MP Anuppur शिवलहरा गुफाओं का विशेषज्ञों के साथ कलेक्टर ने किया भ्रमण, ग्रामीणों को करेंगे जागरूक

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Published : Nov 28, 2022, 6:47 PM IST

Collector visits Shivlahara caves

अनूपपुर जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर राष्ट्रीय राजमार्ग 43 पर जनपद पंचायत अनूपपुर के ग्राम पंचायत दारसागर के समीप एएसआई द्वारा संरक्षित शिवलहरा गुफाओं का कलेक्टर सोनिया मीना (Collector visits Shivlahara caves) द्वारा पुरातत्व संकाय के प्रमुख आलोक श्रोतीय, प्रोफेसर मोहन चढार, विजय नाथ मिश्रा, राजनगर महाविद्यालय के प्रोफेसर हीरा सिंह के साथ भ्रमण कर एतिहासिक और पुरातात्विक सांस्कृतिक महत्व की जानकारी प्राप्त की गई. केवई नदी के बहती धाराओं के ऊपर खूबसूरती और प्राकृतिक मनोरम दृश्‍यों को समेटे शिवलहरा महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है. यहां प्रति वर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाता है.

अनूपपुर। शिवलहरा धाम लोगों की श्रृद्धा और आस्था का केन्द्र बना हुआ है. जहां भगवान शिव की आराधना की जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिवलहरा की गुफाओं में पांडवों ने अपने अज्ञातवास का समय व्यतीत किया था. यहां 5 गुफाएं बनी हुई हैं. जिसमें पांचों भाइयों के नाम का शिवलहरा गुफाओं में पुरातत्व भाषा ब्रह्मी और शंखलिपि में लेख हैं. कलेक्टर सोनिया मीना ने शिवलहरा गुफाओं का भ्रमण कर गुफा के पुरातात्विक इतिहास आदि की जानकारी प्राप्त करते हुए इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के संबंध में चर्चा की.

Collector visits Shivlahara caves
MP Anuppur शिवलहरा गुफाओं का विशेषज्ञों के साथ कलेक्टर ने किया भ्रमण

कार्यशाला आयोजित करने के निर्देश : कलेक्टर ने स्थानीय शासकीय अमले तथा ग्रामवासियों को शिवलहरा के पुरातात्विक इतिहास व इसके महत्व की जानकारी देकर यहां आने वाले लोगों को जागरूक करने के संबंध में जिला पुरातत्व एवं पर्यटन संस्कृति परिषद अनूपपुर के माध्यम से कार्यशाला आयोजित करने के निर्देश दिये हैं. इस संबंध में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय अमरकंटक के पुरातत्व संकाय के प्रमुख आलोक श्रोतीय ने बताया कि गुफाओं में अंकित ब्राह्मी लिपि के अभिलेखों से इन गुफाओं का निर्माण प्रथम शताब्दी ईस्वी में हुआ ज्ञात होता है. गुफाओं में अंकित अभिलेख ब्राह्मी तथा शंखलिपि में लिखे हुए हैं.श्रोतीय ने इन गुफाओं के प्रलेखीकरण का कार्य किया है.

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राष्ट्रीय स्तर पर उल्लेख : श्रोतीय ने पूर्व के पाठों के साथ तुलना कर यहां अंकित सभी ब्राह्मी अभिलेखों का पाठ भी प्रस्तुत किया है. इन लेखों से ज्ञात होता है कि स्वामीदत्त के राज्य काल में मूलदेव नाम के व्यक्ति द्वारा इन गुफाओं का निर्माण कराया गया. गुफाओं में साधुओं के रहने तथा ध्यान करने हेतु बने कक्ष भी हैं. साथ ही हाथी पर सवार व्यक्तियों और छत्र-युक्त राज- कर्मचारियों का अंकन भी इन गुफाओं में मिलता है. यक्ष के समान विशाल आकृतियों भी इन गुफाओं में बनी हुई है. पुरातात्विक दृष्टि से ये गुफाएं अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और राष्ट्रीय स्तर के स्मारक के रूप में इनका उल्लेख मिलता है.

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