सर्दी में अलाव के पास बैठना पड़ सकता है भारी, हो सकते हैं लकवा के शिकार, जानिए बचने के उपाय

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Published : Jan 8, 2023, 10:48 PM IST

Bhind Winter Weather

सर्दी बढ़ते ही गर्माहट के लिए हम अलाव का सहारा लेते है, लेकिन सर्दी में अलाव की वजह से आप लकवा का शिकार हो सकते हैं. लकवा ऐसी बीमारी है. जिसमें शरीर काम करना बंद कर देता है. रिकवरी में कई बार सालों गुजर जाते हैं. यह बीमारी किस तरह के लोगों को अपना शिकार बनाती है. इससे कैसे बचाव किया जा सकता है. इस बारे में मेडिकल एक्सपर्ट्स की क्या राय है आप भी जानिए ETV Bharat की इस खास रिपोर्ट में.

सर्दी में अलाव के पास बैठना पड़ सकता है भारी

भिंड। सर्दियों का मौसम शुरू होते ही मौसम में बढ़ी ठंडक अपने साथ कई बीमारियों को न्योता देती है. खासकर बुजुर्ग और बच्चों पर जाड़े के असर से बीमार होने का खतरा बढ़ जाता है. यही ठंडक अक्सर हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारी को न्योता देती है, लेकिन इससे भी खतरनाक बीमारी है जो सर्दियों में बुजुर्गों को अपना शिकार बनाती है. एक ऐसी बीमारी जिसकी रिकवरी आसान नहीं होती और कई बार तो यह जानलेवा भी साबित हो सकती है. ये रोग है पैरालिसिस (Paralysis) यानी लकवा.

क्या है लकवा: जहां ठंड से पूरे मध्यप्रदेश का गिरता पारा लोगों को ठिठुरने पर मजबूर कर रहा है वहीं लकवा जैसी गम्भीर और खतरनाक बीमारी का खतरा भी बढ़ा रहा है. भिंड हॉस्पिटल में पदस्थ मेडिकल एक्सपर्ट डॉ. विनीत गुप्ता का कहना है कि, बहुत ज्यादा तापमान गिरने से पैरालिसिस यानि लकवे के केस बहुत बढ़ रहे हैं. कभी कभी यह बीमारी जानलेवा साबित हो रही है. ये ऐसी बीमारी है जिसमें मरीज का पूरा शरीर धराशायी हो सकता है या काम करना बंद कर देता है. लकवा छोटा भी हो सकता है जिसमें शरीर का कोई अंग काम करना बंद कर दे, चेहरे का एक भाग काम करना बंद कर दे और अगर ज्यादा असर हो तो शरीर का एक साइड का आधा या फिर पूरा ही शरीर लकवाग्रस्त हो सकता है, इसकी वजह से मरीज़ चलने फिरने में अक्षम हो जाता है उसे जीवन भर की समस्या हो सकती है, क्रानिक डिसॉर्डर हो जाते हैं बिस्तर पर लेते लेते बेड सोर भी हो जाते हैं और इन्फेक्शन की वजह से मरीज़ की जान भी जा सकती है.

अटैक की वजह: लकवे के अटैक के पीछे की वजह रक्तचाप( blood pressure) में अचानक बदलाव होना होता है. यानी नार्मल चल रहे ब्लड प्रेशर का अचानक बढ़ना या घटना. इसके पीछे की वजह है वेसल कंस्ट्रक्शन. डॉ विनीत गुप्ता आसान शब्दों में कहते हैं कि, सर्दियों के समय खून की नलियां कठोर हो जाती है. इसकी वजह से इनकी संकुचन की क्षमता कम हो जाती है. ऐसे में कभी कभी हृदय तो ठीक काम कर रहा होता है, लेकिन रक्तचाप बढ़ जाता है. अचानक इस बदलाव की वजह से शरीर में मौजूद खून की बारीक नलियां फट सकती हैं, दूसरा बारीक नलियों( capillaries) की दीवार मोटी हो जाती है जिसकी वजह से वे नलियाँ शरीर के जिस भाग को रक्त की सप्लाई कर रही होती है वह रुक जाता है ऐसे में आसपास के टिशू डैमेज हो जाते हैं जिसकी वजह से मरीज़ लकवाग्रस्त हो जाता है.

ऐसे लोग होते हैं शिकार: मेडिकल एक्सपर्ट डॉ. गुप्ता का कहना है कि, यह बीमारी सबसे ज़्यादा उन लोगों पर अटैक करती है जिनको पूर्व से ब्लड प्रेशर या दूसरी बीमारियां जैसे लीवर, किडनी, या हार्ट संबंधी बीमारी हो ऐसे मरीजों को लकवा का खतरा बढ़ जाता है, वहीं यह बीमारी सबसे ज़्यादातर बुजुर्गों यानि 60 वर्ष आयु या उससे अधिक के लोगों में देखने को मिलती है, लेकिन कुछ समय से 50 वर्ष आयु तक के लोगों को भी पैरालिसिस के अटैक देखने में आ रहे हैं. भिंड जिले में भी बीते एक हफ़्ते में हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर और लकवा के केस बढ़े हैं. ग्वालियर में तो बीते कुछ दिनों में दो दर्जन से अधिक केस सामने आए हैं जिन्हें लकवे का अटैक आया है.

संभल कर रहें: लकवा का अटैक आने की वजह कई बार सहायक बीमारियां होती हैं. डॉ. विनीत गुप्ता कहते हैं कि, ऐसी बीमारियों जिनमें पहले से ही खून जमने की क्षमता बढ़ जाती है. या रक्त फैलने की क्षमता बढ़ जाती है जिसे जमावट विकार (coagulation disorder) कहा जाता है. इन बीमारियों में लीवर क्लाटिंग क्षमता ख़राब हो जाती है. किडनी की बीमारियां जिनमें खून जमने का खतरा होता है ऐसे में ये भी पैरालिसिस को न्योता देती हैं.

बचाव के लिए इन बातों का रखें ध्यान: कहते हैं कि, सुरक्षा से सावधानी भली. यही कहावत लकवा की बीमारी के लिए भी सिद्ध होती है. मेडिकल एक्सपर्ट डॉ. गुप्ता कहते हैं कि सर्दियों के मौसम में कुछ बातों का ध्यान रखना आपको इस बीमारी से बचा सकता है. हाई रिस्क पेशेंट, ऐसे मरीज़ जिन्हें डायबटीज हो. हाई ब्लड प्रेशर हो. पहले से हार्ट अटैक हो चुका हो. लीवर संबंधी बीमारियां हों. किडनी की बीमारी हो उन्हें सावधान रहने की जरूरत है.

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इसे ना करें नजर अंदाज: मौसम में तेजी से ठंड बढ़ रही है. ऐसे में बॉडी टेम्परेचर को सामान्य रखें. अगर शरीर का टेम्प्रेचर ज़्यादा हो तो बाहर ना निकालें. बहुत समय तक अलाव के पास बैठे हैं तो अचानक ठंड के सम्पर्क में ना आएं, पहले कुछ समय तक अलाव से दूर हो कर शरीर के तापमान को सामान्य होने दें. उसके बाद जरूरी होने पर ही ठंडक में निकलें. यदि बाहर निकलना बेहद जरूरी हो तो ज़्यादा से ज़्यादा लैप्स पहन कर बाहर जाएं जिससे बाहर का तापमान हमारे शरीर को तापमान को अफेक्ट ना कर सके. डायबटीज और बीपी के मरीज रेगुलर डॉक्टर से चेकअप करायें जिससे उनका स्वास्थ्य मेंटेन रहे. अलार्मिंग सिम्प्टम को नजर अन्दाज बिलकुल ना करें. जैसे सिरदर्द होने पर भी हल्के में ना ले तुरंत डॉक्टर से चेकअप कराए. इन दिनों में सिरदर्द भी लकवे का संकेत हो सकता है.

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