उज्जैन/सीहोर। अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद वहां हालात बिगड़ते जा रहे हैं. लोग देश छोड़ने को मजबूर हैं. ऐसे में बड़ी संख्या में लोग अब भारत में शरण भी ले रहे हैं. इस बीच उज्जैन से 50 किलोमीटर दूर नागदा के रहने वाले शिक्षक और समाजसेवी मनोज राठी ने सभी शरणार्थियों के लिए मदद का हाथ बढ़ाया है. समाजसेवी मनोज राठी ने अफगानिस्तान छोड़कर आए अफगानी नागरिक और हिन्दुस्तानियों के अनाथ हुए बच्चों की 21 साल तक पूरी परवरिश करने की बात कही है.
राठी ने बताया कि अफगानिस्तान में कई हिन्दू और सिक्ख परिवार बेघर हो गए हैं. कई बच्चों के माता-पिता उनसे बिछड़ चुके हैं. अगर ऐसे भी कोई बच्चे हिन्दुस्तान आते हैं तो उनकी पूरी जिम्मेदारी मोहन श्री फाउंडेशन उठाने को तैयार है. वहीं सीहोर के एक पठान परिवार के रिश्तेदार तालिबान में भी फंसे हुए हैं, जिन्होंने भारत में रहने की इच्छा जताई है.
दूसरे बच्चों को 21 साल तक शिक्षा दे रहे मनोज
उज्जैन के नागदा में रहने वाले समाजसेवी मनोज राठी ने मानवता की मिसाल पेश की है. वह अपने ही नहीं बल्कि दूसरे देश से आए बच्चों को भी रखने को तैयार हैं. बच्चों के 21 साल का होने तक वह सम्पूर्ण व्यवस्था की जिम्मेदारी ले रहे हैं. मनोज राठी ने बताया कि जिस तरह से टीवी पर वह रोजाना देख रहे हैं कि अफगानिस्तान में हालात खराब हैं, अगर वहां से भारत में आकर कोई बच्चा रहना और पढ़ाई करना चाहता है, तो नागदा का मोहन श्री विद्यापीठ उनके लिए खुला है.
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स्कूल की शुरुआत 2013 में हुई थी
समाजसेवी मनोज राठी ने निशुल्क स्कूल की शुरुआत साल 2013 में की थी. गरीब बच्चों के लिए उन्होंने श्री मोहन श्री विद्यापीठ नामक स्कूल कोला था. इस स्कूल में फिलहाल 350 बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के बड़े स्कूलों जैसी शिक्षा दी जा रही है. फिलहाल स्कूल में 5वीं क्लास तक की पढ़ाई हो रही है. वहीं अनाथ या फिर प्रताड़ित होकर घर छोड़ दिए 13 बच्चों का रहना और खाना-पीना भी मनोज राठी अपने स्कूल में ही कर रहे हैं.
श्री मोहन श्री विद्यापीठ स्कूल में सभी धर्मों के बच्चों को रखा जाता है. मोहन श्री विद्यापीठ में रहने वाले 13 बच्चों में से 2 बच्चे मुस्लिम समाज से है. इन सभी पर समाजसेवी मनोज राठी प्रति माह करीब 50 हजार रुपए खर्चा करते हैं. स्कूल में मुफ्त पढ़ाई कर रहे 350 बच्चों पर 70 हजार अलग से खर्च होता है. उनके स्कूल में फिलहाल 10 लोगों का स्टाफ है.
सीहोर के पठान परिवार के रिश्तेदार फंसे
अफगानिस्तान में अब तालिबान का शासन है. लोग डर के मारे अब देश छोड़ वापस अपने मुल्क लौट रहे हैं. वहीं सीहोर में एक अफगान परिवार भी है, जिसे अपने रिश्तेदारों की चिंता सता रही है. दरअसल सीहोर के पठान परिवार के कई रिश्तेदार अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं, तालिबान के आने के बाद सभी देश छोड़ना चाहते हैं. लेकिन छोड़ नहीं पा रहे. इस बीच सीहोर का पठान परिवार लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से उनके संपर्क में है. अब रिश्तेदार भी भारत आने की इच्छा जाहिर कर रहे हैं.
अफगानिस्तान से लोग भारत आने को इच्छुक
सीहोर के दीवानबाग क्षेत्र में लंबे समय से यह पठान परिवार निवासरत है. जिनके पूर्वज अफगानिस्तान से भारत आए थे. पठान परिवार के सदस्य इरफान पठान ने ईटीवी भारत से चर्चा के दौरान बताया कि उनके कई रिश्तेदार इस समय अफगानिस्तान में रहते हैं, जो तालिबान के सत्ता में आने के बाद खुद को असहज महसूस करते हैं, और भारत आने के इच्छुक हैं.