Mauni Amavasya 2023: महापर्व के रूप में मनाई जाएगी मौनी अमावस्या, 30 वर्ष बाद बना विशेष योग, जानिए कैसे करें पूजा

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Published : Jan 20, 2023, 10:34 PM IST

Mauni Amavasya 2023

शनिवार 21 जनवरी यानी का दिन बहुत खास है, क्योंकि शनिवार को मौनी अमावस्या है. यह दिन भगवान से क्षमा प्रार्थना और तपस्या के लिए बहुत शुभ होता है. मौनी अमावस्या पर मौन व्रत किया जाता है. इसलिए इस मौनी अमावस्या कहा जाता है. खास बात यह है कि, 30 वर्षों बाद मौनी अमावस्या पर विशेष संयोग भी बन रहा हैं. आइए जानते हैं मौनी अमावस्या की मान्यता और विशेष संयोग के बारे में.

भिंड। चंद्रमा की स्थिति और ग्रहों में गोचर करना बहुत अहम माना जाता है. चंद्र मास की स्थित से त्योहार और तिथियां निर्धारित की जाती हैं. जहां शुक्लपक्ष में चंद्रमा दिन ब दिन बढ़ा होता है. कृष्ण पक्ष में चन्द्रमा घाट कर अमावस्या पर पूरी तरह गायब रहता है. अमावस्या पर पूजा पाठा दान पुण्य करना बहुत अच्छा माना जाता है, लेकिन जब कोई खास संयोग या मौका अमावस के दिन हो तो इसका महत्व और बढ़ जाता है. ऐसा ही शनिवार को होने जा रहा है. क्योंकि 21 जनवरी को मौनी अमावस्या है.

क्या होता है मौनी अमावस्या का महत्व: सनातन धर्म में मौनी अमावस्या का बहुत महत्व माना गया है. कहा जाता है कि, इस तिथि पर संसार के प्रथम योगीपुरुष ऋषि मनु का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन को ईश्वर से क्षमा याचना और तपस्या के लिए अत्यंत शुभ माना गया है. इस दिन याचक मौन व्रत धारण करते हैं. जिस वजह से इसे मौनी अमावस्या नाम दिया गया है. मौनी अमावस्या मध्य माघ यानी माघ के महीने के मध्य में आती है. इसलिए इसे माघी अमावस्या भी कहा जाता है.

विधि विधान के साथ व्रत: मौनी अमावस्या पर पूजा पाठ करना और मन में मंत्रोच्चार करना चाहिए पूजन भी विधि विधान से करना फलदायी होता है. इसके लिए सुबह ब्रह्म महूर्त में उठकर घर की साफ सफाई कर नदी में स्नान करना चाहिए. घर में हो तो पानी में गंगाजल मिश्रित कर ले. पवित्र जल से स्नान करते समय मंत्रोचार करना चाहिए. मौनी अमावस्या पर स्नान के समय ये मंत्र 'गंगा च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन संनिधिम कुरु' का उच्चार किया जाता है. स्नान के बाद भगवान विष्णु का ध्यान कर मौन व्रत धारण करना चाहिए. मौन व्रत के समय भी मन में मंत्र का उच्चार करना चाहिए. घाट में यदि तुलसी का पौधा हो तो उसकी 108 फेरी लगाएं. गरीबों का दान पुण्य करना भी अच्छा रहता है.

पूर्वजों के लिए भी करना चाहिए पूजन: मौनी अमावस्या पर पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए भी पूजा की जाती है. इसके लिए ईश्वर से उनका स्मरण करते हुए आत्मा की शांति की प्रार्थना करना चाहिए. एक लोटे में जल भर कर उसमे लाल फूल और केल तिल मिलाकर उस जल से सूर्य देव को अर्घ देना चाहिए. इसके बाद पीपल के पेड़ की 108 फेरी लगा कर सफ़ेद मिठाई चढ़ाना चाहिए साथ ही गरीबों को आंवला, तिल के लड्डू, तिल का तेल, कंबल आदि दान करना चाहिए.

योग का महत्व: 30 वर्ष बाद विशेष योग, महापर्व के रूप में मनायी जाएगी मौनी अमावस्या. ज्योतिष गणित और पंचांग के अनुसार मौनी अमावस्या 21 जनवरी की सुबह 06 बजकर 19 मिनट पर प्रारंभ होगी और 22 जनवरी की रात 02 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी. मौनी अमावस्या पर इस बार 30 वर्ष बाद विशेष खप्पर योग बन रहा है. इस योग का महत्व शनि के कुंडली में शुभ प्रभाव के लिए किए जाने वाले उपाय और धार्मिक कार्यों के लिए विशेष रूप से माना जाता है और हाल ही में 17 जनवरी को शनि राशि परिवर्तन कर कुम्भ राशि में प्रवेश कर चुके है इसलिए मौनी अमावस्या पर्व बहुत शुभ योग में पड़ रहा है. चूँकि शुक्र की युति, मकर राशि में सूर्य और त्रिकोण की स्थिति की वजह से खप्पर योग बन रहा है. इस बाआर यह योग 30 वर्ष बाद बना है. ऐसे में इस बार मौनी अमावस्या महापर्व के रूप में मनाई जाएगी.

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डिस्क्लेमर-इस लेख में दी गई जानकारी पौराणिक मान्यताओं और ज्योतिषविदों की जानकारी ज्योतिष गणना के आधार पर है, ETV Bharat इसके पूर्ण सत्य होने का दावा नहीं करता है.

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