कोरोना का 'वाहक' का बन जाए रेलवे: 'मेमू' के संचालन से स्टेशन और ट्रेनों में बढ़ी भीड, सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ रही हैं धज्जियां

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Published : Sep 5, 2021, 9:36 PM IST

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इस दौरान मेमो ट्रेनों में सैकड़ों की संख्या में लोग यात्रा करते देख जा रहे हैं. कम दूरी के स्टेशनों के बीच संचालित की जा रही इन ट्रेनों में काफी भीड़ भी हो रही है और सोशल डिस्टेंसिग की जमकर धज्जियां उड़ रही हैं. ऐसे में रेलवे का यह अजीबी गरीब मैनेजमेंट कोरोना की रोकथाम कम और वाहक बनने में बड़ी भूमिका निभा सकता है.

जबलपुर/ उज्जैन/ होशंगाबाद. कोरोना अभी गया नहीं है, लेकिन ट्रेनों में और रेलवे स्टेशनों में इसे रोकने और यात्रियों को मैनेज करने के लिए रेलवे किस तरह से कार्यवाही कर रहा यह देखकर आप अपना सिर पीट लेंगे. कहीं तो कोरोना की रोकथाम और सोशल डिस्टेंसिग के नाम पर ट्रेनों में यात्रियों की संख्या कम रखी जा रही है, लेकिन इस दौरान मेमो ट्रेनों में सैकड़ों की संख्या में लोग यात्रा करते देख जा रहे हैं. कम दूरी के स्टेशनों के बीच संचालित की जा रही इन ट्रेनों में काफी भीड़ भी हो रही है और सोशल डिस्टेंसिग की जमकर धज्जियां उड़ रही हैं. ऐसे में रेलवे का यह अजीबी गरीब मैनेजमेंट कोरोना की रोकथाम कम और वाहक बनने में बड़ी भूमिका निभा सकता है. यात्रियों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए सतर्क रहने की ज्यादा जरूरत है नहीं तो कोरोना का संकट एक बार फिर विकराल रूप ले सकता है.

कोरोना का 'वाहक' का बन जाए रेलवे:
जबलपुर

मेमो बनी मुसीबत
कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण और संकट काल के समय में रेलवे ने ट्रेनों में सोशल डिस्टेंसिंग लागू करने और भीड़ कम करने के उद्देश्य से रिजर्वेशन के जरिए ही यात्रा करने का नियम लागू किया था. जिसमें किसी भी एक्सप्रेस ट्रेन में बिना रिजर्वेशन के सफर नहीं किया जा सकता, लेकिन इस नियम की वजह से कमजोर आर्थिक परिस्थिति के लोगों को रेलगाड़ी से दूर कर दिया था. हालांकि अब आम आदमी की परेशानी को देखते हुए मुंबई लोकल की तर्ज पर मेमो ट्रेनों का संचालन शुरू किया गया है. जिसमें बैठकर नहीं बल्कि खड़े होकर ही सफर करना होता है. हर रूट पर मात्र एक मेमो ट्रेन चलाई जा रही है.

एक रूट पर एक ही गाड़ी, बढ़ा रही भीड़

जबलपुर से इटारसी के रूट पर मात्र एक मेमो ट्रेन का संचालन किया जा रहा है. इस वजह से गाड़ी में काफी भीड़ हो जाती है और क्षमता से दोगुने लोग डिब्बे में भर जाते हैंं. यात्रियों के पास भी इस गाड़ी के अलावा कोई विकल्प नहीं है. क्योंकि बाकी ट्रेनों में यात्रा करने के लिए रिजर्वेशन करवाना जरूरी है. ऐसी स्थिति में यही एकमात्र रेलगाड़ी बचती है जिससे यात्रा की जा सकती है. भले ही ट्रेन में लोगों को बैठने की सुविधा नहीं है भले ही उन्हें खड़े होकर यात्रा करना पड़ रही है लेकिन किसी तरह सफर हो रहा है.

रेलवे के मैनेजमेंट पर उठे सवाल

कोरोना की रोकथाम और ट्रेनों में सोशल डिस्टेंसिग का पालन कराने के लिए एक तरफ तो रेलवे ने एक्स्प्रेस ट्रेनों में रिजर्वेशन अनिवार्य किया हुआ है, ताकि ट्रेनों में यात्रियों की ज्यादा भीड़ न हो, जबकि दूसरी तरफ मेमो ट्रेनों का संचालन कर और यात्रियों की भारी भीड़ का सफर आसान करके वह कोरोना का वाहक भी बन रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर यह रेलवे का कैसा कोरोना मैनेजमेंट है. ईटीवी भारत ने जब इस बारे में जबलपुर में पश्चिम मध्य रेलवे के सीपीआरओ राहुल जयपुरिया से बात की तो उनका कहना था कि एक्सप्रेस रेलगाड़ियों में जब तक रेलवे बोर्ड की ओर से टिकट लेने का प्रावधान नहीं होता है तब तक यह नियम चालू रहेगा. उन्होंने कहा कि मांग बढ़ने पर मेमो ट्रेनों की संख्या को और बढ़ाया जा सकता है.

इटारसी

प्रदेश के सबसे बड़े रेलवे जंक्शन इटारसी में भी ट्रेन में सफर करना आसान नही है. एक ओर जहां कोरोना का संक्रमण कम होते ही ट्रेनों भीडभाड़ बढ़ने लगी है, वहीं दूसरी तरफ एक्सप्रेस ट्रेनों में बगैर रिजर्वेशन के सफर करना आसान नहीं है. ऐसे में सबसे ज्यादा दिक्कत तो उन यात्रियों को है जिन्हें जरूरी काम से अचानक बाहर जाने की वजह से ट्रेन में सफर करना पडता है. जरनल कोच में भी रिजर्वेशन कराने के बाद ही यात्रा करनी पड़ती है. इटारसी जंक्शन पर रोजाना लगभग 150 के करीब ट्रेनें गुजरती हैं. ऐसे में यहां ट्रेनों से यात्रा करने वाले यात्रियों की अच्छी खासी भीड़ हो रही है. इस वजह से कोरोना प्रोटोकाल की धज्जियां उड़ रही हैं.

कुलियों को भी खाने के लाले

ट्रेनों का संचालन शुरू होने से कुलियों को भी काफी उम्मीद बंधी थी कि लॉकडाउन के दौरान बंद हुआ उनका काम धंधा फिर से चलने लगेगा, लेकिन उनकी स्थिति में कोई खास सुधार नहीं आया है, क्योंकि ट्रेनों में सफर करने वाले लोग कम से कम लगेज के साथ यात्रा कर रहे हैं. साथ ही सामान्य यात्रियों का भी आना जाना कम ही है. जिससे इनका कामकाज ठप्प है. पठानकोट एक्सप्रेस के जनरल कोच में यात्रा कर रहे यात्री महेश सैनी कहते हैं कि ट्रेनों में यात्रियों की संख्या बढ़ गई है. जिसके बाद सफर करना अब आसान नहीं रह गया है.

उज्जैन

उज्जैन रेलवे स्टेशन के हालात जबलपुर और इटारसी से कुछ बेहतर दिखाई दिए. यहां आने जाने वाले यात्रियों के कोरोना टेस्ट के लिए स्वास्थ्य विभाग का अमला सतर्क नजर आया. आपकों बता दें कि प्रदेश में एक बार फिर कोरोना ने दस्तक दे दी है और पिछले तीन दिनों में मामले भी तेजी बढ़े हैं. इसे देखते हुए रेलवे स्टेशन पर आने जाने वाले हर यात्री का कोरोना टेस्ट किया जा रहा है. उज्जैन के रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर पूछताछ केंद्र के पास यात्रियों की आरटीपीसीआर जांच कर रही टीम ने हर दिन करीब 200 यात्रियों की टेस्टिंग का लक्ष्य रखा है.लेकिन रोजाना यात्रा करने वाले यात्री अभी भी लापरवाही बरत रहे हैं जिससे शहर में एक बार फिर संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ रहा है. मध्य प्रदेश में कोरोना के मामले फिर से बढ़ने और तीसरी लहर के खतरे के बीच रेलवे और यात्रियों की यह लापरवाही प्रदेश को एक बार फिर से बढ़े संकट की तरफ धकेल सकती है.

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