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नगर निकाय चुनाव टलने के बाद राज्य के लोगों में निराशा, सरकार अड़चनें दूर करने में जुटी

आरक्षण रोस्टर पर विवाद को देखते हुए झारखंड में नगर निकाय का चुनाव टल गया (Municipal Election Postpone) है. इस कारण लोगों में निराशा है. हालांकि सरकार चुनाव कराने में जो अड़चने आ रही हैं उसे दूर करने में लगी है.

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Published : Nov 25, 2022, 7:19 PM IST

Jharkhand Election Commission
Jharkhand Election Commission

रांची: राज्य में नगर निकाय चुनाव टलने के बाद राज्य के लोगों में निराशा है. सभी की जुबान पर बस एक ही बात आ रही है कि आखिर अब कब होगा नगर निकाय चुनाव और चुनाव नहीं होने से क्या असर पड़ेगा. सरकारी महकमे में जो बातें चल रही हैं उसमें संभावना यह जताई जा रही है कि रांची सहित राज्य के अन्य शिड्यूल क्षेत्रों के जिलों में मेयर और अध्यक्ष पद के लिए जारी आरक्षण रोस्टर पर उठे विवाद (Controversy Over Reservation Roster) को देखते हुए सरकार द्वारा नगरपालिका एक्ट में संशोधन कर चुनाव कराया जा सकता है. इसके लिए महाधिवक्ता की राय भी ली जा रही है.

ये भी पढे़ं-आजसू पार्टी का धरना, ओबीसी आरक्षण के बाद नगर निकाय चुनाव कराने की मांग

कहीं राज्य सरकार एक्ट में संशोधन की तैयारी में तो नहींः राज्य निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी की माने तो आर्टिकल 243 टी 4 में यह प्रावधान है कि राज्य सरकार एक्ट में संशोधन कर कानून बना सकती है. राज्य सरकार यह भी जानती है कि पिछले दिनों की गई टीएसी की अनुशंसा पर केंद्र सरकार जल्दबाजी में सहमति नहीं प्रदान करेगी. ऐसे में विकल्प के तौर पर राज्य सरकार एक्ट में संशोधन करने की तैयारी में (Preparation for Amendment in Act) है. यदि सरकार द्वारा यह पहल की जाती है तो भी नगर निकाय चुनाव अगले वर्ष अप्रैल, मई से पहले होने की संभावना नहीं दिख रही है.

भारत निर्वाचन आयोग की मतदाता सूची पांच जनवरी को प्रकाशित होगीः पांच जनवरी को भारत निर्वाचन आयोग की मतदाता सूची प्रकाशित होगी. जिसके आधार पर फिर से राज्य निर्वाचन आयोग नगर निकाय चुनाव के लिए मतदाता सूची तैयार करेगी. राज्य निर्वाचन आयोग के नये वोटर लिस्ट के आधार पर मतदान केंद्र भी नये सिरे से गठित होंगे. इन सबके बीच शिड्यूल क्षेत्र में आरक्षण के प्रावधानों को लेकर सरकार के नये निर्देश के अनुरूप सीटों का आरक्षण तय होगा. जिसमें एक निर्धारित समय सीमा रखना आयोग और जिला के लिए बाध्यकारी है.

चुनाव टलने से होंगे विकास कार्य प्रभावितः राज्य में वर्ष 2020 से 12 नगर निकायों के चुनाव टलते रहे हैं. प्रावधान के तहत रिक्त होने या पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा होते ही छह माह के अंदर चुनाव कराना अनिवार्य है, लेकिन कोरोना और अन्य विशेष परिस्थिति के कारण यह चुनाव अब तक टलता रहा है.

12 नगर निकाय क्षेत्र के लोगों को भुगतना पड़ेगा खामियाजाः एक बार फिर वर्तमान स्थिति में सबसे ज्यादा खामियाजा इन 12 नगर निकाय क्षेत्र को भुगतना पड़ेगा. जिनमें धनबाद, बोकारो, देवघर, मेदनीनगर, गढ़वा, पश्चिम सिंहभूम, गिरिडीह, कोडरमा, गोड्डा, गुमला, सरायकेला खरसावां, रामगढ़ हजारीबाग जिला शामिल हैं. इन जिलों के नगर निकायों में केंद्र की योजना मद से आनेवाली राशि न केवल प्रभावित होगी, बल्कि शहरी क्षेत्र में नगर निगम या नगर पंचायत के द्वारा बनाई जानेवाली विकास योजना पूरी तरह आगे भी ठप रहेगा. हालांकि रांची सहित अन्य जिलों के नगर निकाय का कार्यकाल अप्रैल में खत्म होने से अभी कार्यकाल कुछ माह शेष बचे हैं, जहां चुनाव टलने का प्रभाव नहीं पड़ेगा.

रांची: राज्य में नगर निकाय चुनाव टलने के बाद राज्य के लोगों में निराशा है. सभी की जुबान पर बस एक ही बात आ रही है कि आखिर अब कब होगा नगर निकाय चुनाव और चुनाव नहीं होने से क्या असर पड़ेगा. सरकारी महकमे में जो बातें चल रही हैं उसमें संभावना यह जताई जा रही है कि रांची सहित राज्य के अन्य शिड्यूल क्षेत्रों के जिलों में मेयर और अध्यक्ष पद के लिए जारी आरक्षण रोस्टर पर उठे विवाद (Controversy Over Reservation Roster) को देखते हुए सरकार द्वारा नगरपालिका एक्ट में संशोधन कर चुनाव कराया जा सकता है. इसके लिए महाधिवक्ता की राय भी ली जा रही है.

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कहीं राज्य सरकार एक्ट में संशोधन की तैयारी में तो नहींः राज्य निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी की माने तो आर्टिकल 243 टी 4 में यह प्रावधान है कि राज्य सरकार एक्ट में संशोधन कर कानून बना सकती है. राज्य सरकार यह भी जानती है कि पिछले दिनों की गई टीएसी की अनुशंसा पर केंद्र सरकार जल्दबाजी में सहमति नहीं प्रदान करेगी. ऐसे में विकल्प के तौर पर राज्य सरकार एक्ट में संशोधन करने की तैयारी में (Preparation for Amendment in Act) है. यदि सरकार द्वारा यह पहल की जाती है तो भी नगर निकाय चुनाव अगले वर्ष अप्रैल, मई से पहले होने की संभावना नहीं दिख रही है.

भारत निर्वाचन आयोग की मतदाता सूची पांच जनवरी को प्रकाशित होगीः पांच जनवरी को भारत निर्वाचन आयोग की मतदाता सूची प्रकाशित होगी. जिसके आधार पर फिर से राज्य निर्वाचन आयोग नगर निकाय चुनाव के लिए मतदाता सूची तैयार करेगी. राज्य निर्वाचन आयोग के नये वोटर लिस्ट के आधार पर मतदान केंद्र भी नये सिरे से गठित होंगे. इन सबके बीच शिड्यूल क्षेत्र में आरक्षण के प्रावधानों को लेकर सरकार के नये निर्देश के अनुरूप सीटों का आरक्षण तय होगा. जिसमें एक निर्धारित समय सीमा रखना आयोग और जिला के लिए बाध्यकारी है.

चुनाव टलने से होंगे विकास कार्य प्रभावितः राज्य में वर्ष 2020 से 12 नगर निकायों के चुनाव टलते रहे हैं. प्रावधान के तहत रिक्त होने या पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा होते ही छह माह के अंदर चुनाव कराना अनिवार्य है, लेकिन कोरोना और अन्य विशेष परिस्थिति के कारण यह चुनाव अब तक टलता रहा है.

12 नगर निकाय क्षेत्र के लोगों को भुगतना पड़ेगा खामियाजाः एक बार फिर वर्तमान स्थिति में सबसे ज्यादा खामियाजा इन 12 नगर निकाय क्षेत्र को भुगतना पड़ेगा. जिनमें धनबाद, बोकारो, देवघर, मेदनीनगर, गढ़वा, पश्चिम सिंहभूम, गिरिडीह, कोडरमा, गोड्डा, गुमला, सरायकेला खरसावां, रामगढ़ हजारीबाग जिला शामिल हैं. इन जिलों के नगर निकायों में केंद्र की योजना मद से आनेवाली राशि न केवल प्रभावित होगी, बल्कि शहरी क्षेत्र में नगर निगम या नगर पंचायत के द्वारा बनाई जानेवाली विकास योजना पूरी तरह आगे भी ठप रहेगा. हालांकि रांची सहित अन्य जिलों के नगर निकाय का कार्यकाल अप्रैल में खत्म होने से अभी कार्यकाल कुछ माह शेष बचे हैं, जहां चुनाव टलने का प्रभाव नहीं पड़ेगा.

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