बालाघाट को क्यों कहते मध्य प्रदेश का धान का कटोरा? देखिये Etv Bharat की विशेष रिपोर्ट

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Published : Jun 15, 2021, 4:31 PM IST

Updated : Jun 15, 2021, 7:25 PM IST

Dhan ka ktora

मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में बहुतायत में धान की खेती होती है. अधिक मात्रा में धान की खेती होने के कारण बालाघाट को धान का कटोरा भी कहा जाता है. बालाघाट में धान की खेती की खास बात यह है कि यहां पर ज्योतिषों से के कहने और मुहर्त होने पर ही धान की खेती की जाती है. बालाघाट जिले को लगातार चार बार कृषि कर्मण अवार्ड मिल चुका है.

बालाघाट। मध्य प्रदेश को वैसे तो सोया प्रदेश कहते है, लेकिन मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले को 'धान का कटोरा' कहा जाता है. इसका सीधा सा कारण है कि बालाघाट जिले में धान फसल उत्पादन बहुतायत में होता है. बालाघाट में पारम्परिक तरीकों से खेती की जाती है, जिसमें आध्यात्मिक तौर पर ज्योतिष के अनुसार विशेष मुहूर्त में बीज रोपण को महत्त्व दिया जाता है. और शायद यही कारण है कि बालाघाट जिले को लगातार चार बार कृषि कर्मण अवार्ड मिला है, आखिर बालाघाट धान के उत्पादन में नम्बर वन क्यों है? देखिये ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

मध्य प्रदेश का धान का कटोरा 'बालाघाट'
  • बालाघाट में धान की खेती को लेकर ज्योतिषियों की राय

बालाघाट में पारम्परिक तरीके से खेती को अधिक महत्व दिया जाता है, जिसके चलते ज्योतिष के अनुसार धान की बोवनी को विशेष महत्व दिया जाता है. ज्योतिष पं. गिरिजाशंकर दीक्षित बताते है कि देखा जाए तो बालाघाट जिला कृषि बाहुल्य है, यहां किसानों की जो फसल है, वह धान की फसल होती है, और धान की फसल कई बार अधिक या कम वर्षा के कारण खराब हो जाती है. इसलिए यहां के जो किसान हैं, वह परंपरागत तरीकों से खेती करते हैं. इसमें आध्यात्मिक तौर पर ज्योतिष से मुहूर्त को देखते हुए किसान अपनी खेती में बोनी शुरू करते हैं. और उसी आधार पर चलते हैं, जिससे किसानों को काफी लाभ प्राप्त होता है, और खेती उत्तम हो जाती है.

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  • शुक्ल पक्ष में बीजों के रोपण अच्छी होती है फसल

ज्योतिष पं. गिरिजाशंकर दीक्षित के अनुसार जब सूर्य मृगशिरा नक्षत्र में अनुमानतः 2 जून से 3 जून के बीच में प्रवेश करते हैं, तब किसान हल लेकर अपने खेतों में चले जाते हैं. और इसके बाद खेतों की जुताई प्रारंभ की जाती है. साथ ही जब शुक्ल पक्ष होता है, जो वर्तमान समय में 11 जून से लग चुका है, 15 दिनों तक चलता है. यही समय किसानों के बीज रोपण के लिए उत्तम माना गया है. पंचांग के अनुसार शुक्ल पक्ष में अश्विन नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मूल नक्षत्र, तीनों उत्तरा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र में बुवाई करके किसान अपनी अच्छी फसल प्राप्त करते हैं. परंपरागत तरीकों का अनुभव रहा है कि शुक्ल पक्ष में बीजों का रोपण करके फसल का अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है. और इन्हीं बातों का ध्यान रखकर बालाघाट में खेती की जाती है. जिससे किसान अधिक उत्पादन लेकर लाभान्वित होते हैं.

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  • धान की फसल के लिए बालाघाट जिला उत्तम

बहरहाल जिले में किसानों ने खेती की ओर अपना रुख कर लिया है. विशेष मुहूर्त पर धान की बोवनी कर फसल का अच्छा उत्पादन लेने के लिए किसानों ने तैयारियां शुरू कर दी है. यकीनन बालाघाट जिला धान की फसल के लिए पूरे मध्य प्रदेश में जाना जाता है, जहां की मिट्टी सोना उगलती है, इसीलिए यहां खेती को उत्तम माना जाता है.

  • धान की खेती करने के लिए तैयार है किसान

धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ अंचल का मध्य प्रदेश से अलग हो जाने के बावजूद भी इस प्रदेश में लगभग 17.25 लाख हेक्टर भूमि में धान की खेती प्रमुखता के साथ की जाती है. वहीं मध्य प्रदेश में धान फसल उत्पादन में बालाघाट जिले को अग्रणी माना जाता है, और इसीलिए इसे मध्य प्रदेश का धान का कटोरा भी कहा जाता है.
वर्तमान समय खेती किसानी का दौर लगभग शुरू हो चुका है, जहां मानसून की झलक मध्य प्रदेश में दिखाई दी है, वहीं बालाघाट जिले में अब किसान भाई धान की बुवाई के लिए तैयार नजर आने लगे है.

Last Updated :Jun 15, 2021, 7:25 PM IST
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