BJP lost Gwalior Mayor Seat: ग्वालियर में कांग्रेस ने भाजपा का 57 साल का किला ढहाया, क्या सिंधिया-तोमर की जोड़ी जनता को पसंद नहीं आई?

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Published : Jul 18, 2022, 1:10 PM IST

BJP lost in Gwalior after 57 years

ग्वालियर नगर निगम चुनाव में बड़ा उलटफेर हुआ है. कांग्रेस यहां 57 साल बाद जीती है. ग्वालियर चंबल अंचल बीजेपी का गढ़ माना जाता है लेकिन दिग्गज नेताओं की गुटबाजी के चलते पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा. महापौर की कुर्सी पर कांग्रेस का कब्जा हो गया है. कांग्रेस महापौर प्रत्याशी शोभा सिकरवार ने भाजपा की सुमन शर्मा को 28805 मतों से हराया है. कांग्रेस कुल वोट 2,35,154 मिले तो वही भाजपा कुल वोट 2,06,349 मिले.(BJP lost in Gwalior after 57 years)

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर नगर निगम में 57 साल बाद कांग्रेस ने इतिहास रचा है. अब की बार कांग्रेस का ऐसा जादू चला जिसमें बीजेपी का सूपड़ा साफ कर दिया. कांग्रेस की महापौर प्रत्याशी शोभा सिकरवार ने भाजपा की सुमन शर्मा को 28805 मतों से हराया. कांग्रेस कुल वोट 2,35,154 मिले तो वही भाजपा कुल वोट 2,06,349 मिले. इस निकाय चुनाव में बीजेपी हारी ही नहीं है बल्कि शर्मनाक दौर से गुजरी है. इतिहास में पहली बार देखने को मिला है कि बीजेपी को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा है. मतगणना के दौरान पहले राउंड से लेकर अंतिम राउंड तक बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा. मतलब हर राउंड में कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी शिकस्त दी है.

ग्वालियर में कांग्रेस की महापौर बनी

कांग्रेस ने ढहाया भाजपा के 57 साल का किला: ग्वालियर के नगरीय निकाय चुनाव में बीजेपी के किले को कांग्रेस ने ढहा दिया. इतिहास में ऐसा पहली बार देखने को मिला है कि मतगणना के दौरान जब पहले राउंड की गिनती शुरू हुई तो उसी समय से बीजेपी की हार शुरू हो गई और हालात ऐसे बने कि हर राउंड में कांग्रेस ने बीजेपी को आगे नहीं बढ़ने दिया. जब पहले राउंड की शुरुआत हुई तो बीजेपी के खाते में 13674 वोट तो वहीं कांग्रेस को 12297 वोट मिले. दूसरे राउंड में बीजेपी को 13963 तो और कांग्रेस 12154 वोट मिले. ऐसे ही कुल 35 राउंड हुए और इन 35 राउंड में बीजेपी कांग्रेस से आगे नहीं निकल पाई.

अपने वार्ड भी नहीं बचा सके दिग्गज नेता: कांग्रेस की आंधी में बीजेपी के बड़े दिग्गज अपने वार्ड को भी नहीं बचा पाए. चुनाव से पहले बीजेपी के बड़े दिग्गज नेता केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर सहित तमाम सरकार के मंत्री पूरी ताकत के साथ लगे रहे. लेकिन नतीजों ने भाजपा को बड़ा झटका दे दिया. बीजेपी के बड़े दिग्गज नेता अपने वार्ड को भी नहीं बचा सके.इन नेताओं के वार्डों में भाजपा प्रत्याशियों को करारी शिकस्त मिली है.

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सिंधिया-तोमर की साख और वर्चस्व नहीं आया काम: ऐसा पहली बार देखने को मिला है कि बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर लगातार जी-तोड़ मेहनत करते रहे. लेकिन उनका जादू अबकी बार नहीं चल पाया. इसका सबसे बड़ा कारण पार्टी के अंदर की गुटबाजी रही. इन दोनों नेताओं में कहीं ना कहीं गुटबाजी हावी है. इसी गुटबाजी के कारण बीजेपी ने अपने 57 साल तक संभाले रखे इस अभेद सियासी दुर्ग को ढहा दिया. अब बीजेपी की इस करारी हार के बाद सिंधिया और तोमर की साख पर असर आगामी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है.

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