हमीदिया हादसाः 12 सालों बाद दिवाली के दिन रौशन हुआ घर का चिराग, 'लापरवाही' की आग में हुआ खाक

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Published : Nov 9, 2021, 9:04 PM IST

Updated : Nov 9, 2021, 10:01 PM IST

bhopal hamidia fire

हमीदिया कैंपस के कमला नेहरू हॉस्पिटल में लगी आग ने कई घरों के चिराग बुझा दिए. इस आग की लपटों ने कई घरों में अंधेरा कर दिया. कल तक जो घर बच्चे की किलकारी से गूंज रहा था, आज वहां चीख है, चीत्कार है, मां के वो आंसू हैं जो रूकने का नाम नहीं ले रहे.

भोपाल। कमला नेहरू अस्पताल में लगी आग तो बुझ गई, लेकिन इस आग ने कई घरों में अंधेरा कर दिया. कई मां की गोद सूनी हो गयी. घर के चिराग के बुझ जाने का गम कोई इन माताओं से पूछे. जो घर सालों बाद बच्चे की किलकारी से गूंजा था, उस घर पर या चीत्कार है, नहीं तो मातमी सन्नाटा. कोई अपने बच्चे को डिस्चार्ज कराने की उम्मीद से पहुंचा था, तो कोई उसके जल्द ठीक होने की आस लेकर, लेकिन इनके हाथ आया तो मासूम का शव.

12 सालों बाद गूंजी थी किलकारी

भोपाल के गौतम नगर डीआईजी बंगले के पास रहने वाली 29 वर्षीय इरफाना की शादी 12 साल पहले नसरुल्लागंज के जूता व्यापारी रईस खान से हुई थी. 12 साल से उसकी कोख सुनी थी, ऐसे में 2 नवंबर को उसके यहां खुशियां आई बच्चे का जन्म हुआ था. नॉर्मल डिलीवरी होने के बाद भी जब बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हुई तो उसे कमला नेहरू अस्पताल में एडमिट किया गया था, लेकिन अस्पताल में लगी लापरवाही वाली आग ने उसे भी छीन लिया. बच्चे के जन्म की खुशियां भी ठीक से नहीं मनाई थी कि इस आग ने पूरी जिंदगी का गम दे दिया. अस्पताल में आग के बाद इरफाना को भी परिवार के साथ बाहर बच्चे का इंतजार करना पड़ा, ऐसे में बच्चे की मौत की खबर के बाद वह चीखती-चिल्लाती-रोती नजर आई.

12 सालों बाद गूंजी थी किलकारी

डिस्चार्ज होनेवाला था बेटा, मिला शव

कुछ ऐसी ही दर्द भरी दास्तां है भोपाल के शैलेश की. उन्होंने अपने 4 दिन के बेटे को सांस की तकलीफ के चलते कमला नेहरू अस्पताल में एडमिट कराया था. घर में खुशी का माहौल था. दीपावली के दिन बच्चा पैदा हुआ, तो घर में खुशियां चौगुनी हो गई. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. शैलेश बताते हैं कि डॉक्टरों ने 8 तारीख को ही शाम को उसे बच्चे को डिस्चार्ज के लिए बोला था, लेकिन उसके हाथ में आया तो बेटे का शव.

पीड़ित पिता

रूक नहीं रहे रचना के आंसू

भोपाल के काजीपुरा में रहने वाली रचना यादव की शादी को थोड़ा ही समय हुआ था. डिलीवरी के दौरान बच्चा थोड़ा प्रीमेच्योर था, जिसके चलते डॉक्टरों ने उसे इस वार्ड में भर्ती किया था. रचना के पति अंकुर यादव ने बताया कि जब बच्चे को भर्ती किया गया था तब वह स्वस्थ था, लेकिन उसे भी सांस की परेशानी थी. प्रीमेच्योर बेबी होने के कारण उसे इंटेंसिव केयर यूनिट में रखा गया. डॉक्टरों ने कहा था कि कुछ दिन बाद बेटा स्वस्थ हो जाएगा. लेकिन उन्हें क्या पता था कि वह अपने जिगर के टुकड़े को खो देंगे. 34 साल की रचना इसके बाद मां नहीं बनना चाहती थी. रचना अपने इस बच्चे को पाकर बेहद खुश थी, लेकिन उन्हें क्या पता था की काल का गाल ऐसा चलेगा कि उनका जिगर का टुकड़ा उनसे छिन जाएगा. रचना का रो रो कर बुरा हाल है. वह तो बस उस दिन को कोस रही है, जिस दिन बच्चे को अस्पताल में भर्ती किया.

बच्चों के लिए रोते परिजन

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सोचा था घर जाकर करेंगे बच्चे का नामकरण

भोपाल के बागसेवनिया इलाके में रहने वाले अरुण मकाने ने बताया कि दो दिन पहले ही बच्चे का जन्म हुआ था, लेकिन जन्म के बाद बच्चा थोड़ा कमजोर था इसलिए उसे एसएनसीयू वार्ड में रखा गया था. शादी के 5 साल बाद उनकी पत्नी को बच्चा हुआ तो घर में सभी बेहद खुश थे. लेकिन घर में अच्छे से उसकी किलकारी गूंज पाती उसके पहले ही हॉस्पिटल में लगी लापरवाही की आग ने उनकी खुशियों को भी आग लगा दी. रात में अचानक लगी आग से हड़कंप के बाद सभी को आनन-फानन में हॉस्पिटल से बाहर निकाला गया. वे रात भर अपने बच्चे को तलाशते रहें. हॉस्पिटल के बाहर बैठकर बच्चे की मां पूरी रात रोती रही, अरुण बच्चे के ठीक होने का दिलासा देते रहे लेकिन आज सभी उम्मीद ही टूट गई. जन्म के 2 दिन बाद ही मां से उसके बच्चे के हमेशा-हमेशा के लिए बिछड़ने का गम एक मां ही समझ सकती है.

बच्चे का चेहरा तक नहीं देख सके

ऐसे ही दुख भरी कहानी भोपाल के जहांगीराबाद धर्म कांटे के पास रहने वाली शाजमा पति रईस की है. शाजमा ने सुल्तानिया जनाना हॉस्पिटल में 11 दिन पहले बेटे को जन्म दिया था. बच्चा प्रीमेच्योर था, इसलिए उसे तुरंत हमीदिया हॉस्पिटल के कमला नेहरू हॉस्पिटल के एसएनसीयू में शिफ्ट कराया गया. बच्चा ऑपरेशन से होने की वजह से बच्चे की मां शाजमा सुल्तानिया हॉस्पिटल में ही एडमिट थी. ऑपरेशन के टांके टूट जाने की वजह से मंगलवार को उसका फिर से ऑपरेशन किया जाना था, लेकिन एक दिन पहले ही कमला नेहरू हॉस्पिटल में आग लगने की मनहूस खबर मिली, जिसने उसकी सारी खुशियां छिन ली.

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खुशियों की जगह पसरा मातमी सन्नाटा

रईस अपनी मां को लेकर दौड़े-दौड़े कमला नेहरू हॉस्पिटल पहुंचे, रात भर बच्चे की खबर लेने के लिए इधर-उधर भटकते रहे, लेकिन सुबह बताया गया कि बच्चा मरच्यूरी में है. यह खबर सुनकर दादी बेबी खान हॉस्पिटल के बाहर चीख-चीख कर रोने लगी. शाजमा और रईस का निकाह दो साल पहले ही हुआ था।. रईस के चाचा जमील ने बताया कि घटना के बाद से ही बच्चे की मां का बुरा हाल है. काफी देर तक उससे बच्चे की मौत की खबर को छुपाए रखा, लेकिन आखिरकार उसे सच्चाई बताना ही पड़ी. हम लोग तो बच्चे की शक्ल भी नहीं देख पाए. बच्चे के जन्म के बाद उसे हॉस्पिटल में एडमिट करा दिया गया था. डॉक्टर ने कहा था कि मंगलवार को बच्चे को रिलीज कर दिया जाएगा लेकिन क्या पता था कि बच्चा हंसता खेलता नहीं बल्कि उसका शव गोद में आएगा.

Last Updated :Nov 9, 2021, 10:01 PM IST
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