Exclusive: मध्यप्रदेश में कोरोना वैक्सीन का ट्रायल शुरू, भोपाल में शिक्षक को दिया गया पहला डोज

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Published : Nov 27, 2020, 4:15 PM IST

Updated : Nov 27, 2020, 5:55 PM IST

Corona vaccine trial started

मध्यप्रदेश में कोवैक्सीन के थर्ड फेस का ट्रायल भोपाल के पीपुल्स अस्पताल में शुरू हो गया है. भोपाल के पटेल नगर निवासी एक शिक्षक को कोवैक्सीन की पहली डोज दी गई है. वैक्सीन दोपहर पौने तीन बजे लगाई गई. वॉलेंटियर की स्थिति सामान्य बताई जा रही है.

भोपाल। 'कोवैक्सीन' के थर्ड स्टेज का क्लीनिकल ट्रायल शुक्रवार से भोपाल के पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में शुरू हुआ. इसके लिए भारत बायोटेक ने कॉलेज को अपनी कोवैक्सीन के एक हजार डोज भेजे हैं. पहला टीका 46 साल के एक शिक्षक को दिया गया है. वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन अब भी जारी है. जिन वॉलेंटियर्स को ये टीका लगेगा उन्हें बाद में बूस्टर डोज 28 दिनों के बाद दिया जाएगा. कोरोना वैक्सीन इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च आईसीएमआर और भारत बायोटेक इंटरनेशनल द्वारा विकसित की गई है. ये पहली स्वदेशी वैक्सीन है. कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के पहले दिन वॉलेन्टियर बने 46 वर्षीय शिक्षक के अलावा 100 और लोगों को भी टीका लगाया जाएगा. काउंसलिंग के बाद ही सभी वॉलेंटियर को टीका लगाया जा रहा है. साथ ही उन्हें 750 रुपए भी दिए जाएंगे.

First Volunteer
फर्स्ट वॉलेंटियर

पहले दिन 10 लोगों ने कराया रजिस्ट्रेशन

देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को कोरोना वैक्सीन का इंतजार है. राजधानी भोपाल में थर्ड फेज के ट्रायल में शामिल लोगों का कहना है कि ये गर्व की बात है वो इसमें शामिल हो रहे हैं. यह वैक्सीन भारत मे तैयार की गई है. राजधानी में इसके ट्रायल को लेकर काफी उत्सुकता है. पीपुल्स अस्पताल के डीन ने बताया कि अस्पताल में 3 दिन पहले ये वैक्सीन आई है. जिसका ट्रायल आज से शुरू हुआ. इसमें जिन वॉलेंटियर्स की काउंसलिंग की जा रही है, उन्हें ही टीका लगेगा और निगरानी में रखा जाएगा. कुल एक हजार वैक्सीन के डोज अस्पताल को मिले हैं. पहले डोज के 28 दिन बाद दूसरा डोज दिया जाएगा. ट्रायल में किसी भी हेल्थ वर्कर्स को ये टीका नहीं लगाया जाएगा, क्योंकि इन्हें कोविड के एक्सपोजर का खतरा दूसरे वालेंटियर से ज्यादा है.

कोरोना वैक्सीन का ट्रायल शुरू

गर्भवती महिलाओं को नहीं लगेंगे टीके

मेडिकल अस्पताल के अधीक्षक आलोक कुलश्रेष्ठ ने बताया कि आज से 28 दिन तक यह ट्रायल चलेगा. जिस वॉलेंटियर को कोई बीमारी पहले से ना हो उसे ही टीका लगाया जाएगा. गर्भवती महिलाओं को वॉलेंटियर नहीं बनाया जाएगा. इसमें 18 साल से लेकर और 99 तक के एज ग्रुप के लोग ही शामिल हो सकेंगे. अगले 10 दिन तक वैक्सीन ट्रायल में 2 से 3 हजार लोगों शामिल किया जाएगा. बाद में उनकी जांच भी होगी. जिन वॉलेंटियर को वैक्सीन की डोज दी जा रही है, उनमें भोपाल के बड़े कारोबारी दंपति भी शामिल हैं.

अनिल कुमार दीक्षित

वैक्सीन की पहली डोज के बाद ईटीवी भारत से क्या बोले टीचर

शिक्षक को वैक्सीन की पहली डोज आज पौने तीन बजे लगाई गई. वैक्सीन लगने से पहले शिक्षक का RTPCR टेस्ट हुआ. वॉलेंटियर ने डॉक्टर्स और नर्स को बताया कि उसे किसी किस्म की कोई तकलीफ महसूस नहीं हो रही. इस ट्रायल में हर वर्ग और 18 साल के ऊपर अलग-अलग एज ग्रुप के लोगों को शामिल किया गया है. जिसमें किसान, कारोबारी, छात्र और बुजुर्ग भी शामिल हैं. डोज लगने के बाद ईटीवी भारत से वॉलेंटियर ने कहा कि वो सामान्य है और उसे गर्व है कि वो वैक्सीन के थर्ड फेज के ट्रायल का हिस्सा बना.

आलोक कुलश्रेष्ठ

गांधी मेडिकल कॉलेज में भी ट्रायल हो सकता शुरू

गांधी मेडिकल कॉलेज में ट्रायल अगले हफ्ते शुरू हो सकता है. जीएमसी प्रबंधन ने इसके लिए संस्थान में नई साइट तैयार की है. इसके दस्तावेज इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च को भेज दिए हैं. हालांकि अभी संबंध में ऑफिशयल जानकारी सामने नहीं आई है.

वैक्सीन का ट्रायल अंतिम चरण में

देश में कोरोना वायरस से 89 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं. 1 लाख 31 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई है. राहत भरी खबर आज भोपाल ने देश को दी है. जहां कोरोना वैक्सीन का ट्रायल अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है. उम्मीद है कि जल्द ही यह सभी लोगों के पास उपलब्ध होगी.

कोरोना वैक्सीन के स्टोरेज की चुनौती

प्रदेश में कोरोना वैक्सीन के स्टोरेज की चुनौती अब भी बनी हुई है. स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक यहां वैक्सीन के 4 करोड़ डोज को माइनस 2 से माइनस 8 डिग्री सेल्सियस तापमान में स्टोर करने की क्षमता है, लेकिन जरूरत 6 से 7 करोड़ डोज की है. ऐसे में वैक्सीन स्टोरेज की समस्या हो सकती है. इस कमी को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने पांच वॉकिंग फ्रीजर और इतने ही कोल्ड रूम मध्यप्रदेश को देने की बात कही है. इसमें प्रत्येक के अंदर 25 से 30 लाख डोज रखी जा सकती है.

इन शहरों में फ्रीजर की व्यवस्था

एमपी में 12 वॉकिंग कूलर या फ्रीजर हैं. ये भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर में हैं. इनमें लिक्विड या ड्राई वैक्सीन रख सकते हैं और माइनस 20 डिग्री तक तापमान रहता है. पांच हजार आइस लाइन रेफ्रिजरेटर और डीप फ्रीजर की व्यवस्था की जा रही है.

आम लोगों तक कैसे पहुंचेगी वैक्सीन

टीकाकरण के लिए प्रदेश में हजारों सेंटर खोले जाएंगे, जिनमें फ्रंट लाइन वर्कर, 60-65 साल से अधिक के बुजुर्गों और बच्चों का पहले पंजीयन होगा. फिर टीकाकरण किया जाएगा. सभी को उनके मोबाइल पर मैसेज भेजकर टीकाकरण की तारीख व समय बता दिया जाएगा. एक डोज लगने के बाद तय पीरियड के अनुसार उसे 28-30 दिन बाद दोबारा दूसरे डोज के लिए बुलाया जाएगा.

Last Updated :Nov 27, 2020, 5:55 PM IST
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