सिमडेगा: सरना समुदाय ने कदलेटा पूजा की. इस दौरान आदिवासियों ने आदिशक्ति से पापों की क्षमा मांगी और फसलों के बचाव के लिए प्रार्थना की. सिमडेगा में आदिवासी समुदाय कई सदी से इस पूजा को कर रहा है.
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कब की जाती है कदलेटा पूजा
सरना समुदाय (sarana puja) के मुताबिक कदलेटा पूजा में जाने-अनजाने की गई जीव जंतु की हत्या के लिए आदिशक्ति से क्षमा मांगी जाती है. साथ ही फसल की रक्षा की प्रार्थना की जाती है. सरना समुदाय भादो (भाद्रपद) माह में करम के पूर्व कदलेटा पूजा (Kadaleta Puja in Simdega) करता है.
क्यों की जाती है कदलेटा पूजा
सरना समुदाय के मुताबिक भाद्रपद महीने में आम तौर पर बारिश के कारण काफी जगह कीचड़ रहता है. खेतों में लगी फसलें भी हरी-भरी रहती हैं. सभी ओर हरियाली छाई रहती है. इधर फसलों में कोई बीमारी न लग जाए, दुष्टजनों की बुरी नजर न लग जाए किसानों को यह चिंता भी सताती रहती है. वहीं फसलों की तरह कीटाणुओं, जंगली जानवर पशु-पक्षियों से रक्षा करनी भी जरूरी होती है. इसलिए पूरे गांव की ओर से एक दिन सामूहिक 'पूजा डंडा कट्टना' या कदलेटा पूजा की जाती है. इसके लिए गांव के एक विशेष जगह, जहां पूर्वज वर्षों से पूजा करते आ रहे हैं. वहां प्रत्येक वर्ष यह पूजा की जाती है. इस स्थान को कदलेटा टांड़ (छोटा सरना स्थल) कहते हैं.
ऐसे होती है पूजा
सामूहिक तौर पर पहान की ओर से डंडा कट्टना पूजा विधि-विधान से संपन्न की जाती है. कदलेटा पूजा के दिन पहान, पुजार, महतो, गांव के पंच सदस्य पूजा टांड़ पर जाते हैं, पूजा से पूर्व पूजा स्थल को साफ कर गोबर से लीपकर पवित्र करते हैं. बाद में पूजा करते हैं. कदलेटा पूजा के बाद करम की तैयारी होने लगती है. डंडा कट्टना क्रिया के तीसरे दिन सभी किसान अपने अपने खेतों में भेलवा, साल, केउन्द या सिन्दवार की डाली गाड़ते हैं ताकि किसी तरह का दुष्प्रभाव फसल पर न पड़े. पूजा में पूरे गांव के लोगों की फसल की रक्षा, पशु-पक्षी, बाल-बच्चों के कुशल कामना की जाती है. अन्त में अरवा चावल के साथ खिचड़ी बना कर सभी को बांटा जाता है.
भेलवा, केउंद का महत्व
जब इस डाली पर पक्षी बैठता है तो फसल में लगने वाले कीडे़ मकोड़े चुन कर खा जाता है. इस तरह पक्षी फसल में लगने वाले कीड़े मकोड़े से होने वाले रोग से बचाते हैं. भेलवा डाली को को गाड़ना कृषि जगत के लिए करम पर्व है. यही वजह है कि कदलेटा के दूसरे दिन ही करम पर्व मनाते हैं. करम पूजा के पूर्व कदलेटा पूजा कर पृथ्वी जगत को पवित्र करते हैं.