रांची में छठ महापर्व की तैयारी हुई शुरू, जानिए कमल तालाब पर अर्घ्य देना क्यों होता है खास

रांची में छठ महापर्व की तैयारी हुई शुरू, जानिए कमल तालाब पर अर्घ्य देना क्यों होता है खास
महापर्व छठ के लिए लोगों ने अभी से ही तैयारी शुरू कर दी है. रांची के कमल तालाब पर लोग अस्थाई तौर पर अपने घाट बना रहे हैं. इस साल 19 नवंबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और 20 नवंबर को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य के साथ पर्व की समाप्ती हो जाएगी. Work of cleaning Kamal pond has started for Chhath festival
रांची: वैसे तो अधिकांश जलाशयों में छठ के मौके पर अर्घ्य देने की परंपरा है. मगर रांची के जगन्नाथपुर स्थित कमल तालाब में भगवान भास्कर को अर्ध्य देना खास माना जाता है. नाम के अनुरूप यह तालाब मां लक्ष्मी का सबसे प्रिय कमल फूल से भरा रहता है. हालांकि छठ के समय इस तालाब में कमल फूल नहीं रहता. हर वर्ष की तहर इस बार भी लोक आस्था का महापर्व छठ को लेकर इस तालाब में तैयारियां शुरू हो गई है.
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कमल तालाब से करीब 200 फीट ऊपर विराजित भगवान जगन्नाथ की मौजूदगी में छठ मनाने के लिए यहां के लोगों में खासा उत्साह देखा जाता है. यही वजह है कि छठ पर्व आने में भले ही अभी कई दिन शेष हैं, मगर तैयारी अभी से शुरू कर दी गई है. तैयारी में जुटे स्थानीय मोनू दास कहते हैं कि कमल तालाब में बड़ी संख्या में छठ के मौके पर लोग आकर भगवान भास्कर को अर्घ्य देते हैं. तालाब में इस बार पहले से ही साफ सफाई और बैरिकेडिंग कर दी गई है. जिससे छठव्रतियों को कोई परेशानी ना हो. तालाब के चारों तरफ लाइटिंग के साथ-साथ साफ सफाई की समुचित व्यवस्था होती है. यहां धुर्वा, जगन्नाथपुर सहित कई इलाकों के बड़ी संख्या में श्रद्धालु छठ मनाने के लिए यहां पहुंचते हैं.
छठ घाट बनाने में जुटे श्रद्धालु: इस मौके पर पारंपरिक रूप से भगवान भास्कर को अर्घ्य देने की परंपरा है. जिसको लेकर लोग छठ घाट बनाने में जुटे हैं. हालांकि, यहां स्थायी रूप से भी घाट बना हुआ है. जहां हजारों श्रद्धालु छठी मैया का आराधना करते हैं, जिससे घाट कम पड़ जाता है. यही वजह है कि लोगों ने तालाब के दूसरे तरफ अपने-अपने तरीके से अस्थायी घाट बनाना शुरू कर दिया है.
इधर, नगर निगम के द्वारा तालाब की साफ सफाई की गई है और गहरे पानी में जाने से रोकने के लिए तालाब में बैरिकेडिंग कर दी गयी है. यहां पास में ही रहने वाले प्रकाश बड़ाइक कहते हैं कि इस छठ घाट पर पर्व मनाने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. करीब 500 डिसमिल में फैला यह तालाब छठ के मौके पर पूरी तरह से सजा हुआ रहता है.
