ETV BHARAT की पड़तालः झारखंड में दम तोड़ रहा है प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र

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Published : Jan 3, 2021, 4:01 PM IST

condition of pm jan aushadhi kendra is in bad shape in ranchi

समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र की शुरूआत की गई. शुरूआत तो ठीक हुई लेकिन गुजरते वक्त से साथ योजना बद से बदतर होती चली गई. ईटीवी भारत ने राजधानी रांची के जन औषधि केंद्र की पड़ताल की. जो तस्वीरें और आंकड़े सामने आए, वो बिल्कुल सुखद नहीं हैं. जानिए ईटीवी भारत की पड़ताल का पूरा ब्योरा.

रांची: प्रधानमंत्री की महत्वकांक्षी योजना जन औषधि केंद्र जो राज्य एवं देश के गरीब मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए बनाई गई थी. जो कहीं ना कहीं झारखंड के राजधानी सहित विभिन्न जिलों में दम तोड़ती नजर आ रही है. इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने जब राजधानी के विभिन्न प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र का जायजा लिया तो हमने पाया कि गरीबों के लिए लाया गया यह योजना गरीब मरीजों को सुविधा नहीं दे पा रहा है.

ETV BHARAT की पड़तालः बेहाल औषधि केंद्र
दयनीय स्थिति में है राजधानी के जन औषधि केंद्र

राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स की बात करें तो वर्तमान में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र की स्थिति दयनीय देखी जा रही है. वर्तमान में रिम्स के इस औषधि केंद्र में मात्र 77 दवाएं हैं जबकि शुरुआत के दिनों में यहां पर 300 से भी ज्यादा दवाएं हुआ करती थी. अगर बात करें राजधानी के सीसीएल गांधीनगर अस्पताल की तो वहां पर भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. हमने जब सीसीएल गांधीनगर अस्पताल के औषधि केंद्र के संचालकों से बात की तो उन्होंने बताया कि यह योजना गरीब मरीजों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाया गया था लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण औषधि केंद्र भी दम तोड़ता नजर आ रहा है. हालांकि सदर अस्पताल के जन औषधि केंद्र की हालत थोड़ी बेहतर है लेकिन वह भी मरीजों को पूर्ण लाभ देने में कहीं ना कहीं असमर्थ दिखता नजर आ रहा है.

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बेहाल जन औषधि केंद्र
सरकारी पेंच में फंसा डिस्ट्रीब्यूटरशिप

पूरे राज्य की बात करें तो मिली जानकारी के अनुसार पूरे राज्य में 24 से 25 जन औषधि केंद्र बनाई गई है. कई जिलों में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र को खोलने के लिए डिस्ट्रीब्यूटर्स प्रयास भी कर रहे हैं. लेकिन अभी तक सरकारी पेच फंसने की वजह से कार्य प्रगतिशील पर है.

एक साल में आई दवा सप्लाई में कमी

रिम्स में बने प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के फार्मासिस्ट अमित कुमार बताते हैं कि पहले यहां पर दवाइयों की संख्या बहुत अधिक हुआ करती थी. कोरोना काल में मरीजों की संख्या में भी कमी आई और कहीं ना कहीं सप्लायरों की ओर से दवा भी मुहैया नहीं हो पाया. जिस वजह से दवाइयों की कमी पिछले एक साल से लगातार कम होती चली गई. उन्होंने बताया कि स्वास्थ विभाग की तरफ से जन औषधि केंद्र बेहतर बनाने के लिए सचिव स्तर से टेंडर प्रक्रिया को लागू करने का आदेश जारी किया गया है.

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औषधि केंद्र में दवाइयों की कमी
BBPI करती है दवा सप्लाई

जानकारों का मानना है कि औषधि केंद्र में दवा नहीं होने के कई कारण है. औषधि केंद्रों में सिर्फ ब्यूरो ऑफ फार्मा पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग ऑफ इंडिया (बीबीपीआई) ही दवा सप्लाई करती है, अगर दवाइयां इस कंपनी के पास नहीं है तो BBPI उस दवा की सप्लाई नहीं करती है. ऐसे में पीएम जन औषधि केंद्रों में दवा की सप्लाई बंद हो जाती है जिस वजह से दवाइयों का शॉर्टेज आए दिन केंद्रों में देखा जाता है.

सवालों के बचते नजर आए झारखंड कोऑर्डिनेटर, नहीं उठाया फोन

इसको लेकर हमने झारखंड के कोऑर्डिनेटर सुमित पांडे से बात करने की कोशिश की. वह जन औषधि केंद्र को लेकर जानकारी देने से बचते नजर आए और वह कुछ भी कहने से साफ मना कर दिया. उसके बाद भी जब बार-बार ईटीवी भारत के संवाददाता ने जानकारी प्राप्त करने के लिए कोऑर्डिनेटर सुमित पांडे को फोन लगाया वह फोन नहीं उठाया.

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डॉक्टर्स प्रेसक्राइब नहीं करते जेनरिक दवाइयां

वहीं कई औषधि केंद्रों में लाखों रुपए के दवा अब तक बर्बाद हो चुका है. साथ ही औषधि केंद्रों से जुड़े का मानना है कि कई बार चिकित्सकों की ओर से जेनेरिक दवाइयों को प्रिसक्रिप्शन पर नहीं लिखा जाता है, जिस वजह से भी मरीज केंद्रों पर नहीं पहुंच पा रहे हैं.

गरीबों पर महंगी दवाइयों का बोझ

प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों पर दवाइयां नहीं रहने के कारण अस्पताल में आने वाले गरीब मरीजों को प्राइवेट दुकानों के भरोसे रहना पड़ता है. जहां पर महंगे दर पर वैसे गरीब मरीज दवा खरीदने के लिए मजबूर है. कई औषधि केंद्र के व्यवसायियों ने बताया कि अगर सरकारी स्तर पर व्यवस्था को मजबूत नहीं की जाती है, तो आने वाले दिनों में निश्चित रूप से प्रधानमंत्री की महत्वकांक्षी योजना जन औषधि केंद्र झारखंड में दम तोड़ देगी.

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