भाईचारे की अद्भुत मिसाल:जानिए लक्ष्मी नारायण की कहानी, रमजान में बीते 50 साल से रख रहे हैं रोजा

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Published : Apr 27, 2022, 10:33 PM IST

Updated : Apr 28, 2022, 12:29 AM IST

Laxmi Narayan khandelwal keep roza for 50 years

मजहब नहीं सिखाता...मौजूदा दौर में इन लाइनों को अपने जीवन में उतार लेने वाले बहुत कम लोग हैं, लेकिन जो हैं वे सर्वधर्म समभाव और भाईचारे की भावना को मजबूत बनाए हुए हैं. इसका एक उदाहरण है भोपाल के लक्ष्मी नारायण खंडेलवाल. ये रमजान में दिनों में पांच वक्त नमाज पढ़ते हैं और रोजा भी रखते हैं.लक्ष्मी नारायण खंडेलवाल अजमेर शरीफ और विष्णों देवी की पैदल यात्रा भी कर चुके हैं. (Laxmi Narayan khandelwal keep fast in Roja)

भोपाल। ऐसे समय में जब भाईचारे पर नफरत की आंधी हावी वहीं भोपाल के एक शख्स आंधियों में भी सर्वधर्म समभाव की मशाल जलाए हुए हैं. भोपाल के लक्ष्मीनारायण खंडेलवाल ऐसे शख्स हैं जो दोनों धर्मों को अपनाते हुए 50 साल से रमजान के महीने में रोजा रखते हैं और नवरात्र में देवी आराधना भी करते हैं. खंडेलवाल आपसी प्रेम और भाईचारे को ही अपना धर्म और मानवता को सबसे बड़ी जाति मानते हैं. लक्ष्मी नारायण खंडेलवाल विष्णों देवी और अजमेर शरीफ की पैदल यात्राएं भी कर चुके हैं. (Laxmi Narayan khandelwal keeps fast in Roja).

लक्ष्मी नारायण खंडेलवाल 50 साल से रोजा रखते है

हर रोज पढ़ते हैं 5 वक्त की नमाज: पतंग कारोबारी लक्ष्मी नारायण खंडेलवाल गंगा-जमुनी तहजीब की मिशाल हैं. लक्ष्मी नारायण भले ही वैश्य हैं, लेकिन बीते 50 सालों से वे रमजान में लगातार रोजे रखते आ रहे हैं. यही नहीं वे रोजे के साथ हर रोज नमाज भी अदा करते हैं. वे हर साल नव दुर्गा के व्रत भी रखते हैं, और मां वैष्णों देवी के दर्शन करने पैदल जाते हैं. देश के कई राज्यों में मौजूदा माहौल को देखते हुए यही लगता है कि लक्ष्मी नारायण खंडेलवाल सर्वधर्म समभाव की जीती जागती मिशाल हैं. जिनकी हर जगह चर्चा हो रही है. (bhopal Laxmi Narayan khandelwal)

70 की उम्र 50 साल से यही दिनचर्या: नियम के अनुसार वे रोजाना मंदिर जाते हैं और रमजान के पूरे महीने रोजे भी रखते हैं. इन दिनों मस्जिद में रोजाना पांच वक्त की नमाज अदा करना उनकी दिनचर्या में शामिल है. लक्ष्मी नारायण खंडेलवाल की उम्र 70 वर्ष से अधिक है. उन्होंने लगभग 50 सालों से अपनी यही दिनचर्या बनाए रखी है. लक्ष्मी नारायण का कहना है कि धर्म का मतलब अच्छी शिक्षा है, नफरत सिखाने वाला कोई भी धर्म नहीं, वह खालिस राजनीति है.

इफ्तार के लिए कई तरह के बनते हैं व्यंजन: लक्ष्मी नारायण का कहना है कि वे इफ्तार (शाम के समय व्रत तोड़ना) के बाद कुछ नहीं खाते, सीधे सुबह की सहरी करते हैं. उन्हें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि उनके घर में उनके लिए तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं. वे अक्सर मस्जिद की इफ्तार में भी शामिल होते हैं. मस्जिद के इमाम और मुअज्जिन से लेकर यहां के इबादत करने वाले तक लक्ष्मी नारायण को जानते हैं और उनका सम्मान करते हैं. लक्ष्मी टॉकीज इलाके की नूरगंज मस्जिद के इमाम का कहना है कि यह हमारे देश की संस्कृति है जिसे कोई मिटा नहीं सकता. उनका कहना है कि मस्जिद में लक्ष्मी नारायण के आगमन को सभी स्वीकार करते हैं और इसे मानवता का नया लेख मानते हैं. (Hindu man perform ramadan fast)

रमजान की खुशियों पर महंगाई की मार, सहरी-इफ्तार का इंतजाम भी हुआ मुश्किल

नफरत के माहौल में खंडेलवाल जैसे लोगों की जरूरत: लक्ष्मी नारायण बताते हैं कि कहा कि जब मेरे व्यवहार की खबर ससुराल वालों तक पहुंची तो उन्हें वहां से भी सहयोग और प्रोत्साहन मिला. घर में भी तीन बेटे-बहू के अलावा परिजनों के बीच यह मामला कभी नहीं उठा. लक्ष्मी नारायण जैसे लोगों को देखकर यह कहा जा सकता है कि भारत की यह गंगा-जमुनी तहजीब और संस्कृति अपनेपन और भाईचारे की इसी ताकत से आने वाले दिनों में बांटने की राजनीति के खोखले प्रयासों को विफल कर देगी. आज हमारे देश ही नहीं दुनिया को भी लक्ष्मी नारायण खंडेलवाल जैसे लोगों की बहुत आवश्यकता है.

Last Updated :Apr 28, 2022, 12:29 AM IST
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