Rupali Youngest Councilor: इंदौर की नगर सरकार, डॉक्टरी छोड़कर वार्ड संभालेगी 23 साल की युवा पार्षद

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Published : Jul 21, 2022, 11:17 AM IST

Rupali Pendharkar Became councilor of indore ward 59

23 साल की एक युवा पार्षद अब इंदौर समेत प्रदेश के उन युवाओं के लिए नसीहत बन चुकी है जो राजनीति और नेतागिरी से नफरत करते हैं. रूपाली अरुण पेंढारकर (Rupali Arun Pendharkar) ने डॉक्टरी की पढ़ाई बीच में छोड़ने के बाद पार्षद का चुनाव जीता है. वह अब अपने वार्ड को सबसे स्वच्छ वार्ड बनाने के लिए मैदान संभाल चुकी हैं.(Indore Councilor Election 2022) (Rupali Pendharkar Became councilor of indore ward 59)

इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर की जनता ने इस बार सबसे कम उम्र की पार्षद को चुना है. भाजपा की पार्षद 23 साल की पार्षद डॉक्टर बनने की तैयारी कर रही थीं. लेकिन अब अपने वार्ड को संभालेंगी. रूपाली अरुण पेंढारकर (Rupali Arun Pendharkar) भाजपा कार्यकर्ता अरुण पेंढारकर की बेटी हैं. रूपाली ने बीएएमएस की पढ़ाई करते हुए कभी नहीं सोचा था कि उसे अपने पिता के स्थान पर राजनीति में उतरना पड़ेगा. लेकिन नगरी निकाय चुनावों में वार्ड आरक्षण के जो परिदृश्य बने उसमें भाजपा ने वार्ड 59 के लिए रुपाली को ही अपना प्रत्याशी चुना. नतीजतन 23 साल की युवती को डॉक्टरी की पढ़ाई छोड़ चुनावी मैदान में सक्रिय होना पड़ा.

सबसे कम उम्र की पार्षद बनीं रूपाली पेंढारकर

रूपाली को मिले सबसे ज्यादा वोट: कार्यकर्ताओं की बदौलत कुछ ही दिनों में रूपाली ने अपने वार्ड के मतदाताओं में ऐसी पैठ बनाई कि क्षेत्र के हर घर से उसे अन्य प्रत्याशियों की तुलना में ज्यादा वोट मिले और रूपाली पार्षद बन गईं. रुपाली का कहना है कि राजनीति की फील्ड में यह उनका पहला कदम है. अब वह इस फील्ड में ही धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहती हैं. पार्षद बनने के बाद वे अपने वार्ड के विकास के साथ ही लोगों की जो कॉमन समस्या है उसे भी दूर करेंगी.

युवाओं की आइकॉन बनी रूपाली: अब सबसे कम उम्र की इस पार्षद की कोशिश है कि देश में सबसे स्वच्छ शहर के हिसाब से उनके वार्ड को भी सबसे स्वच्छ वार्ड में तब्दील किया जा सके. ऐसा इसलिए भी है कि खुद रूपाली और उनकी सहेलियों को स्वच्छता की चिंता सर्वाधिक रहती थी. यही नहीं क्षेत्र के आसपास स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट स्वीकृत होने के कारण रूपाली के वार्ड के लोग भी अपने वार्ड को स्मार्ट वार्ड बनाना चाहते थे. यही वजह रही कि उन्होंने अपने वार्ड में सबसे युवा उम्मीदवार को तरजीह दी और रुपाली को पार्षद बनाया. नतीजतन अब रूपाली अपनी उम्र के अन्य युवाओं के लिए भी एक आइकॉन बन चुकी हैं.

''मेरे पिता 35 सालों से भाजपा से सक्रिय कार्यकर्ता हैं. मैं अपने पिता को जनसेवा करते हुए देखकर बड़ी हुई हूं. मेरा भी सपना था बड़ी होकर जनसेवा करूं. लेकिन आजकर युवाओं का राजनीति में इंटरेस्ट कम है खासकर लड़कियों में. मैं कुछ ऐसा करना चाहती हूं कि लोग पॉलिटिक्स में इंटरेस्ट लें. पॉलिटिक्स बहुत अच्छी चीज है. हमें जनता से डायरेक्ट जुड़ने का मौका मिलता है. नेता सिर्फ वोट मांगने नहीं आता, वह काम भी करता है''. -रूपाली अरुण पेंढारकर, युवा पार्षद

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युवाओं को आगे आना होगा: इंदौर के वार्ड क्रमांक 59 की पार्षद रूपाली पेंढारकर का मानना है कि ''देश की राजनीति में आज पढ़े लिखे युवाओं की जरूरत है. क्योंकि वह देश को विकास की गति देना चाहते हैं लेकिन युवाओं का एक बड़ा वर्ग राजनीति से नफरत करता है. राजनीति में ज्यादा लोगों से जुड़ाव और संपर्क संभव है इसलिए युवाओं को इस क्षेत्र से दूरियां मिटा कर अपने सपनों को साकार करने के लिए आगे आना होगा''.

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