सुप्रीमो की गिरफ्तारी के बाद पीएलएफआई कैडरों में हड़कंप, मार्टिन केरकेट्टा भी हुआ भूमिगत

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Published : May 25, 2023, 3:54 PM IST

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पीएलएफआई सुप्रीम दिनेश गोप की गिरफ्तार के बाद संगठन के सदस्यों में हड़कंप मच गया है. संगठन में नंबर-2 की पोजिशन रखने वाले मार्टिन केरकेट्टा भी भूमिगत हो गया है.

रांची: पिछले दो दशक से झारखंड पुलिस के लिए चुनौती बने उग्रवादी संगठन पीएलएफआई का वर्चस्व खत्म होने के कगार पर है. सुप्रीमो दिनेश गोप की गिरफ्तारी के बाद पीएलएफआई के कैडर हताश हैं. सभी को डर सता रहा है कि सुप्रीमो की जुबान खुली तो वे सभी सलाखों के पीछे होंगे. ऐसे में संगठन के छोटे बड़े उग्रवादी भूमिगत हो गए हैं. वहीं दूसरी तरफ झारखंड पुलिस पीएलएफआई को जड़ से खत्म करने के प्रयास में जुटी हुई है.

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संगठन में मची खलबली, मार्टिन केरकेट्टा हुआ भूमिगत: 30 लाख के इनामी रहे पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप की गिरफ्तारी के बाद संगठन का सेकंड मैन 15 लाख का इनामी मार्टिन केरकेट्टा भूमिगत हो गया है. दिनेश गोप का बेहद करीबी मार्टिन संगठन में दिनेश गोप के बाद सबसे ज्यादा शक्तिशाली था. लेकिन जैसे ही एनआईए के द्वारा दिनेश की गिरफ्तारी की सूचना मार्टिन को मिली वह सबसे पहले भूमिगत हो गया. संभावना जताई जा रही थी कि दिनेश गोप की गिरफ्तारी के बाद मार्टिन ही संगठन की कमान संभालेगा. लेकिन सूचना है कि संगठन के कैडरों का मार्टिन से संपर्क नहीं हो पा रहा है. संगठन का एक और चर्चित नाम दुर्गा सिंह भी फिलहाल गायब है. दुर्गा भी दिनेश का बेहद करीबी रहा है.

कौन है मार्टिन: मार्टिन पर झारखंड पुलिस की तरफ से 15 लाख रुपये का इनाम घोषित है. मार्टिन और पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप बचपन में एक ही स्कूल में पढ़ाई किया करते थे बाद में दोनों एक साथ अपराध की दुनिया में भी शामिल हुए. दिनेश गोप के साथ मिलकर मार्टिन कई जगह उग्रवादी कांडों को अंजाम दिया है. झारखंड पुलिस के लिए मार्टिन का गिरफ्तार होना बेहद जरूरी है, दिनेश गोप ने पूछताछ के दौरान यह खुलासा किया है कि संगठन के अत्याधुनिक हथियार मार्टिन के देखरेख में ही रखे गए हैं. ऐसे में अगर मार्टिन गिरफ्तार होता है तो पीएलएफआई के हथियारों का जखीरा बरामद करने में पुलिस को बेहद आसानी होगी.

मार्टिन-दुर्गा की तलाश जारी: एनआईए के रिमांड पर है दिनेश गोप ने अपने संगठन को लेकर कई खुलासे किए हैं. मार्टिन और दुर्गा के बारे में भी कई अहम जानकारियां सुरक्षा एजेंसियों को हासिल हुई है. ऐसे में अब मार्टिन और दुर्गा दोनों ही झारखंड पुलिस और एनआईए के ही रडार पर हैं. झारखंड पुलिस एसआईबी भी वैसे पीएलएफआई उग्रवादियों पर मैन टू मैन वर्क कर रही है जो किसी न किसी जिले में सक्रिय हैं. सब के बारे में पूरी जानकारी इकट्ठा की जा रही है ताकि सटीक सूचना पर उन्हें भी दबोचा जा सके.

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तीन साल में हो गया संगठन का सफाया: पिछले दो दशक के दौरान पीएलएफआई संगठन के द्वारा झारखंड के खूंटी, सिमडेगा, गुमला, लोहरदगा, चाईबासा और राजधानी रांची में जमकर उत्पात मचाया जाता रहा. लेकिन 3 वर्ष पूर्व झारखंड पुलिस के द्वारा पीएलएफआई को टारगेट करके जोरदार अभियान की शुरुआत की गई. नतीजा 3 वर्ष पूर्व संगठन में 34 इनामी उग्रवादी थे और अब मात्र 03 इनामी ही बच गए है. इनमें से अधिकांश को या तो पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया या फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया. कई ने तो पुलिस के सामने हथियार भी डाल दिए.

तीन सालों में कौन कौन मारे गए: पीएलएफआई उग्रवादियों के खिलाफ झारखंड पुलिस के द्वारा जोरदार अभियान चलाया गया था. जिसका परिणाम भी सामने नजर आया. इन 3 वर्षों में 15 लाख के इनामी रीजनल कमांडर जिदन गुड़िया, 10 लाख के इनामी शनिचर सुरीन, 02 लाख का इनामी मंगरा लुगुन, 02 लाख का इनामी पुनिया, पंडित जी, सत्तो बरजो, बदु नाग, सिमोन केरकेट्टा और सोनू जैसे उग्रवादी इनकाउंटर में मार गिराए गए. झारखंड पुलिस के इस महाअभियान के बाद घबराए एरिया कमांडर संजय गोप और एरिया कमांडर राजेश मुंडा जैसे हार्डकोर पीएलएफआई उग्रवादियों ने पुलिस के सामने हथियार डाल दिए.

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