Shardiya Navratri 2022: मंत्रमय सिद्ध ग्रंथ है दुर्गा सप्तशती, नवरात्रि में पाठ करने से हर मनोकामना पूरी

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Published : Sep 24, 2022, 4:57 PM IST

Recite Durga Saptashati On Navratri

26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रही हैं. श्रद्धालु विभिन्न तरीकों से मां को रिझाने में लगे हुए हैं. कई लोग इस दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करते हैं. नवरात्रि के दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से सभी मनोकामना पूरी होती है. आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य श्याम मनोहर चतुर्वेदी से दुर्गा सप्तशती के बारे में, Shardiya Navratri 2022, Navratri Puja Muhurat, Recite Durga Saptashati On Navratri

सागर। शारदीय नवरात्र 26 सितंबर से प्रारंभ होने वाली है. मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भक्त नवरात्रि के अवसर पर पूजा अर्चना करते हैं. नवरात्रि के अवसर पर दुर्गा सप्तशती का पाठ काफी महत्वपूर्ण माना गया है. दुर्गा सप्तशती को मंत्रमय सिद्ध ग्रंथ के नाम से जाना जाता है. नवरात्रि के अवसर पर दुर्गा सप्तशती का पाठ करने पर हर मनोकामना पूरी होती है, क्योंकि दुर्गा सप्तशती का हर श्लोक एक तरह से मंत्र का काम करता है इसीलिए इसे मंत्रमय सिद्ध ग्रंथ कहते हैं. आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य श्याम मनोहर चतुर्वेदी से दुर्गा सप्तशती के बारे में, (Shardiya Navratri 2022)

शारदीय नवरात्रि 2022

वेदव्यास ने की थी दुर्गा सप्तशती की रचना: पंडित डॉक्टर श्याम मनोहर चतुर्वेदी बताते हैं कि दुर्गा सप्तशती सनातन धर्म का सिद्ध मंत्रमय ग्रंथ है. मार्कंडेय पुराण के 81 अध्याय से लेकर 93 अध्याय तक श्री चंडी देवी के महत्व का वर्णन किया गया है. इसे ही दुर्गा सप्तशती के नाम से जानते हैं. यह ऋषि वेदव्यास ने लिखा था. लोग मानते हैं कि इसकी रचना मार्कंडेय ने की थी, लेकिन यह भ्रांति है. मार्कंडेय पुराण की रचना ऋषि वेदव्यास ने की थी. (Recite Durga Saptashati On Navratri)

क्यों मंत्र का नाम पड़ा दुर्गा सप्तशती: पंडित श्याम मनोहर चतुर्वेदी बताते हैं कि इस मंत्र में ग्रंथ का नाम दुर्गा सप्तशती पड़ा क्योंकि इस ग्रंथ में 13 अध्याय हैं और 57 उवाच हैं. इसके साथ में 42 अर्धश्लोक हैं और 535 श्लोक हैं. अवधानानि श्लोक 66 हैं. कुल मिलाकर इनकी संख्या 700 होती है, इसलिए इसे सप्तशती कहा जाता है. अर्थात इस पूरे ग्रंथ को दुर्गा सप्तशती के नाम से जाना जाता है. (Navratri Puja Muhurat)

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दुर्गा सप्तशती के 3 चरित्र: दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय का पाठ प्रथम चरित्र कहलाता है. दूसरे अध्याय से लेकर चौथे अध्याय तक का पाठ मध्यम चरित्र कहलाता है, और पांचवें अध्याय से लेकर 13 अध्याय तक का पाठ उत्तर चरित्र के नाम से जाना जाता है.

दुर्गा सप्तशती के तीन रहस्य: दुर्गा सप्तशती के 3 रहस्य कहे जाते हैं, जिनमें पहला रहस्य प्राधानिक कहा जाता है. दूसरा रहस्य प्राकृतिक कहा जाता है, और तीसरा रहस्य वैकृतिक कहा जाता है. (Navratri per karen Durga Saptashati Ka Path)

सप्तशती का हर श्लोक है मंत्र: पंडित डॉक्टर श्याम मनोहर चतुर्वेदी बताते हैं कि दुर्गा सप्तशती मंत्र मय ग्रंथ है. इसका एक एक श्लोक मंत्र का काम करता है. रिद्धि सिद्धि के लिए, रोग नाश, यश कीर्ति के लिए तमाम तरह के मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है, इसीलिए इसे मंत्र मय ग्रंथ कहा गया है. (Recite Durga Saptashati On Navratri)

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