Water Crisis in Ranchi: मार्च के पहले पखवाड़े में ही सूख रहे रांची के तालाब, जलसंकट के साथ-साथ पर्यावरण को भी हो रहा नुकसान
Published: Mar 10, 2023, 5:53 PM


Water Crisis in Ranchi: मार्च के पहले पखवाड़े में ही सूख रहे रांची के तालाब, जलसंकट के साथ-साथ पर्यावरण को भी हो रहा नुकसान
Published: Mar 10, 2023, 5:53 PM
आने वाले दिनों में रांची के लोगों की हलक सूख सकती है. पानी के लिए उन्हें काफी जद्दोजहद करना पड़ सकता है. क्योंकि रांची के तालाब सूख रहे हैं. वजह हैं कंक्रीट के जंगल.
रांचीः राजधानी रांची सहित पूरे झारखंड में फरवरी महीने के दूसरे पखवाड़े से ही पारा चढ़ने के साथ गर्मी ने दस्तक दे दी थी. अब मार्च महीने के पहले पखवाड़े में ही राजधानीवासियों को एक और समस्या से रूबरू होना पड़ रहा है. राजधानी रांची के ज्यादातर तालाब सूखने लगे हैं. रांची शहर में अभी 40 के करीब तालाब हैं जिसमें से 19 तालाब सूख चुके हैं, जबकि कई सूखने की कगार पर पहुंच गए हैं.
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रांची के विवेकानंद सरोवर (बड़ा तालाब) सहित जिन तालाबों में अभी पानी है. वहां बरसाती पानी की जगह नाले का पानी है. इस तरह एक तरफ जहां तालाब जलविहीन हो रहे हैं, वहीं जिन तालाब में पानी है वह इतने गंदा हैं कि आसपास के इलाकों में प्रदूषण फैल रहा है.
क्यों फरवरी महीने में ही सूख गए राजधानी के तालाबः राजधानी रांची के तालाबों के सूख जाने के जिस कारण को रांची नगर निगम, नगर विकास विभाग के अधिकारी और मंत्री नहीं जानते, समझते वह आम आदमी अच्छी तरह समझता है. राजधानी के कडरू इलाके में सूखने के कगार पर पहुंच गए तालाब की जमीनी हकीकत जानने पहुंचे ईटीवी भारत की टीम को स्थानीय महिला शकीरा ने बताया कि पहले बरसात का पानी बहकर तालाब में आता था. शकीरा ने कहा कि सौंदर्यीकरण के नाम पर तालाब को चारों ओर से ईंट और सीमेंट से घेर दिया गया, जब पानी नहीं आएगा तब क्या होगा.
रांची विश्वविद्यालय में भूगर्भ शास्त्र के प्रोफेसर और पर्यावरणविद डॉ नीतीश प्रियदर्शी ने बताया कि एक समय में रांची में 70 के आसपास तालाब हुआ करते थे. अतिक्रमण की वजह से दो दर्जन से अधिक तालाब का अस्तित्व समाप्त हो गया है तो बाकी के 40 तालाब में कई सूखने की कगार पर पहुंच गए हैं. डॉ. नीतीश प्रियदर्शी ने कहा कि तालाब सूखने की कई वजह है. जिसमें से अक्टूबर के बाद रांची में लंबा ड्राई स्पेल रहा.
मानसून के बाद भी पहले समयांतराल पर बारिश होती थी, वह इस बार नहीं हुई. इसके साथ साथ सौंदर्यीकरण के नाम पर तालाब को कंक्रीट से बांध दिया गया है. ऐसे में तालाब रिचार्ज ही नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि तालाब की सफाई भी जरूरी है लेकिन वर्षों से तालाब की सफाई ही नहीं हुई है. ऐसे में जो पानी रिस रिस कर तालाब में आता है वह भी अब नहीं होता.
जलविहीन तालाब होने से पर्यावरण के साथ साथ आम दिनचर्या पर पड़ रहा है असरः राजधानी में तालाब के सूखने की वजह से जहां राजधानी रांची में ग्राउंड वाटर जहां पाताललोक में चला जा रहा है. वहीं आसपास के लोगों को भी दिनचर्या के काम के लिए पानी की दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.
