सरकार की नाकामियों को जनता तक पहुंचाने कांग्रेस की पदयात्रा, सिंधिया का सीएम को सुझाव आप भी पैदल चलें

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Published : Aug 17, 2021, 9:12 PM IST

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बाढ़ प्रभावितों के बीच कांग्रेस की सक्रियता को देखते हुए एक वर्चुअल मीटिंग के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सीएम शिवराज सिंह को भी यह सुझाव दिया है कि जिस तरह से कांग्रेस सड़कों पर है और गांव गांव पैदल जा रही है हमारी पार्टी को भी पैदल यात्रा करनी चाहिए.

भोपाल। मध्यप्रदेश में अभी भले ही उपचुनाव की तारीखों का एलान न हुआ हो, लेकिन कांग्रेस पूरी तरह चुनावी मूढ़ में आ चुकी है. यही वजह है कि वह मौजूदा मुद्दों और बाढ़ को लेकर सरकार की नामाकियों को जनता तक पहुंचाने की कोशिशों में जुट गई है. इसके लिए पार्टी अपने संगठन को मजबूत करने में लगी और प्लानिंग के तहत कुछ मुद्दों पर बीजेपी से आगे निकलना चाहती है. कांग्रेस के बड़े नेता बाढ़ प्रभावित इलाकों में दौरे कर रहे हैं. दिग्विजय सिंह सिंधिया के गढ़ में सक्रिय हैं और गोविंद सिंह जैसे बड़े नेताओं को लोगों के बीच पहुंचने और प्रभावित इलाकों में पदयात्रा के जरिए सरकार की नाकामियों को जनता तक पहुंचाने की बात कह चुके हैं. कांग्रेस के इस पदयात्रा प्लान का असर बीजेपी पर भी होता दिखाई दे रहा है.

सिंधिया का सीएम को सुझाव आप भी पैदल चलें

सरकार को घेरने जनता के बीच जाएगी कांग्रेस

पूरी तरह से चुनावी मोड में आ चुकी कांग्रेस सरकार को घेरने की प्लानिंग करने में जुटी है. अपने नेताओं और संगठन से जुड़े लोगों को जिम्मेदारी सौंपी जा रही. संभाग, जिला और ब्लॉक स्तर पर नेताओं जिम्मेदारी दी गई है. कांग्रेस उपचुनाव में मुद्दा बनने वाली सभी बातों को जनता के सामने रखकर सरकार की नाकामी को बताएगी. इनमें

- ओबीसी को 27 % आरक्षण दिए जाने को कांग्रेस कमलनाथ सरकार का फैसला बताते हुए जनता को यह बताएगी कि भाजपा सरकार कोर्ट में इस मामले में अपना पक्ष मजबूती से नहीं रख पाई जिससे 27 की आरक्षण नहीं मिला.

- कोरोना से हुई मौतें और मुआवजा, बढ़ती महंगाई, महिला अत्याचार ,कानून व्यवस्था के साथ ही बाढ़ के बाद के हालातों को लेकर कांग्रेस जनता के बीच जाने की तैयारी कर रही है. इसके लिए प्रदेश कांग्रेस ने टाइम बाउंड प्रोग्राम बनाया है. जिसकी जिम्मेदारी पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति को दी गई है.

सिंधिया का सीएम को सुझाव आप भी पैदल चलें

शिवराज को सिंधिया का सुझाव पैदल चलें!
मध्यप्रदेश में आई बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है ग्वालियर चंबल अंचल. बीजेपी के नेता और खुद सीएम यहां राहत कार्यों का जायजा लेने और मुआवजा देने भी पहुंचे, लेकिन लोगों की परेशानी और उनकी नाराजगी इससे कम नहीं हुई. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सहित कई नेताओं को विरोध का सामना भी करना पड़ा. खुद सिंधिया भी जन आशीर्वाद यात्रा में व्यस्त होने के चलते अपने क्षेत्र में समय नहीं दे पा रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस को यहां सक्रिय होने का मौका मिल गया है. कांग्रेस के बड़े नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह हवाई और जमीनी दौरे कर चुके हैं. दिग्विजय सिंह अंचल के नेताओं को सक्रिए कर रहे हैं वे गोविंद सिंह और हेमंत कटारे को लोगों से सीधे संवाद और उनकी समस्याओं का समाधान कराने की सलाह दे चुके हैं. अंचल में कांग्रेस की सक्रियता को देखते हुए और सिंधिया को उनके घर में ही घेरने की रणनीति से कांग्रेस बड़े राजनीतिक फायदा हासिल करने की उम्मीद लगा रही है. इसे देखते हुए ज्योदिरादित्य सिंधिया ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को भी बाढ़ प्रभावित इलाकों में पैदल यात्रा करने की सलाह दी है.

शिवराज भी राजी लेकिन...
सिंधिया के इस पैदल यात्रा सुझाव पर सीएम शिवराज सीएम ने सीधे तौर पर तो साफ साफ कुछ नहीं कहा लेकिन इतना इशारा जरूर किया कि सरकार बाढ़ प्रभावितों के लिए सब कुछ कर रही है. दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया इसी क्षेत्र से नाता रखते हैं और उन्हें अपने क्षेत्र की चिंता ज्यादा सता रही है.यही वजह है कि उन्होंने सीएम के साथ हुई एक वर्चचुअल बैठक में यह सुझाव दिया कि जिस तरह से कांग्रेस सड़कों पर है और गांव गांव पैदल जा रही है हमारी पार्टी को भी पैदल यात्रा करनी चाहिए, हालांकि सिंधिया की पैदल यात्रा के सुझाव पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हामी तो नहीं भरी लेकिन यह जरूर कहा कि चाहे सत्ता हो या संगठन दोनों ही जो कुछ बेहतर हो सकता है वह काम कर रहे हैं बाढ़ पीड़ितों को किसी भी तरह से परेशान नहीं होने दिया जाएगा. हालांकि सिंधिया के सुझाव से सत्ता और संगठन दोनों पक्षों के लोग ज्यादा इत्तेफाक नहीं रखते हैं.


पंचायत और निकाय चुनावों पर दोनों पार्टियों की नजर
सच्चाई यह है कि चुनावी गणित में उलक्षी पार्टियां बाढ़ की आपदा में भी अवसर की तलाश में हैं. प्रदेश में पंचायत और निकाय के चुनाव होना है. इसी को लेकर सारी तैयारियां की जा रही हैं और जन आशीर्वाद और पद यात्राओं के जरिए दोनों ही पार्टियां चुनावी मैदान में कूदने को तैयार हैं.

है ग्वालियर चम्बल का सियासी गणित
- ग्वालियर चंबल को लेकर बीजेपी सतर्क है, पिछली बार आरक्षण से सुलगे ग्वालियर चंबल में पार्टी को 13 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था, ग्वालियर चम्बल दोनों संभागों के 8 जिलों की 34 विधानसभा सीटों से 2013 में भाजपा को 20 और 2018 में महज 7 विधायक ही जीत कर आए थे, जबकि कांग्रेस के विधायक 12 से बढ़कर 26 विधायक हो गए थे. हालांकि, ग्वालियर चंबल की 16 सीटों पर हुए उपचुनाव हुए जिसमें सिंधिया समर्थक पर खासी नजर थी, इस इलाके से बीजेपी को 16 में से 9 सीटें मिली, जबकि कुल 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में उसे 19 और कांग्रेस को सिर्फ 9 सीटें ही आई थी.

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