50 हजार साल बाद लौट आया धूमकेतु, 1 फरवरी को आसमान में दिखेगा अद्भुत नजारा

50 हजार साल बाद लौट आया धूमकेतु, 1 फरवरी को आसमान में दिखेगा अद्भुत नजारा
वैज्ञानिकों ने एक धूमकेतु को खोजा है, जो पृथ्वी से बहुत करीब है, धूमकेतु 1 फरवरी को पृथ्वी के पास से गुजरेगा तो यह लगभग उतना ही चमकीला होगा जितना कि रात के आकाश में सबसे मंद तारे होते हैं. चमकीला धुंधलापन होगा जो पूर्णिमा के रूप से बड़े क्षेत्र में अपना प्रकाश फैला सकता है. वैज्ञानिक इस धूमकेतु को लेकर बेहद उत्साहित हैं.
भोपाल। खगोलीय घटनाओं में एक अद्भुत नजारा देखने को मिला है (Comet reached close to Earth). हाल ही में एक हरा धूमकेतु खोजा गया है, जिसकी पृथ्वी से अंतिम यात्रा हजारों साल पहले हुई थी, आने वाले हफ्तों में नीले ग्रह के पास से अपनी अगली यात्रा करेगा. कैलिफोर्निया की ज्विकी ट्रांसजिएंट फैसिलिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले साल दक्षिणी कैलिफोर्निया में खोजा गया C/2022 E3, 1 फरवरी को शाम 6:11 बजे पृथ्वी के अपने निकटतम बिंदु पर पहुंच जाएगा.
42 मिलियन किलोमीटर दूर है धूमकेतु: अपने हरे रंग के लिए सुर्खियों में आया दुर्लभ धूमकेतु अभी भी पृथ्वी से लगभग 42 मिलियन किलोमीटर दूर है और इसे देखने के लिए स्टारगेज़र्स को दूरबीन या एक छोटी दूरबीन की आवश्यकता होगी. यह टोरंटो में सूर्योदय से ठीक पहले तारामंडल कोरोना बोरेलिस से गुजरेगा. 1 फरवरी इसे देखने के लिए सबसे अच्छा दिन होगा. अभी इस धूमकेतु को देखने के लिए निश्चित रूप से अच्छी दूरबीन या एक छोटी दूरबीन की आवश्यकता है, लेकिन महीने के अंत में इसे नग्न आंखों से देखना संभव हो सकता है. यह स्टारगेज़र्स और खगोल विज्ञान के प्रति उत्साही लोगों के लिए जीवन भर में एक बार ऐसा धूमकेतु देखने का अवसर है, जिसे 50,000 वर्षों से मानव आंखों द्वारा नहीं देखा गया है.
1 फरवरी को पहुंचेगा पृथ्वी के करीब: 26 और 27 जनवरी की रात को धूमकेतु में दिखाई दे सकता है, 1 फरवरी तक जब धूमकेतु पृथ्वी के सबसे करीब पहुंचता है, तो यह नक्षत्र कैमलोपार्डालिस के पास दिखाई देगा. कुछ दिनों बाद, 5 और 6 फरवरी को, धूमकेतु रात के आकाश में कैपेला तारे के पश्चिम में गुजरेगा और फिर नक्षत्र औरिगा में प्रवेश करता प्रतीत होगा. वहां से यह वृष की ओर उतरेगा, पृथ्वी से दूर जाने के साथ-साथ सौर मंडल के किनारे की ओर वापस जाता हुआ हमेशा धुंधला होता जाएगा.
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उसके बाद दोबारा नहीं मिलेगा देखने का मौका: रिपोर्ट के मुताबिक, धूमकेतु एक परवलयिक कक्षा में घूम रहा है, जिसका अर्थ है कि यह हमारे सौर मंडल से बंधा नहीं है और इसके पास फिर कभी आने की संभावना नहीं है. यह संभव है कि किसी अज्ञात गहरे अंतरिक्ष वस्तु का गुरुत्वाकर्षण धूमकेतु की कक्षा को थोड़ा बदल सकता है, इसे हमारे सौर मंडल के माध्यम से चलने वाले मार्ग पर वापस ला सकता है.
क्या होते हैं धूमकेतु: यह सौरमण्डलीय निकाय है जो पत्थर, धूल, बर्फ और गैस के बने हुए छोटे-छोटे खण्ड होते हैं. यह ग्रहों के समान सूर्य की परिक्रमा करते हैं, सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हुए ये सूर्य के करीब आ जाते हैं और गर्म होकर चमकने लगते हैं. छोटे पथ वाले धूमकेतु सूर्य की परिक्रमा एक अण्डाकार पथ में लगभग 6 से 200 वर्ष में पूरी करते हैं, कुछ धूमकेतु मात्र एक बार ही दिखाई देते हैं, लम्बे पथ वाले धूमकेतु एक परिक्रमा करने में हजारों वर्ष लगाते हैं. अधिकतर धूमकेतु बर्फ, कार्बन डाईऑक्साइड, मीथेन, अमोनिया तथा अन्य पदार्थ जैसे सिलिकेट और कार्बनिक मिश्रण के बने होते हैं.
क्यों अलग है ग्रीन धूमकेतु: भारत के लद्दाख में स्थित हिमालयन चंद्र टेलीस्कोप ने धूमकेतु की पहली फोटो खींची है, जिसे बेंगलुरू का इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स संचालित करता है. धरती के करीब पहुंचने पर जब गर्माहट बढ़ी तो चमकते हुए दिखाई दिया, सूर्य के नजदीक आते ही इसके अंदर मौजूद बर्फ वाला हिस्सा तेजी से पिछलने लगा, इसलिए इसे डर्टी स्नोबॉल माना गया. रिपोर्ट के अनुसार यह धूमकेतु करीब 50 हजार साल पुराना है.
