मध्यप्रदेश में खाद की मारामारी, सीएम शिवराज सिंह ने बुलाई बैठक, कहा किसानों को नहीं होना चाहिए परेशानी

मध्यप्रदेश में खाद की मारामारी, सीएम शिवराज सिंह ने बुलाई बैठक, कहा किसानों को नहीं होना चाहिए परेशानी
मध्यप्रदेश में रबी फसल के लिए बोवनी चल रही है. इधर किसान खाद के लिए जमकर परेशान हो रहे हैं. खाद की कालाबाजारी की भी खबरें आ रहीं हैं. इस बीच सीएम शिवराज ने अधिकारियों की बैठक ली और खाद की समस्या का समाधान करने के निर्देश दिये.
भोपाल। सीएम शिवराज सिंह ने अधिकारियों की बैठक ली. मंत्रालय में अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने खाद और रबी फसल की बोवनी की स्थिति जानी. किसानों को खाद की परेशानी नहीं होने को लेकर निर्देश दिए. बैठक में बताया गया कि अब तक रबी फसल की 81 लाख 71 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बोवनी हो चुकी है, जो पिछले वर्ष से 5.33 प्रतिशत अधिक है.
सीएम ने खाद की जानी स्थिति: सीएम शिवराज सिंह चौहान ने यूरिया, डीएपी, एनपीके, एसएसपी की संभागवार उपलब्धता , विक्रय तथा बचे हुए स्टॉक की स्थिति की जानकारी ली. बैठक में बताया गया कि उर्वरकों का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है. विपणन संघ के 422 विक्रय केंद्र संचालित हैं. विपणन सहकारी समितियां के 154 विक्रय केंद्रों से खाद को बेचा जा रहा है. विपणन सहकारी समितियां द्वारा अतिरिक्त 92 विक्रय केंद्र शुरू किए गए हैं और किसानों को लाइन से बचने के लिए टोकन व्यवस्था की जा रही है.
सीएम ने क्या दिए निर्देश: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि मौसम विभाग की जानकारी के अनुसार अगले दो-तीन दिन में प्रदेश में बारिश की संभावना है. इसके बाद उर्वरकों की मांग बढ़ेगी ऐसे में सभी केंद्रों पर उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता और उचित वितरण व्यवस्था सुनिश्चित की जाए.
रबी फसल की बोवनी की समीक्षा: सीएम शिवराज ने मंत्रालय में खरीफ उर्वरक व्यवस्था और रबी बोवनी की स्थिति की समीक्षा की.बैठक में बताया गया कि अब तक रबी फसल की 81 लाख 71 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बोवनी हो चुकी है, जो पिछले वर्ष से 5.33 प्रतिशत अधिक है. उन्होंने कहा कि आंतरिक वितरण पर निगरानी की व्यवस्था सजग और सुचारू रूप से की जाए.
प्रदेश में यूरिया और खाद की मारामारी!: चुनाव हो चुके हैं और अब मतगणना की तैयारी है ,लोगों को नतीजों का इंतजार है लेकिन चुनावी व्यस्तताओं के बीच किसानों का आरोप है कि यूरिया और डीएपी नहीं मिल रहा है , किसानों को फेडरेशन में लंबी लंबी कतारें लगानी पड़ रही हैं तो वहीं कई किसानों को मायूस लौटना पड़ रहा है. इस वक्त किसानों को चना और गेहूं के लिए यूरिया और डीएपी की सबसे ज्यादा जरुरत है.
