भोपाल। स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत भोपाल में बनाए गए टॉयलेट में बड़ा घोटाला उजागर हुआ है. भोपाल को ओडीएफ घोषित करने के लिए 4 साल में शहर की बस्तियों में 20 हजार से अधिक टॉयलेट बनाए गए हैं. लेकिन अब खुलासा हुआ है कि हजारों घरों में टॉयलेट बने ही नहीं. टॉयलेट के नाम पर लाखों रुपए की राशि निकाल ली गई.
कागजों पर बने शौचालय
मामले का खुलासा सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने पर हुआ है. आरटीआई के तहत नगर निगम ने भोपाल के वार्ड 25 के संजय नगर में 66 लोगों के घर टॉयलेट बनाने की जानकारी दी. लेकिन मौके पर पड़ताल की गई तो खुलासा हुआ कि 66 में से 11 लोगों के घर टॉयलेट बने ही नहीं हैं. वहीं अन्य दो लोगों के घर पर टॉयलेट बनाने के नाम पर खानापूर्ति की गई है. टॉयलेट निर्माण के लिए इन दोनों हितग्राहियों से राशि ले ली गई. नगर निगम ने भी टॉयलेट निर्माण के लिए ठेकेदार को पूरी 66 टॉयलेट का का भुगतान किया.
हितग्राहियों के दस्तावेज भी लिए
सालों तक इंतजार के बाद भी टॉयलेट नहीं बने, तो इन 11 लोगों में से कुछ लोगों ने हाल ही में खुद के पैसों से टॉयलेट का निर्माण कराया है. हितग्राहियों का कहना है कि कुछ अधिकारी आए थे, उन्होंने शौचालय बनाने की बात भी कही.आधार कार्ड, पहचान पत्र और अन्य दस्तावेज लेकर गए. लेकिन कभी लौटकर नहीं आए. अब सामने आ रहा है कि इन्हीं दस्तावेजों के दम पर पूरा घोटाले को अंजाम दिया गया है.
कमिश्नर ने दिए जांच के आदेश
मामले की शिकायत पहुंचने पर नगर निगम कमिश्नर ने जांच के आदेश जारी किए हैं. कमिश्नर का कहना है कि टॉयलेट निर्माण का काम लंबे समय से चल रहा है. ऐसे में जांच के बाद ही इस संबंध में कुछ कहा जा सकेगा.
20 हजार शौचालय बनाने का दावा
स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत भोपाल को ओडीएफ घोषित करने के लिए 2016 में शहर की बस्तियों में 20 हजार से अधिक टॉयलेट निर्माण कराने का फैसला लिया गया था. टॉयलेट निर्माण के लिए 13 हजार 600 रुपए सरकारी मदद से जारी हुए.जबकि 1360 रुपए लोगों से लिए गए थे. नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार तब से लेकर अब तक 20 हजार से अधिक टॉयलेट बनकर तैयार हो चुके हैं.
इनके नाम से निकाले गए पैसे
भोपाल के बाणगंगा संजय नगर में 66 लोगों के नाम पर शौचालय के पैसे निकाले गए हैं. लेकिन इनमें से 11 लोगों के घर टॉयलेट ही नहीं बना. इनमें दुर्गा प्रसाद,हीरा बाई,प्यारे, किशन , चित्रा बाई, बलि ,संतोष अनवर, लीलाबाई,सुमन, गीताबाई शामिल हैं.
पहले भी हो चुका घोटाला
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में यह हाल है, तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि दूसरे शहर और गांव में किस तरह से शौचालय का निर्माण हुआ होगा.बता दें नगर निगम ने टॉयलेट बनाने के नाम पर रेडिमेड टॉयलेट भी खरीद कर शहर में लगाए थे. उस समय रेडीमेड टॉयलेट खरीदी में भी ऊंचे दाम पर टॉयलेट खरीदने का घोटाला उजागर हुआ था.