पूछ रहा युवा! क्या हुआ घोषणापत्र में किया गया रोजगार का वादा?

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Published : Jun 9, 2022, 5:40 PM IST

Updated : Jun 9, 2022, 10:14 PM IST

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झारखंड में बेरोजगारी की समस्या (unemployment in Jharkhand) पर लगातार आंदोलन और सियासत होती नजर आ रही है. झारखंड में सत्ताधारी दलों के घोषणापत्र में रोजगार का वादा को पूरा करने की मांग युवा लगातार कर रहे हैं. युवाओं को सुनहरा सपना दिखाकर सत्ता में आए महागठबंधन से बेरोजगार उन वायदों का हिसाब मांग रहे हैं.

रांचीः राजनीतिक पार्टियां सत्ता में आने के लिए चुनाव के समय कई तरह के वादे जनता से करते है और फिर सत्ता मिल जाने के बाद उन वायदों का क्या हाल होता है. इसका उदाहरण है झारखंड के युवाओं से किए झारखंड मुक्ति मोर्चा, राजद और कांग्रेस के वादे. वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में विपक्ष ने बेरोजगारी को बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाया था और तीनों दलों ने सत्ता में आने के बाद बेरोजगार युवाओं को सुखद भविष्य देने के वादे किए थे. हर घर से एक व्यक्ति को नौकरी, नौकरी नहीं मिलने तक बेरोजगारी भत्ता देने, राज्य में अनुबंध और थर्ड पार्टी नौकरी को समाप्त कर स्थायी नौकरी सरीखे वादे जनता से कर झामुमो, कांग्रेस और राजद गठबंधन ने रघुवर दास को हराकर सत्ता पाई थी.

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हेमंत सोरेन की नेतृत्व वाली सरकार का लगभग आधा कार्यकाल पूरा होने वाला है. हर घर से एक व्यक्ति को नौकरी की बात छोड़िए सरकार अलग अलग विभागों में बड़ी संख्या में खाली सृजित पदों को भी नहीं भर पाई है. हर बार नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की जाती है परंतु युवाओं को रोजगार नहीं मिलता, बेरोजगारी भत्ता की तो बात ही मत कीजिये. झारखंड में सत्ताधारी दलों के घोषणापत्र में रोजगार का वादा को पूरा करने की मांग युवा लगातार कर रहे हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट



सत्ताधारी दलों ने वर्ष 2019 में युवाओं से क्या क्या वादे किएः 2019 के विधानसभा चुनाव में 30 विधानसभा सीट जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में उभरे झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने घोषणा पत्र को निश्चय पत्र के रूप में जारी किया था. जिसमें उसने सरकार गठन के दो साल के अंदर सभी खाली पड़े सरकारी पदों को भरने, नौकरी नहीं मिलने पर स्नातक पास बेरोजगार को 5000 रुपये और स्नातकोत्तर को 7000 रुपये देने और हर पंचायत में पंचायती राज की योजनाओं से युवाओं को जोड़ने का वादा था. झामुमो से इन वायदों के पूरा होने की उम्मीद में युवा ढाई साल से इंतजार कर रहे हैं.

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सियासी दलों के घोषणा पत्र में रोजगार का वादा


इसी तरह लालू प्रसाद की पार्टी राजद ने भी सत्ता में आने पर युवाओं के लिए कुछ खास वादे किए थे. राजद ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में झारखंड के सत्ता में आने पर राज्य में सर्वेक्षण कराकर प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने या स्वनियोजन का अवसर देने का वादा किया था.

सत्ताधारी गठबंधन की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ने अपने 2019 की चुनावी घोषणा पत्र में रोजगार को लेकर कई वादे किए. जिसमें सरकार बनने पर छह महीने के अंदर सभी खाली पदों को भरने, हर परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने और जब तक नौकरी नहीं मिल जाती तब तक बेरोजगारी भत्ता देने, आर्थिक रूप से कमजोर बेरोजगार युवाओं को 100 दिन की रोजगार की गारंटी जैसी बात कही गयी थी. लेकिन ढाई वर्ष होने को है और तीनों सत्ताधारी दल उन वादों को पूरा करने में फेल रही है.

रोजगार के लिए सड़क पर युवा, वादा निभाने की गुहारः 2019 में लोक लुभावन वादों के बल पर महागठबंधन सत्ता में आ भी गयी. लेकिन शायद वो वादे याद नहीं रहे जो उन्होंने राज्य के युवाओं से किया था. बेरोजगार, सरकार से अपना वादा निभाने की मांग कर रहे हैं तो सत्ताधारी दल के नेता धैर्य और संयम रखने की सलाह युवाओं को दे रहे हैं. हद तो यह है कि हेमंत है तो हिम्मत है का नारा देकर सबसे बड़ा राजनीतिक दल बना झामुमो अब तक युवाओं को रोजगार देने में नाकाम रही है.


क्या कहते हैं भाजपा विधायक सीपी सिंहः पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक सीपी सिंह कहते हैं कि अभी जो लोग सत्ता में हैं वो मोटी चमड़ी वाले लोग हैं. इसलिए उनको कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन अब जनता ही इनसे हिसाब लेगी.

कोरोना बना बहानाः गनीमत यह कि युवाओं से किए वादे को पूरे करने में विफल तीनों राजनीतिक दल के नेताओं को अपने चुनावी घोषणा पत्र में युवाओं से किए वादे याद हैं. लेकिन हर दल का अलग अलग बयान है. कोई कहता है कि कोरोना की वजह से ज्यादातर फोकस जीवन बचाने में लगा रहा तो कोई कहता है 5 साल के लिए जनता का विश्वास मिला है इसलिए युवाओं को धैर्य रखना चाहिए.

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हेमंत सरकार के ढाई वर्ष में अब तक हुई नियुक्तियांः हेमंत सोरेन सरकार के शुरुआती डेढ़-दो साल में कोई भी स्थायी नियुक्ति नहीं हुई. कोरोना के इस कालखंड में स्वास्थ्य विभाग में जो भी लैब टेक्नीशियन से लेकर नर्स, मेडिकल स्टाफ और डॉक्टर्स की नियुक्ति हुई वह अल्पावधि की अनुबंध की नौकरी थी. इसके अलावा हेमंत सोरेन की सरकार में कुछ मुख्य नियुक्तियां रहीं. रघुवर दास में शुरू हुई 6वीं जेपीएससी की प्रक्रिया हेमंत सरकार में पूरी हुई करीब 326 अभ्यर्थियों का चयन हुआ.

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हेमंत सरकार के ढाई वर्ष में हुई नियुक्तियां

7वीं से 10वीं जेपीएससी कंबाइंड के तहत 252 लोगों का फाइनल चयन हुआ. 40 खिलाड़ियों की सीधी नियुक्ति हुई. 128 कृषि पदाधिकारियो की जेपीएससी के माध्यम से नियुक्ति की गयी. 200 युवतियों को रांची में टेक्सटाइल उद्योग में जॉब मिला. 900 युवतियों को नर्सिंग की ट्रेनिंग दी गयी जिसके बाद उन्हें अलग अलग राज्यों में नौकरी मिली. JSSC द्वारा 384 प्रशाखा पदाधिकारी, 322 कनीय सचिवालय सहायक, 245 प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी और प्लानिंग सहायक के 05 पदों पर बहाली प्रक्रिया जारी है.

इसी तरह जेपीएससी के द्वारा 232 एमबीबीएस डॉक्टरों की नियुक्ति प्रक्रियाधीन. जेपीएससी के द्वारा 137 होमियोपैथी, 207 आयुर्वेदिक और 78 यूनानी के साथ साथ 422 मेडिकल अफसर की बहाली की प्रक्रिया चल रही है. रिम्स में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की 230 पदों पर बहाली की प्रक्रिया जारी है. इसी तरह रिम्स में 34 प्राध्यापक, सह प्राध्यापक की बहाली की प्रक्रिया चल रही है.

इस तरह हेमंत सरकार के लगभग आधे यानी ढाई साल के कार्यकाल में पांच हजार भी नियुक्ति नहीं हुई है. सरकारी आंकड़े ही बताते हैं कि राज्य में तीन लाख से ज्यादा सरकारी सृजित पद खाली हैं. जिसमें हजारों की संख्या में जो पद खाली हैं, वह गृह एवं कारा विभाग, स्वास्थ्य, पेयजल एवं स्वच्छता, पथ निर्माण, स्कूली शिक्षा, कृषि विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग से जुड़े हैं.


ईटीवी भारत का सवालः यह सही है कि हेमंत सरकार जब सत्ता में आई उसके चंद दिनों के बाद कोरोना भी महामारी के रूप में आ गया. पर सवाल यह है कि जब विधायकों और मंत्रियों का बंगला से लेकर नए चमचमाती महंगी गाड़ियों को लेकर फैसला लेने में कोरोना बाधक नहीं बना तो बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने में वह बाधक कैसे बन सकता है?

Last Updated :Jun 9, 2022, 10:14 PM IST
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