950 करोड़ के टेंडर विवाद में उलझी मेघा इंजीनियरिंग (MEIL) को फिर NVDA का 3000 करोड़ का टेंडर!

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Published : Nov 10, 2021, 8:03 PM IST

NVDA

जिन कंपनियों ने 400 और 550 करोड़ के टेंडर वाले काम समय पर नहीं पूरे किए, जिनपर 95 करोड़ की पैनाल्टी लगी और जिसने मध्य प्रदेश सरकार को ही ट्रिब्यूनल में खड़ा कर दिया उन्हें हजारों करोड़ का टेंडर देने की तैयारी में है नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण. 950 करोड़ के टेंडर विवाद में उलझी मेघा इंजीनियरिंग (MEIL) को फिर NVDA का 3000 करोड़ का टेंडर देने के संकेत पर सवाल उठ रहे हैं.

भोपाल। जो कंपनी ज्वाइंट वेंचर में भी मात्र 400 और 550 करोड़ रुपए के दो काम समय में नहीं कर पाई, जिस पर दो मामलों में 40 करोड़ और 55 करोड़ रुपए की पैनाल्टी लगी हो और जिसने मध्यप्रदेश सरकार को ही ट्रिब्यूनल में खड़ा कर दिया हो, नर्मदा विकास प्राधिकरण उसी कंपनी को फिर से 3 हजार करोड़ का टेंडर अवार्ड करने जा रही है. 950 करोड़ के टेंडर विवाद में उलझी मेघा इंजीनियरिंग (MEIL) को फिर NVDA का 3000 करोड़ का टेंडर दिए जाने की खबरों के बीच सवाल उठने लगे हैं.

आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल में विचाराधीन है मामला

हाल ही में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (NVDA) ने नर्मदा की दो परियोजनाओं चिंकी बैराज और सनबर खरगौन की दो परियोजनाओं के टेंडर जारी किए थे. अपने शुरूआती समय से ही विवादों में रहा यह टेंडर फिर से उन्हीं कंपनियों को दिए जा रहे हैं, जिनका खुलासा ईटीवी भारत ने अपनी पिछली रिपोर्ट में किया था. विवादास्पद कंपनी का मामला अभी आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल में विचाराधीन है. इन मामलों में 25 नवंबर और 20 दिसंबर 2021 को अगली सुनवाई होनी है.

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40.28 करोड़ की पैनाल्टी, बैंक गारंटी भी जब्त
नर्मदा विकास प्राधिकरण (NVDA) ने 2013 में टर्नकी बेसिस पर अपर नर्मदा प्रोजेक्ट डिंडोरी का काम हैदराबाद की मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) और प्रसाद एंड कंपनी लिमिटेड के ज्वाइंट वेंचर मेल-प्रसाद को दिया गया था. 402.80 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट की समय सीमा 36 महीने निर्धारित की गई थी. यानी यह प्रोजेक्ट 18 मार्च 2018 को समाप्त होना था, लेकिन समय सीमा में काम पूरा न किए जाने के चलते नर्मदा विकास प्राधिकरण ने अनुबंध की धारा 115.1 के अनुसार कंपनी पर 40.28 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगाई थी. साथ ही धारा 113-6 ई-आई के तहत मोबिलाईजेशन एडवांस पर ब्याज भी लगाया था. मुख्य अभियंता (Chief Engineer) ने 20 जून 2016 को अनुबंध की धारा 32 एक के अनुसार अनुबंध को खत्म कर दिया था और परफाॅरमेंस बैंक गारंटी को जब्त कर लिया था. इसके खिलाफ ठेकेदार ने प्राधिकरण के समक्ष 06 जून 2016 को अपील की थी. अपील में ठेकेदार ने लगाई गई पेनाल्टी को वापस लेने और यदि कॉन्ट्रैक्ट निरस्त किया जाता है तो परफाॅरमेंस बैंक गारंटी वापस करने के निर्देश दिए जाने की अपील की थी, लेकिन प्राधिकरण ने सर्वेक्षण एवं भू-अर्जन के काम में देरी के लिए ठेकेदार को दोषी मानते हुए अपील को खारिज कर दिया. फिलहाल मामला आर्बिटेªशन ट्रिब्यूनल में आरसी 58/2017 विचाराधीन है. मामले में अगले सुनवाई 25 नवंबर को होनी है.

दूसरे मामले में 55 करोड़ की पैनाल्टी
खरगौर में लिफ्ट इरीगेशन परियोजना के तहत 28 मार्च 2011 को नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (NVDA) से मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) व केबीए के ज्वाइंटर वेंचर ने अनुबंध किया था. यह प्रोजेक्ट 550 करोड़ रुपए का था और अंतिम रूप से इसे 2014 में पूरा होना था, लेकिन बाद में इसकी तीन बार समय अवधि बढ़ाते हुए 30 जून 2017 तक पूर्ण करने पर सहमति हुई थी. बताया जाता है कि कंपनी समय अवधि में काम पूरा नहीं कर सकी. इस पर नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने कंपनी पर 55 करोड़ रुपए की पैनाल्टी अधिरोपित की. यह मामला भी आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल में पिटिशन क्रमांक 119/2016 विचाराधीन है. मामले की अंतिम सुनवाई 20 दिसंबर 2021 को नियत है.

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अधिकारियों की जुबां पर ताला
इन दोनों मामलों में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (NVDA) के दो सदस्यों से ईटीवी भारत ने बात की तो सधी जुबान में उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर कर दी. मेंबर टेक्नीकल राजीव सुकलीकर ने फोन पर कहा कि उन्हें इन मामलों की जानकारी नहीं है. उनसे जब पूछा गया कि कब तक जानकारी दे पाएंगे तो उन्होंने कहा कि इस बारे में कुछ नहीं कह सकते. वहीं एक अन्य सदस्य आर के सिंहल ने कहा कि यह मामले उनके संज्ञान में नहीं है, साथ ही टेक्नीकल वालों से बात करने की सलाह दे डाली. उधर इस संबंध में एनवीडीए के उपाध्यक्ष आईपीसी केशरी से उनका पक्ष जानने के लिए जब फोन पर बात की तो उन्होंने कहा कि ऑफिस आइए फिर बात करेंगे. इस संबंध में मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रस्ट्रक्चर लिमिटेड के एमडी पीव्ही कृष्ण रेड्डी और नितिन रामचंदानी से फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन दोनों ने काॅल अटेंड नहीं किया और न ही कोई जवाब आया.

ईटीवी भारत के पास मौजूद हैं दस्तावेज
मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) एंड प्रसाद एंड कंपनी ज्वाइंटर वेंचर द्वारा डिंडोरी में लिए गए टेंडर एवं मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) एंड केबीए ज्वाइंट वेंचर द्वारा खरगौन में लिए गए टेंडरों के विवाद के कुछ खास दस्तावेज ईटीवी भारत के पास मौजूद हैं।

टेंडर नया- पार्टियां पुरानी
मामला उन्हीं दो टेंडरों का है, जिनको लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा(Home Minister Narottam Mishra) में तनातनी हो गई थी. तकनीकी आधार पर इन टेंडरों को निरस्त कर दिया गया था और फिर से निविदाएं बुलाई थी, लेकिन इस बार भी उन्हीं कंपनियों को उपकृत किए जाने के संकेत मिले हैं, जिन्हें पिछली बार टेंडर मिले थे. ये पूरा मामला 8393 करोड़ की दो परियोजनाओं का है. और दवाब की इंतहा यह है कि इस बार भी उन्हीं तीन कंपनियों के अलावा किसी अन्य ने टेंडर में भागीदारी नहीं की है.

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