MP Gandhi Poetry Controversy कवि देवकृष्ण व्यास का खेद व्यक्त करने से इनकार बोले, गांधी हमारे पूज्यनीय, जिन्ना को कहा था खलनायक

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Published : Aug 13, 2022, 8:08 PM IST

Updated : Aug 13, 2022, 9:14 PM IST

Gandhi Poetry Controversy

ETV BHART की टीम को इस मामले लेकर व्यास ने सफाई दी और कहा मेरे द्वारा किए गए काव्यपाठ को तूल देने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने इस पूरे मामले पर किसी तरह का खेद व्यक्त करने से इनकार करते हुए कहा कि गांधी हमारे पूज्यनीय हैं कविता में उन्हें नायक कहा गया है जबकि खलनायक देश के बंटवारे के लिए जिम्मेदार जिन्ना को बताया गया है. (Gandhi Poetry Controvers) (MP Gandhi Poetry Controversy)

देवास। कवि देवकृष्ण व्यास की एक कविता की कुछ पंक्तियों को लेकर बवाल मच गया है. आरोप है कि अपनी कविता में उन्होंनें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को देश का खलनायक बताया है. ETV BHART की टीम ने इस पूरे मामले पर कवि देवकृष्ण व्यास से बातचीत की.हालांकि उन्होंने इस पूरे मामले पर किसी तरह का खेद व्यक्त करने से इनकार करते हुए कहा कि गांधी हमारे पूज्यनीय हैं (Gandhi Poetry Controvers) कविता में उन्हें नायक कहा गया है, जबकि खलनायक देश के बंटवारे के लिए जिम्मेदार जिन्ना को बताया गया है. उन्होंने कहा कि लोगों ने अपनी समझ के मुताबिक इसका मतलब निकाल लिया. मुझे ऐसा लिखने और कहने पर किसी तरह का कोई खेद नहीं है.

गांधी पर पढ़ी गई कविता से हुआ बवाल

राजकोट में हुआ था कविता पाठ: इस पूरे मामले पर सफाई देते हुए मध्य प्रदेश के देवास के रहने वाले कवि देवकृष्ण व्यास ने ईटीवी से बातचीत के दौरान बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर पिछले दिनों जुलाई में गुजरात के राजकोट में अखंड काव्य महाकुंभ का आयोजन हुआ. (MP Gandhi Poetry Controversy) कार्यक्रम में देशभर से 75 कवि पहुंचे थे. यहीं मैने इस कविता का पाठ किया था. कविता को लोगों का खूब समर्थन मिला और वहां मौजूद भीड़ इसे फिर से सुनना चाहती थी. लोग वन्स मोर वन्स मोर की डिमांड कर रहे थे. कवि व्यास ने इस पर सफाई देते हुए कहा है कि मेरे द्वारा किए गए काव्यपाठ को तूल देने का प्रयास किया जा रहा, जबकि उसमें गांधी जी आजादी का नायक बताया गया है.

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यह है पूरा मामला: मध्यप्रदेश के देवास के कवि देव कृष्ण व्यास ने पिछले दिनों गुजरात के राजकोट में हुए एक आयोजन में जिस कविता का पाठ किया. वह कविता उन्होंने आज़ादी के अमृत महोत्सव के मौके पर ही लिखी थी. कविता का शीर्षक ही है - आज़ादी की दुल्हन अपनी हुई 75 साल की. कविता की जिन पंक्तियों पर विवाद हुआ है, उनमें कवि अघोषित रूप से महात्मा गांधी को (Gandhi Poetry Controversy) संबोधित करते हुए कहते हैं पूछ रहा हूं बापू तुमसे ऐसी मन में ठानी क्यों, एक हठधर्मी था जिन्ना तो उसकी बातें मानी क्यों, आजादी के नायक थे तुम, कैसे खलनायक जीत गए. चरखा- चरखा करते थे सब, जब जरुरत पड़ी मशाल की, आज़ादी की दुल्हन अपनी हुई 75 साल की. कविता के ही एक दूसरे हिस्से में वे कहते हैं सुभाष का उपहास उड़ाया और नेहरू से मोह किया. कविता में एक जगह कवि लिखते हैं, गांधी जी के अनुयायी सब रघुपति राघव गाते थे बिगुल बजाना था जिनको मिलकर बीन बजाते थे. राजकोट से वायरल हुई कविता की इन पंक्तियों पर अब देशभर में बवाल मचा है. कहा जा रहा है कि कवि ने केवल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ही नहीं, उनमें आस्था रखने वाली बड़ी आबादी का भी अपमान किया है.

इन पंक्तियों से उठा विवाद : राजगुरु सुखदेव भगत सिंह फांसी का फंदा याद हमें
तुष्टिकरण की राजनीति का गोरखधंधा याद हमें

भारत मां का था बंटवारा हमें अभी तक खलता है

कितना अत्याचार हुआ था सुनकर खून उबलता है.

लाशों के ऊपर प्रधान प्रतिष्ठा हुई जवाहर लाल की

सुभाष का उपहास उड़ाया और नेहरू से मोह किया
आज़ाद हिंद हो सारा अपना सेना ने विद्रोह किया

गांधी जी के अनुयायी सब रघुपति राघव गाते थे

बिगुल बजाना था जिनको मिलकर बीन बजाते थे.

चरखा चरखा करते थे सब,जब जरुरत पड़ी मशाल की

आज़ादी की दुल्हन अपनी हुई 75 साल की

पूछ रहा हूं बापू तुमसे ऐसी मन में ठानी क्यों

एक हठधर्मी था जिन्ना तो उसकी बातें मानी क्यों

आजादी के नायक थे तुम कैसे खलनायक जीत गए

माता के बंटवारे को साल 75 बीत गए

हमें अधूरी दी आज़ादी, बिना खड्ग और ढाल की

आज़ादी की दुल्हन अपनी हुई 75 साल की

लेखक और कवियों ने उठाई आपत्ति: वरिष्ठ कवि राजेश जोशी ने कवि महोदय को इतिहास पढ़ने की सलाह दी है. उन्होंने कहा है कि कवि महोदय अगर थोड़ा इतिहास पढ़ लेते तो इस तरह की मूर्खतापूर्ण पंक्तियां नहीं लिखते. चरखे पर रवीन्द्रनाथ और गांधी जी के बीच हुई चर्चा और महाकवि निराला द्वारा रवीन्द्रनाथ पर लिखे लेख ही पढ़ लें. आज़ादी के आंदोलन में चरखा, स्वदेशी के संघर्ष और विदेशी कपड़ों की होली ने मशाल से ज़्यादा आग और रोशनी पैदा की थी. वे कहते हैं मेरा सुझाव है इन कवि महोदय को कि कवि का काम सत्ता की चमचागिरी करना नहीं होता.

समूचे राष्ट्र की भावनाओं का अपमान : वरिष्ठ आलोचक लेखक विजय बहादुर सिंह कहते हैं देवास के कोई कवि हैं देवकृष्ण व्यास. आजादी के अमृत महोत्सव काल में राष्ट्रीय आन्दोलन में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की भूमिका पर सवाल उठाती जिस कविता का वे जगह- जगह पाठ करने निकल पड़े हैं, वह समूचे राष्ट्र की भावनाओं का अपमान है. उनका यह आचरण राष्ट्रीय अपमान की एक घिनौनी कोशिश है. जो किसी भी क्षमा के योग्य नहीं. ये गांधी जी से ज्यादा भारत की उस विशाल आबादी का अपमान है जो बापू की भूमिका को लेकर श्रध्दावनत है.

ऐसी रचना अपराध की श्रेणी में : जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राम प्रकाश त्रिपाठी इसे अपराध की श्रेणी में रखते हैं. वे कहते हैं मालवा गांधीजी के आन्दोलन की सक्रिय भूमि रही है. कथित कवि ने गांधी की अवमानना कर, देवास सहित पूरे मालवा का अपमान किया है. मध्यप्रदेश के नाम पर भी बट्टा लगाया है.खेद है कि नाम मात्र के अपराधों में आम जन को जेल की हवा खिलाने वाली सरकार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की सार्वजनिक अवमानना कोई अपराध नहीं लगता?

मैंने जो भी लिखा, उसके पीछे तथ्य हैं : कवि देव कृष्ण व्यास ने इस पूरे बवाल पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मेरा पक्ष स्पष्ट है कि हमें अधूरी आज़ादी मिली. हमने तो अखंड भारत का स्वप्न देखा हमेशा से, लेकिन हमारे देश का एक हिस्सा तो कट गया. वही मैनें अपनी कविता में दर्शाया है. 1947 में देश आज़ाद हुआ लेकिन बंटवारा हो गया. चरखा चरखा करते थे कि जिस पंक्ति पर विरोध किया जा रहा है. इसके पीछे भी मेरा विचार ये है कि चरखे के साथ अगर मशाल भी जुड़ी होती तो आज़ादी का ये आंदोलन कोई और रूप ले चुका होता. वे कहते हैं मैने कविता में जिन्ना को खलनायक कहा है और महात्मा गांधी से पूछा है कि आजादी के नायक तुम थे तो खलनायक कैसे जीत गए. देवकृष्ण जी जोड़ते हैं मेरी कविता का मकसद किसी का अपमान करना, किसी को ठेस पहुंचाना कतई नहीं है.

Last Updated :Aug 13, 2022, 9:14 PM IST
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