Ratlam Mayor: गुदड़ी का लाल ! सब्जी और दूध बेचने वाला किसान का बेटा बना महापौर

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Published : Jul 21, 2022, 7:04 AM IST

Prahlad Patel

मध्य प्रदेश में हुए निकाय चुनाव ने ऐसे लोगों को सामने लाकर खड़ा कर दिया जिन्होंने अपनी जिंदगी कड़ी मेहनत कर खुद गढ़ी है. अब चाहे रतलाम के प्रह्लाद पटेल हों या फिर छिंदवाड़ा के एक गरीब परिवार के बेटे विक्रम आहके, दोनों को जनता ने महापौर बनकर एक मिसाल समाज को दी है.

रतलाम/भोपाल। जनता को कौन सा राजनेता अपना हितैषी नजर आ जाए, इसकी कल्पना करना आसान नहीं है. यही कारण है कि कई बार अप्रत्याशित नतीजे सामने आते हैं. मध्यप्रदेश के रतलाम से महापौर का चुनाव जीतने वाले प्रह्लाद पटेल किसान के बेटे हैं और वे सब्जी और दूध भी बेचा करते थे.

Chhindwara Mayor 2022: शादियों में जूठी प्लेट उठाने वाला बना महापौर, संघर्ष की कहानी सुनकर रह जाएंगे हैरान

राज्य में हुए नगरीय निकाय के चुनाव में भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही दलों ने कई स्थानों पर नए चेहरों को मौका दिया. दोनों ही दलों ने कई ऐसे उम्मीदवार मैदान में उतारे जिनकी लोग कल्पना भी नहीं कर सकते थे, उन्हीं में से एक थे रतलाम के प्रह्लाद पटेल जिन्हें भाजपा ने उम्मीदवार बनाया. पटेल इससे पहले पार्षद भी रह चुके हैं.

'मेरी पृष्ठभूमि किसान परिवार की है' : पटेल खुद कहते हैं कि- " मेरी पृष्ठभूमि किसान परिवार की है और उन्होंने सब्जी और दूध भी बेचा है. यह उनकी बड़ी सफलता है और जनता का प्यार है जो वे महापौर निर्वाचित हुए हैं. पटेल अपना राजनीतिक गुरु और संरक्षक क्षेत्रीय विधायक चेतन कश्यप को मानते हैं." भाजपा में रतलाम में उम्मीदवार तय करने को लेकर काफी जद्दोजहद चली थी और लंबे विचार-विमर्श के बाद प्रहलाद पटेल को उम्मीदवार बनाया गया था. (Ratlam Mayor Election 2022)( Prahlad Patel son of farmer who sells vegetables)

शादियों में जूठी प्लेट उठाने वाला बना छिंदवाड़ा का महापौर: कोई भी सफलता के पीछे संघर्षों की एक बड़ी कहानी होती है, ऐसी ही कहानी है मध्य प्रदेश में सबसे कम उम्र के छिंदवाड़ा नगर निगम के महापौर बने विक्रम आहाके की. 31 साल के विक्रम के छिंदवाड़ा महापौर बनने के पीछे उनका संघर्ष सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे.(Chhindwara Mayor 2022) (Chhindwara Mayor Vikram Ahake)

Chhindwara Mayor Vikram Ahake
छिंदवाड़ा के नवनियुक्त महापौर विक्रम आहाके

पढ़ाई के दौरान कैटरिंग का काम: नवनियुक्त महापौर विक्रम आहाके ने बताया कि,"पढ़ाई के दौरान छुट्टियों के दिन में, मैं अपने परिवार का हाथ बंटाने के लिए छिंदवाड़ा में एक कैटरिंग सर्विस करने वाले व्यक्ति के पास काम करता था. इस दौरान मैंने शादियों के अलावा दूसरे सार्वजनिक कार्यक्रमों में जूठे बर्तन उठाने से लेकर, खाना परोसने तक का काम किया. इसके साथ ही मैंने मकानों के लिए नीव के गड्ढे खोदे, मेरी मां आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं उन्हें हर महीने 425 रुपए वेतन मिलता था. घर का खर्चा चलना मुश्किल होता था, इसलिए परिवार का खर्च चलाने के लिए मुझे काम करना पड़ता था."

सीआरपीएफ में दो बार लगी नौकरी कमलनाथ से प्रभावित होकर समाज सेवा की ठानी: छिंदवाड़ा महापौर विक्रम ने बताया कि, "मेरी सीआरपीएफ में दो बार नौकरी लग चुकी थी और एक बार पुलिस में, लेकिन मैंने समाज सेवा करने का फैसला लिया. मैं सीआरपीएफ की नौकरी का ज्वाइनिंग लेटर लेकर कमलनाथ के पास पहुंचा. इस दौरान मैंने उनसे कहा कि मैं आपके साथ जुड़कर समाज सेवा करना चाहता हूं, जिसके बाद मैंने राजनीति में आ गया."

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