झारखंड विधानसभा स्थापना दिवसः समारोह के दूसरे दिन राष्ट्रीय सम्मेलन, कवि कुमार विश्वास काव्य रस की करेंगे बौछार

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Published : Nov 23, 2022, 7:16 AM IST

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झारखंड विधानसभा स्थापना दिवस के तीन दिवसीय समारोह का आज दूसरा दिन (Jharkhand Assembly Foundation Day) है. तीन दिनों तक चलने वाले इस समारोह में केंद्र राज्य संबंधों पर राष्ट्रीय सम्मेलन (National Conference on Centre State Relations), झारखंड छात्र संसद के साथ कवि कुमार विश्वास का भी कार्यक्रम है.

रांची: झारखंड विधानसभा के 22वें स्थापना दिवस (Jharkhand Assembly Foundation Day) समारोह को यादगार बनाने के लिए तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. समारोह के दूसरे दिन आज राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजन किया जाएगा. इसके बाद देर शाम लोकसंगीत के कार्यक्रम में स्थानीय लोक कलाकार समां बांधेंगे. वहीं कवि कुमार विश्वास भी अपनी प्रस्तुति देंगे.

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केंद्र-राज्य संबंधों पर राष्ट्रीय सम्मेलन: समारोह के दूसरे दिन आज 23 नवंबर को नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ, रांची और पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च, नई दिल्ली के साथ केंद्र-राज्य संबंध पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित होगा (National Conference on Centre State Relations). भारत में पहली बार किसी राज्य का विधानसभा इस तरह की एकेडमिक पहल राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के सहयोग से करने जा रही है. इसमें केंद्र और राज्यों के संबंधों से जुड़े 10 महत्वपूर्ण पहलुओं राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षाविद और जानकार हस्तियां अपना भाषण प्रस्तुत करेंगी.

  1. केंद्र और राज्यों के बीच विधायी शक्तियों का वितरण
  2. भारत में राजकोषीय संघवाद
  3. अखिल भारतीय सेवाएं और केंद्र राज्य संबंध
  4. संघवाद पर न्यायपालिका
  5. भारतीय संघवाद के साथ राज्यपाल की भूमिका और कार्य
  6. संघीय ढांचे में केंद्रीय जांच एजेंसियों की भूमिका
  7. भारत में राजकोषीय और प्रशासनिक संघवाद के साथ-साथ अंतर-राज्य परिषदों का कामकाज
  8. स्थानीय स्वशासन और भारतीय संघवाद
  9. केंद्र-संबंध संबंध और सुशासन पर इसका प्रभाव
  10. केंद्र राज्य संबंध और कोविड-19 महामारी और भारत में सहकारी संघवाद

लोकगीत के बाद कुमार विश्वास बांधेंगे समां: आज ही शाम 6.30 बजे से झारखंड के लोक संगीत कार्यक्रम में पद्मश्री मधु मंसुरी हंसमुख और पद्मश्री मुकुंद नायक अपने लोकगीतों से समां बांधेंगे. इसके बाद डॉ कुमार विश्वास अपने सहयोगियों के साथ काव्य कलश की प्रस्तुति देंगे. कार्यक्रम को देखने के लिए निमंत्रण कार्ड लाना जरूरी होगा. एक कार्ड पर दो लोगों की एंट्री होगी.

छात्र संसद का आयोजन: 24 नवंबर को द्वितीय झारखंड छात्र संसद (Jharkhand Student Parliament) का आयोजन होगा. इसके लिए अलग-अलग विश्वविद्यालयों के 111 छात्रों के ऑनलाइन स्क्रीनिंग टेस्ट और इंटरव्यू के बाद चयनित 24 छात्र-छात्राएं छात्र संसद में भाग लेंगी. इसके लिए रांची से साक्षी प्रिया, खूंटी से पूजा शेखर, सिमडेगा से दिव्या वंसल, लोहरदगा से गीता श्रेया, पूर्वी सिंहभूम से सीमा हेंब्रम, पश्चिमी सिंहभूम से हेमंत कालुंडिया, सरायकेला से विवेक कपूर, हजारीबाग से मुस्कान कुमारी सिन्हा, रामगढ़ से कौशल कुमार, चतरा से आस्था कुमारी आर्या, धनबाद से पीयूष कुमार, कोडरमा से सचिन कुमार, गिरिडीह से रूद्रप्रताप सिंह, दुमका से सुहानी आनंद, देवघर से आकाश कुमार लाल, गोड्डा से स्वाति राज, साहिबगंज से खुशीलाल पंडित, पाकुड़ से काकुली कर्मकार, पलामू से गोविंद कुमार मेहता, गढ़वा से अदिति राज लक्ष्मी, लातेहार से सुधा कुमारी, बोकारो से सोनी कुमारी, गुमला से मरियम खलखो और जामताड़ा से अल्ताफ अंसारी का चयन हुआ है.

बता दें कि इससे पहले 22 दिसंबर को स्थापना दिवस समारोह का शानदार आगाज हुआ. राज्यपाल रमेश बैस ने समारोह का उद्घाटन किया. जिसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत तमाम मंत्री और विधायक शामिल थे. झारखंड स्थापना दिवस कार्यक्रम में (22nd Anniversary of Jharkhand Legislative Assembly) राज्यपाल ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि उनकी बदौलत झारखंड देश का 28वां राज्य बना, लेकिन अब मंथन करने की जरूरत है कि लोक आकांक्षाओं पर हम कहां पहुंचे. उन्होंने कहा कि जनता सर्वोपरी होती है. जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी और मर्यादा को अक्षुण रखना जनप्रतिनिधियों का दायित्व होता है. कार्यवाही में बढ़ता अवरोध चिंता का विषय है. ऐसा करना चाहिए कि जनता खुद कहे कि हमारा विधायक सर्वश्रेष्ठ है. इस दौरान उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन के दिनों को साझा करते हुए कहा कि उनका दरवाजा सबके लिए खुला रहा. उन्होंने कभी भेदभाव नहीं किया. राजनीति का मकसद ही लोगों की सेवा करना होना चाहिए.

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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आज खुशी का दिन है. जब हम एकीकृत बिहार में थे तो एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में यहां के विधायक गुम हो जाते थे. पटना से दूर होने के कारण कई समस्याएं उत्पन्न हुईं. बाद में अनचाहे वातावरण बनने लगे. आदिवा, दलित, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों पर शोषण लंबे समय तक चला. अंग्रेजों के जाने के बाद भी समस्याओं से निजात के लिए लड़ाई चली. दिशोम गुरू शिबू सोरेन के नेतृत्व में लंबे संघर्ष के बाद झारखंड राज्य मिला. इसके बाद राज्य को दिशा देने के सिलसिला शुरू हुआ. लेकिन मैं इस बात पर चर्चा नहीं करना चाहूंगा कि इतने वर्षों में हम कहां पहुंचे.

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