स्वास्थ्य विभाग के अनुबंधकर्मियों की हड़ताल से चिकित्सा व्यवस्था चरमराई, रिम्स और सदर अस्पताल पर बढ़ा मरीजों का दबाव

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Published : Jan 22, 2023, 7:56 PM IST

Updated : Jan 23, 2023, 8:39 AM IST

Due to strike patients increased in big hospitals

स्वास्थ्य विभाग के अनुबंध कर्मियों की हड़ताल से झारखंड में चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. ग्रामीण क्षेत्र के अलावा शहरों के बड़े सरकारी अस्पतालों में भी मरीजों को इलाज कराने में परेशानी हो रही है. सरकार और अनुबंध स्वास्थ्य कर्मियों की जिच में आम लोग पिस रहे हैं. वहीं हड़ताली कर्मी भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं.

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रांची: राजधानी रांची सहित पूरे राज्य में अनुबंध पर बहाल स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल की वजह से ग्रामीण और शहरी उप स्वास्थ्य केंद्रों की परेशानी अब धीरे-धीरे शहर के बड़े अस्पतालों में भी दिखने लगी है. स्वास्थ्य उपकेंद्रों में स्वास्थ्य कर्मचारियों के नहीं रहने के कारण मरीज अब रिम्स और सदर अस्पताल जैसे बड़े अस्पतालों का रूख कर रहे हैं. वहीं रिम्स और सदर अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ने की वजह से यहां भी परेशानी हो रही है. मरीजों का समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है.

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अस्पताल में भटकते रहे मरीज, नहीं हुआ समुचित इलाजः अस्पताल में परेशान मरीजों ने बताया कि नर्स और स्वास्थ्य कर्मियों के बगैर किसी भी अस्पताल में मरीज का इलाज करना संभव नहीं है. क्योंकि डॉक्टर कुछ देर के लिए ही मरीज के पास आते हैं, बाकी समय नर्स और स्वास्थ्य कर्मचारी के भरोसे ही मरीज का इलाज होता है. नर्स और चिकित्सा कर्मियों के अचानक हड़ताल पर चले जाने की वजह से मरीजों को परेशानी हो रही है. मरीजों का समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है. अस्पताल में पहुंचे रामगढ़ के एक मरीज के परिजन ने बताया कि वह सुबह से ही अस्पताल में भटक रहे हैं, लेकिन नर्स की कमी की वजह से उनका इलाज नहीं हो पा रहा है.

स्वास्थ्य मंत्री ने हड़ताली कर्मियों से मिलने के लिए सात फरवरी का दिया समयः वहीं हड़ताल पर बैठे अनुबंध कर्मियों ने कहा कि वो भी चाहते हैं कि हड़ताल खत्म हो जाए, लेकिन सरकार उनकी बातों को नहीं सुन रही है. अनुबंध पर बहाल स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल का नेतृत्व कर रही मीरा कुमारी बताती हैं कि जब वह अपनी बात लेकर मंत्री आवास पर पहुंची तो स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने सात फरवरी का समय दिया है. मीरा कुमारी ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री की बातों से यह साफ प्रतीत हो रहा है कि उन्हें जनता की फिक्र नहीं है. सात फरवरी तक का समय देना यह साफ बतलाता है कि अगले कई दिनों तक वो हड़ताल को जारी रखना चाहते हैं.

13 हजार अनुबंध कर्मियों की हड़ताल से अस्पतालों में व्यवस्था चरमराईः गौरतलब है कि राज्य भर में करीब 13 हजार अनुबंध स्वास्थ्य कर्मचारी कार्यरत हैं, जो विभिन्न जिलों के अस्पतालों और स्वास्थ्य उपकेंद्रों में तैनात हैं, लेकिन इनके हड़ताल पर चले जाने से सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज की व्यवस्था चरमरा गई है. हड़ताल पर गए अनुबंध पर बहाल स्वास्थ्य कर्मचारियों की मांग है कि उनका नियमितीकरण किया जाए. पिछले 15 वर्षों से वह सरकार के स्वास्थ्य विभाग में सेवा दे रहे हैं, लेकिन उन्हें मामूली वेतन दिया जा रहा है. जबकि उन्हीं के बराबर काम करने वाले स्थाई कर्मचारियों को तीन गुना से चार गुना अधिक वेतन दिया जाता है, लेकिन उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है.

अब सरकार पर ही सब कुछ निर्भरः अब देखने वाली बात यह होगी कि अनुबंध पर बहाल स्वास्थ्य कर्मियों के वेतन और स्थायीकरण को लेकर सरकार क्या कुछ कदम उठाती है, लेकिन वर्तमान में सरकार और स्वास्थ्य मंत्री की बातों को सुनकर यह कहना गलत नहीं होगा कि अनुबंध पर बहाल स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल अभी और भी लंबा खिंचेगी और इसका खामियाजा कहीं ना कहीं अस्पताल में आने वाले आम मरीजों को भुगतना पड़ेगा.

Last Updated :Jan 23, 2023, 8:39 AM IST
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