बालाघाट। कोविड की दूसरी लहर के दौरान जिला अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट बनाने का दावा किया गया था, जिसमें सिविल वर्क से आगे कार्य नहीं हो पा रहा हैं. ऑक्सीजन प्लांट निर्माण की रफ्तार काफी सुस्त हैं. जिले में चार ऑक्सीजन प्लांट बनने हैं. साथ ही इसका निर्माण तहसील स्तर पर किया जाना है, लेकिन तेजी के बजाय तैयारियां धरी की धरी हैं.
ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे कोरोना संक्रमित मरीजों को ऑक्सीजन प्लांट की दरकार थी. ऑक्सीजन प्लांट की घोषणा कर जिला अस्पताल में इसका निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया हैं. अब इस काम में सिविल वर्क पूरा हो चुका है. ऑक्सीजन प्लांट के लिए उपयुक्त मशीनें लगाई जानी बाकी हैं.
जिला प्रशासन का कहना है कि शासन स्तर से ऑक्सीजन प्लांट बनाया जाना है, जिसके लिए भारत से बाहर की कंपनी मशीने भेजेंगी. इसका एजेंसी से करार हुआ है. बताया गया कि जल्द ही ऑक्सीजन प्लांट शुरू करने की योजना पर काम किया जा रहा हैं. एक करोड़ पंचास लाख रुपए की लागत से बनने वाले इस ऑक्सीजन प्लांट की उपयोगिता कोविड काल में महत्वपूर्ण हैं. वो भी ऐसे समय में जब दूसरी लहर का असर थोड़ा कम हो गया हैं. अब तीसरी लहर की चिंता सताने लगी है, लेकिन ऑक्सीजन प्लांट की ओर गति बहुत धीमी है. इसे जल्द पूरा करना समय की मांग हैं.
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बता दें कि, इस प्लांट से 600 लीटर लिक्विड ऑक्सीजन मिलेगी. इसी तरह जिले में कुल चार प्लांट बनाए जाने हैं, जिनमें से बालाघाट में दो, वारासिवनी में एक और एचसीएल मलाजखंड में एक रिफिलिंग प्लांट बनाने की घोषणा की गई हैं. इसके अलावा तहसील स्तर की बात की जाए, तो लांजी में भी प्लांट लगाने की बात चल रही हैं. इस बारे में सांसद ढाल सिंह बिसेन से चर्चा की गई, तो उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन प्लांट को मंजूरी मिल गई हैं, लेकिन निर्माण की दिशा में अगर काम धीमा है, तो उसका निरीक्षण कर जल्द पूरा किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि जिले में चार प्लांट लगाने हैं. इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं. अगर कहा जाए, तो यह ऑक्सीजन प्लांट जिले के लिए एक बड़ी उपलब्धि हैं, लेकिन इसके शुरू होने में देरी हो रही है. हालांकि, कोरोना संक्रमण के मामले कम हुए हैं. ऑक्सीजन की मांग भी कम हुई हैं, इसलिए ऐसा नहीं है कि यह बहुत फर्क कर रहा है. तीसरी लहर में क्या स्थिति होगी, कहा नहीं जा सकता, इसलिए अगर ऑक्सीजन प्लांट अधूरा रह गया, तो फिर से ऑक्सीजन की कमी हो जाएगी. मरीजों की जान बचाने में दिक्कत होगी.
आधा अधूरा काम
बहरहाल, जिले में चार ऑक्सीजन प्लांट बनने थे, जिसमें सिर्फ एक जिला अस्पताल में काम शुरू किया गया हैं, लेकिन डेढ़ माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी काम आधा अधूरा हैं.