क्या भारत में बढ़ रही है भुखमरी? ग्लोबल हंगर इंडेक्स के आंकड़े सच या सरकार ?

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Published : Oct 19, 2021, 8:09 PM IST

Has hunger increased in India

ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) में भारत की रैकिंग को लेकर बहस जारी है. भारत सरकार ने लिस्टिंग और सैंपलिंग के तौर-तरीके सवाल उठाया है, जबकि ग्लोबल हंगर इंडेक्स का दावा है कि सभी देशों की ओर से स्वीकृत पैमाने पर ही रिपोर्ट बनाई गई है. भारत में क्या है कि कुपोषण और भूख की स्थिति. सरकार का दावा कितना सही है..पढ़ें रिपोर्ट.

हैदराबाद : ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) की लिस्ट में भारत 101वें पायदान पर है. जीएचआई इंडेक्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत उन 31 देशों में भी शामिल है, जहां भुखमरी की स्थिति गंभीर है. रैकिंग के हिसाब से भारत अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल से भी काफी पीछे है. साल 2020 में ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग 94 थी. भारत सरकार ने भुखमरी की ग्लोबल रैंकिंग पर सवाल खड़े किए हैं. ग्लोबल हंगर इंडेक्स की एडवाइजर ने सरकार के आरोपों को खारिज किया है.

भारत सरकार की आपत्ति और सवाल

  • मूल्यांकन एक 'चार प्रश्न' जनमत सर्वेक्षण के परिणामों पर आधारित है. इस सर्वेक्षण को गैलप ने टेलीफोन पर किया था. फोन से किए गए सर्वे में लंबाई और वजन को कैसे मापा जा सकता है. कुपोषण के साइंटिफिक जांच के लिए बच्चों के वजन और ऊंचाई की माप की आवश्यकता होगी.
  • सर्वे के दौरान किसी से यह नहीं पूछा गया कि उन्हें सरकार या किसी अन्य संस्था से उन्हें भोजन का सपोर्ट मिला है या नहीं .
    • Shocking to find that Global Hunger Report 2021 has lowered rank of India on basis of FAO estimate on proportion of undernourished population, which is found to be devoid of ground reality& facts&suffers from serious methodological issues: Women & Child Development Ministry (1/2) pic.twitter.com/VCMzjBs1vS

      — ANI (@ANI) October 15, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
  • कोविड-19 महामारी के दौरान अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका भी बुरी तरह प्रभावित हुए. वहां भी लोगों की आय कम हुई. इसके बावजूद उनकी रैकिंग मजबूत हुई है.
  • ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2021 में भारत सरकार द्वारा फूड सिक्युरिटी के लिए किए गए उपायों की अनदेखी की गई है, जबकि पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना, आत्मनिर्भर भारत योजना का डेटा पब्लिक डोमेन में उपलब्ध है.
  • रिपोर्ट में शिशु मृत्यु दर ( mortality rate of children) इंडिकेटर के अनुसार, भारत में 2020 के मुकाबले हालात बेहतर हुए हैं, जबकि अन्य दो इंडिकेटर child wasting और child stunting में भारत की पोजिशन नहीं बदली है. फिर रैकिंग नीचे कैसे गई.

क्या हैं ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) के इंडिकेटर ?

ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) ने अपनी लिस्ट चार मुख्य इंडिकेटर के हिसाब से बनाई है. यह इंडेक्स स्कोर आधारित है. हंगर इंडेक्स ने इस रिपोर्ट को तैयार करने में इस्तेमाल किए गए चारों इंडिकेटर्स को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बताया है.

पहला इंडिकेटर (PUN) - अल्प पोषण यानी लोगों को भोजन में अपर्याप्त कैलोरी

दूसरा इंडिकेटर ( CM) - mortality rate of children यानी पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर.

तीसरा इंडिकेटर (CWA) - चाइल्ड वेस्टिंग यानी पांच साल से कम उम्र के बच्चे, जिनका वजन लंबाई के हिसाब से कम है.

चौथा इंडिकेटर ( CST) - चाइल्ड स्टंटिंग , जिसका मतलब पांच साल से कम उम्र के उन बच्चों से है, जिनकी लंबाई उम्र के हिसाब से कम है.

Has hunger increased in India
फोटो साभार, यूनीसेफ इंडिया

जानिए ग्लोबल हंगर इंडेक्स की एडवाइजर का जवाब

द क्विंट को दी गई प्रतिक्रिया में ग्लोबल हंगर इंडेक्स की एडवाइजर मीरियम वीमर्स ने बताया कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट में फूड ऐंड ऐग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन के टेलिफोन बेस्ड ओपिनियन इंडिकेटर (जिसमें गैलप पोल भी शामिल है) का इस्तेमाल नहीं किया गया है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट की समीक्षा बाहरी एक्सपर्ट करते हैं. इसको तैयार करने का तरीका पुराना और जांचा-परखा है. उनके डेटा कलेक्शन के तरीके में आखिरी बदलाव 2015 में किया गया था. हालांकि संयुक्त राष्ट्र, WHO जैसी एजेंसियों, जिनके डेटा का इस्तेमाल ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट बनाने में किया जाता है, वो डेटा कलेक्शन के तरीकों में कभी-कभार मामूली बदलाव करती रहती हैं.

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यूनीसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में 8.8 लाख बच्चों की मौत कुपोषण से हुई थी. इन बच्चों की उम्र 5 साल से कम थी.

भारत में क्या है बच्चों का हाल

  • भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त के आंकड़ों के मुताबिक भारत में शिशु मृत्यु दर 2017 में प्रति हज़ार पर 33 थी, जो 2018 में 32 हो गई . जीएचआई इंडेक्स के मुताबिक, भारत में बाल मृत्यु दर अभी 3.7 प्रतिशत है, यह अन्य देशों की तुलना में अधिक है.
  • मॉनसून सत्र के दौरान संसद में महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया था कि 30 नवंबर, 2020 तक देश में 9.3 लाख से अधिक 'गंभीर कुपोषित' बच्चों की पहचान की गई थी. उत्तर प्रदेश में 3, 98,359 गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे थे जबकि बिहार के 2,79,427 बच्चें गंभीर कुपोषण का शिकार हैं. कुपोषण के मामले में तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र है.
  • जुलाई 2021 में जारी स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रीशन इन द वर्ल्ड 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक, 2018-20 के दौरान भारत में कुल आबादी में कुपोषण का प्रसार 15.3 प्रतिशत था. साल 2020 में, पांच साल से कम आयु के तकरीबन 17.3 प्रतिशत बच्चों का वजन लंबाई के मुताबिक कम था. करीब 31 प्रतिशत बच्चों की उम्र के हिसाब से कद कम था.
  • भारत विश्व के उन पांच देशों में शामिल है, जिसे 2020 में कोविड, संघर्ष और जलवायु संबंधी आपदाओं के कारण आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ा था. इसका असर पोषण के लिए किए गए उपायों पर भी पड़ा है.
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