थी फसल: नौगांव जनपद के आखिरी गांव बंछौरा से लगे हुए कूंड़ गांव के 65 वर्षीय किसान नत्थू कुशवाहा और उनके परिवार की जीवकोपार्जन का एक मात्र साधन खेती ही है. लेकिन खेती में पानी की कमी होने के चलते हमेशा सूखे की स्थिति निर्मित होने से फसल सूख कर खराब हो जाती थी. वो भी तक जब उनके खेतों के किनारे से बुंदेलखंड क्षेत्र की प्रमुख जीवनदायनी धसान नदी बहती है, इसके बावजूद भी वह कुछ नहीं कर पाते थे. कई बार उन्होंने शासन प्रशासन से नदी पर बांध बनाने सहित अन्य मुद्दों को लेकर ज्ञापन दिए, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला.
8 साल की मेहनत में कर दिखाया कमाल: किसान नत्थू कुशवाहा ने थक हार कर स्वयं ही नदी पर बांध बनाने का दृढ़ निश्चय किया. परिवार के लोगों ने उनका मनोबल तोड़ दिया की तुम नहीं कर पाओगे. लेकिन वह नहीं माने और अपने संकल्प में लगे गए. सन 2014 में उन्होंने धसान नदी पर बांध बनाना शुरू किया. गांव में, खेत किनारे, नदी पर जहां कहीं उन्हें पत्थर मिलते एक-एक पत्थर को सहेज कर नदी के बांध में लगाने लगे. एक बार बांध का कार्य लगभग पूरा हो चुका था, लेकिन नदी में आई तेज धार के चलते बांध भसक गया. जिसके बाद वह दुगनी मेहनत और संकल्प के साथ बंधान बनाने में लग गए. इस तरह लगभग 8 साल की कड़ी मेहनत के बाद किसान नत्थू कुशवाहा ने अकेले अपने दम पर परिवार एवं गांव वालों को गलत साबित कर बांध खड़ा कर दिया. बांध बनने से कूंड़ गांव से बहने वाली नदी जो हमेशा सूखी रहती थी उसमें अब हर समय जल भराव रहता है.
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फसलों के साथ सब्जी एवं फूलों की खेती: बांध से किसान नत्थू कुशवाहा की लगभग 10 बीघा जमीन को फसल के लिए अब पर्याप्त पानी है. पानी होने के कारण किसान नत्थू कुशवाहा अपनी फसल के साथ सब्जी आदि की खेती भी कर रहा है. तो वहीं, नत्थू कुशवाहा के खेतों से लगी अन्य किसानों की भी लगभग 100 बीघा जमीन को फायदा हुआ है. जिसमें किसान रेगुलर फसलों के अलावा फूलों और सब्जी की खेती करके अपने परिवार को आर्थिक रूप से सक्षम कर आत्मनिर्भर बना रहे हैं.