किसानों के लिए खुशखबरीः एमपी को बासमती पर मिलेगा जीआई टैग! सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मद्रास हाईकोर्ट फिर से करेगा विचार

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Published : Sep 9, 2021, 11:40 AM IST

basmati rice

लंबे समय से बासमती चावल पर जीआई टैग का इंतजार कर रहे किसानों के लिए अच्छी खबर है. सुप्रीम कोर्ट ने मप्र की याचिका (MP Filed Petition) पर मद्रास हाईकोर्ट से GI टैग देने पर फिर से विचार करने को कहा है.

भोपाल। मप्र में बासमती उगाने वाले किसानों (MP Farmer) को यह खबर खुश करने वाली है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) को मप्र की याचिका पर फिर से विचार करने के लिए कहा है. अभी एमपी के किसानों का बासमती एक्पोर्ट (Basmati Rice Exportation) नहीं हो पाता, क्योंकि मप्र के बासमती को GI टैग नहीं मिला है. इससे किसानों को बासमती चावल के अच्छे दाम नहीं मिलते, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने मप्र की याचिका (MP Filed Petition) पर मद्रास हाईकोर्ट से GI टैग देने पर फिर से विचार करने को कहा है. इससे मप्र सरकार को उम्मीद बंधी है कि उनके प्रदेश का बासमती चावल अंतरराष्ट्रीय बाजार (International Market) में बिक सकेगा.

जीआई टैग मिलने से किसानों को होगा फायदा.

क्या है जीआई टैग (What is GI Tag)
भारत ने मई, 2010 में अपने यहां सात राज्यों में हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh), पंजाब (Panjab), हरियाणा (Haryana), उत्तराखंड (Uttrakhand), दिल्ली (Delhi) के बाहरी क्षेत्रों, पश्चिमी उत्तर प्रदेश (West Uttar Pradesh) और जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के कुछ भागों में बासमती को जीआई टैग दिया था. किसी उत्पाद को उसके उत्पत्ति की विशेष भौगोलिक पहचान से जोड़ने के लिए जीआई टैग दिया जाता है. ताकि वह उत्पाद अलग और खास बन सके.

मप्र सरकार पहुंची थी सुप्रीम कोर्ट
जुलाई में इसी मामले को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union Minister Narendra Singh Tomar) से मुलाकात की. उन्होंने बासमती चावल को ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (Geographical Indication) यानी जीआई टैग (GI Tag) दिलाने में मदद करने की गुहार लगाई. बीजेपी सरकार ने 2015 में भौगोलिक संकेतक के लिए चेन्नई (Chennai) स्थित जीआई रजिस्ट्री में प्रदेश का आवेदन कराया था. वर्षों पुराने प्रमाणित दस्तावेज भी जुटाकर दिए थे, लेकिन, एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट एक्सपोर्ट डेवलमेंट अथॉरिटी (Agriculture and Processed Food Products Export Development Authority) के विरोध के कारण मान्यता नहीं मिल सकी.

APEDA ने मद्रास हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका
APEDA ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इसमें प्रदेश के पक्ष को खारिज कर दिया गया था. इसके खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार (MP Government) ने मई 2020 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. एमपी सरकार के मुताबिक, उनके यहां पैदा की जाने वाली बासमती चावल की गुणवत्ता हरियाणा, पंजाब या पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उत्पादित चावल से बेहतर है. मप्र का करीब 60,653 मीट्रिक टन बासमती एक्सपोर्ट होता है.

MP के बासमती चावल को जल्द मिल सकता है GI टैग

एमपी में 5 लाख हेक्टेयर में होती है बासमती की खेती
एमपी के 13 जिलों में बासमती धान की खेती होती है. प्रदेश के लगभग एक लाख किसान 5 लाख हेक्टेयर में बासमती की खेती करते हैं. मध्य प्रदेश के जिन 13 जिलों में इसकी खेती होती है- उनमें भिंड, मुरैना, ग्वालियर (Gwalior), दतिया, शिवपुरी, गुना, विदिशा, श्योपुर, रायसेन, सीहोर, होशंगाबाद, नरसिंहपुर और जबलपुर (Jabalpur) शामिल हैं. टैग न मिलने की वजह से यहां के बासमती धान ऊंचे दामों (Price of Basmati) में नहीं बिक पाते. ऐसे में किसानों को 2500 से 2800 रुपए प्रति क्विंटल का भाव मिलता है.

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