Bhind Durga Murti: महंगाई से परेशान दुर्गा प्रतिमाओं के कारीगर, बाजार तैयार पर ग्राहकों के नहीं खुल रहे हाथ

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Published : Sep 25, 2022, 8:11 PM IST

bhind durga murti

सोमवार से नवरात्र शुरू हो रहे हैं, माता की मूर्तियों की खरीदी बिक्री का अंतिम दौर चल रहा है. भिंड में भी मूर्तियां तैयार है, लेकिन ग्राहकी पर महंगाई का असर है. मूर्ति तैयार करने वाले कारीगर कोरोना से तो राहत में हैं, लेकिन ग्राहकों को सस्ते दाम पर मूर्तियां नहीं उपलब्ध करा पा रहे हैं. कहा जा सकता है कि, नवरात्र पर महंगाई का असर दिखाई दे रहा है. (mp devi tample) (bhind durga murti) (durga idols in mp) (shardiya navratri pooja) (durga pandal mp)

भिंड। नवरात्र में मां दुर्गा के नौ रूप की अलग अलग झलक वाली, शेर पर सवार माता दुर्गा जी की प्रतिमा स्थापित करने की परम्परा कई वर्षों से चली आ रही है. हर वर्ष देश भर में नवरात्रों की धूम रहती है खासकर अश्विन मास में पड़ने वाली शारदीय नवरात्र की तैयारियों की अलग ही बात होती है. जगह जगह पंडालों में माता की बड़ी-बड़ी प्रतिमाओं से लेकर घर-घर में लोग नवरात्र की पड़वा यानी पहले दिन माता की मूर्तियों की घटस्थापना करते हैं और अगले नौ दिनों तक उनकी सेवा करते हैं. इन मूर्तियों को स्थापित करने के लिए 15 दिन पहले से ही लोग बुकिंग कर देते हैं. (bhind durga murti)

भिंड में महंगाई से परेशान दुर्गा प्रतिमाओं के कारीगर

हाथों से तैयार होती हैं मिट्टी की प्रतिमाएँ: पहले पीओपी की मूर्तियां बनायी जाती थी लेकिन अब ईको फ़्रेंड्ली मिट्टी की प्रतिमाएँ डिमांड में रहती हैं. भिंड जिले में भी कुछ जगहों पर पारम्परिक कारीगर वर्षों से नवरात्र के लिए मां दुर्गा की सुंदर मूर्तियां बनाते आए हैं. मूर्ति व्यापारी प्रेम सिंह कुशवाह भिंड में बीते एक दशक से नवरात्र के लिए माता की मूर्तियाँ तैयार कर बेचते हैं. भिंड शहर में ही उनका छोटा सा कारख़ाना हैं जहां मिट्टी, घास और लकड़ी की मदद से उनके साथी कारीगर मां दुर्गा की मनमोहक और सुंदर छोटी से बड़ी हर साइज़ की मूर्तियां बनाकर तैयार करते हैं. मूर्ति तैयार होने के बाद उन्हें हाथों से पेंट किया जाता है पेंट सूखने के बाद तैयार हुई माता की प्रतिमा को बेचने के लिए प्रदर्शित किया जाता है. (durga idols in mp)

लोगों में उत्साह बढ़ी मिट्टी की मूर्ति की माँग: प्रेम सिंह ने कहा कि तीन साल पहले कोरोना के दौरान आयोजनों पर रोक लगने से उनका व्यापार ठप पड़ गया था, लेकिन इस साल लोग दोबारा त्योहार के रंग में रंगे हुए हैं लगातार ऑर्डर आ रहे हैं. समय के साथ साथ लोगों की सोच में भी बदलाव आया है. पर्यावरण के लिहाज से अब लोग पीओपी की मूर्तियां लेने के बजाय मिट्टियों की मूर्तियां लेना पसंद करते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि घर में बिठाने के लिए भी लोग छोटी मूर्तियों की डिमांड कर रहे हैं. (mp devi tample)

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महंगी लागत के चलते दाम बढ़ाना मजबूरी: पीओपी की मूर्तियां सस्ती रहती थी जबकि मिट्टी की मूर्ति बनाने में लागत भी ज्यादा आती है और वह बिकती भी महंगी हैं. लेकिन बड़ी मुसीबत महंगाई है. पहले ही महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ रखी है. चाहे मटेरियल उपलब्ध कराने वाले हो या ग्राहक, कोरोना की वजह से आमदनी प्रभावित होने का हवाला देते हैं. ऊपर से मिट्टी की मूर्तियों के दाम दोगुने तक होते हैं. एक सामान्य तीन फ़ीट की मूर्ति की क़ीमत 4 से 5 हज़ार तक है. ऐसे में हर कोई उन्हें नही ख़रीद पा रहा है. (shardiya navratri pooja) (durga pandal mp)

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