Shardiya Navratri 2022: मां चंद्रघंटा की पूजा से बढ़ती है शक्ति और वीरता, जानें पूजा विधि, मंत्र और भोग, शुभ मुहूर्त

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Published : Sep 28, 2022, 6:41 AM IST

Maa Chandraghanta favorite color

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा का विधान है. अपने वाहन सिंह पर सवार मां का यह स्वरुप युद्ध और दुष्टों का नाश करने के लिए तत्पर रहता है. वहीं देवी चंद्रघंटा मां दुर्गा का ही शक्ति रूप है, जो सम्पूर्ण जगत की पीड़ा का नाश करती हैं. (Shardiya Navratri 2022) (Maa Chandraghanta favorite color) (Navratri 2022 wishes)

भोपाल। शारदीय नवरात्र पर माता दुर्गा के अलग-अलग रूपों के दर्शन, पूजन का क्रम जारी है और आज नवरात्र का तीसरा दिन है. तीसरे दिन नवरात्रि के पावन पर्व पर माता चंद्रघंटा के पूजन का विधान है. चंद्रघंटा जैसा की नाम से प्रतीत हो रहा है. सिर पर चंद्र और हाथों में घंटा लिए देवी के स्वरूप का पूजन करने से जीवन में जो सबसे बड़े शत्रु माने जाते हैं. अहंकार, क्रोध, काम इन सभी से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा माता चंद्रघंटा सभी कष्टों का निवारण भी करती हैं. तो कैसे करें नवरात्र के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा का पूजन और किन मंत्रों से करें मां को प्रसन्न आप भी जानिए.(Shardiya Navratri 2022) (Maa Chandraghanta favorite color)

देव के तेज से प्रकट हुआ तेजपुंज: नवरात्र में माता को 9 दिन अलग-अलग प्रकार के भोग लगाए जाते हैं. इन भोगों को लगाने मात्र से आप माता की कृपा पा सकते हैं, नवरात्र का तीसरा दिन चंद्रघंटा देवी का दिन होता है. माता का यह स्वरूप भक्तों को अभय दान देने के लिए माना जाता है. दुर्गा सप्तशती के अनुसार माता चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध किया था. महिषासुर से हारे हुए इंद्र आदि देवता जब ब्रह्मा विष्णु महेश की शरण में पहुंचे, तो इन त्रिदेव के तेज से एक एक तेजपुंज प्रकट हुआ और सभी देवताओं के शरीर से भी एक तेज पुंज प्रकट हुआ. जिसने नारी का रूप लिया.

माता ने किया था महिषासुर का वध: इस माता को हर देवता ने अपने अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए, भगवान विष्णु जी ने अपने चक्र से चक, ब्रह्मा जी ने कमंडल से कमंडल तो महादेव जी ने अपने त्रिशूल से त्रिशूल दिया और अपना अर्धचंद्र भी इन्हें प्रदान किया. जिसके बाद इनका नाम चंद्रघंटा विख्यात हुआ. इंद्र ने वज्र से वज्र, इसी प्रकार सभी देवताओं ने जो जो शक्तियां और अस्त्र-शस्त्र उनके पास है. वैसे ही अस्त्र-शस्त्र माता को भेंट किए. माता को घंटा भी प्रदान किया गया. जिसके नाद से राक्षसों का तेज हनन होता है. महिषासुर के वध के समय माता ने सबसे पहले इसी घंटे को बजा कर पूरे वातावरण को क्षुब्ध कर दिया था और अर्ध चंद्रमा धारण किए हुए माता महिषासुर का वध करने पहुंची और उसे मार गिराया.

दोष से मिलती है मुक्ति:पंडित विष्णु राजोरिया के अनुसार माता चंद्रघंटा को सफेद वस्तुएं बेहद प्रिय है. ऐसे में तीसरे दिन माता चंद्रघंटा को दूध का भोग लगाना चाहिए. इसके साथ ही दूध से बने हुए व्यंजन और मिठाई भी लगाना चाहिए. माता के स्मरण मात्र से ही राक्षस और शत्रुओं का नाश होता है. अगर व्यक्ति नवरात्र के तीसरे दिन पूजन करता है. माता चंद्रघंटा के स्वरूप को ध्यान में रखते हुए दूध का भोग अर्पित करता है तो उसे सभी रोग दोष से उसे मुक्ति मिलती है.

इस मंत्र से करें मां की पूजा
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चंदकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।

नवरात्रि व्रत के नियम

  • नवरात्रि के व्रत में इन नियमों का पालन जरूर करना चाहिए.
  • नवरात्रि के 9 दिनों तक पूरी श्रद्धा भक्ति से मां की पूजा करें.
  • नवरात्रि के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए.
  • व्रती दिन के समय फल और दूध का सेवन कर सकता है.
  • शाम के समय मां की आरती करके परिवार के लोगों को प्रसाद बांटकर खुद भी प्रसाद ग्रहण करें.
  • नवरात्रि के दौरान भोजन ग्रहण न करें सिर्फ फलाहार ग्रहण करें.
  • अष्‍टमी या नवमी के दिन नौ कन्‍याओं को भोजन करवाकर उन्‍हें उपहार और दक्षिणा दें.
  • अगर संभव हो तो हवन के साथ नवमी के दिन व्रत का पारण करें.

Shardiya Navratri 2022: नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की होती है पूजा, जानें कौन सा भोग लगाकर मां को करें प्रसन्न

माता का स्वरूप: अभी तक हमने आपको माता के तीन रूपों के बारे में बताया है,पहला स्वरूप माता का शैलपुत्री का था जिन्हें घी और ताजे मक्खन का भोग लगाया जाता है. दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी देवी का था जिन्हें शक्कर और मिश्री का भोग लगाया जाता है. तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा का है जिन्हें दूध और दूध से बनी मिठाई आदि का भोग लगाया जाता है. (Shardiya Navratri 2022) (Maa Chandraghanta favorite color) (Navratri 2022 wishes)

मां चंद्रघंटा की करें इन शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:36 से 05:24 शाम.
विजय मुहूर्त: सुबह 02:11- 02:59 शाम.
गोधूलि मुहूर्त: सुबह 05:59 से 06:23 शाम.
अमृत काल: सुबह 09:12 से 10:47 शाम.

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