मासूम बच्चों को भी नही बक्श रहे नक्सली, रोजी रोटी के चक्कर मे ग्रामीण गवां रहे जान

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Published : May 21, 2023, 11:05 AM IST

Common people are dying due to Naxalites IED

झारखंड में भले ही नक्सली संगठनों पर काफी हद तक नकेल कसा जा चुका है. लेकिन नक्सलियों ने जो जहर फैलाया है उसकी चपेट में मासूम ग्रामीण आ रहे हैं. नक्सलियों के बिछाए गए आईईडी के विस्फोट से अब तक कई लोगों की जान जा चुकी है.

रांची: झारखंड के कोल्हान में नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईईडी बमों की वजह से लगातार निर्दोष ग्रामीणों की जान जा रही है. गुरुवार को नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईडी बम में विस्फोट होने की वजह से एक 10 वर्ष के एक मासूम बच्चे की भी मौत हो गई, बच्चे की मौत के बाद ग्रामीण दहशत में हैं. कोल्हान में पिछले 7 महीनों के दौरान 9 ग्रामीण नक्सलियों के बमों का शिकार हो चुके हैं.

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रोजी रोटी के चक्कर मे गवां रहे जान: दरअसल, झारखंड के कोल्हान आज भी कई ऐसे क्षेत्र हैं जो पहाड़ों और जंगलों से घिरे पड़े हैं. इन क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों के लिए आजीविका का सबसे बड़ा साधन जंगल है. जंगल से लकड़ी और कई तरह के जंगली उत्पाद ग्रामीणों को मिलते हैं, जिन्हें बेचकर भी अपनी जीविका चलाते हैं, लेकिन इन्ही जंगलों में नक्सलियों ने भी डेरा डाल रखा है. पुलिस से बचाव के लिए नक्सलियों ने जंगल के बड़े क्षेत्र में जमीन के भीतर आईईडी बम बिछा दिया है. नतीजा अब इन्हीं बमों का शिकार लगातार ग्रामीण भी हो रहे हैं. गुरुवार को हुए 10 वर्षीय बच्चे की मौत के बाद कोल्हान के वैसे इलाके जो घोर नक्सल प्रभावित हैं और नक्सलियों ने वहां जमीन में बम लगा दिए हैं उस और अब ग्रामीण जाने से खौफ खा रहे हैं. ग्रामीणों को अपनी रोजी-रोटी की चिंता भी सता रही है.

लगातार हो रही हैं मौतें: हथियार के बल पर आम जनता के लिए संघर्ष का दावा करने वाले भाकपा माओवादी अपनी विचारधारा को कोसों दूर छोड़ चुके हैं. अपनी जान बचाने के लिए नक्सली संगठन मासूम बच्चों तक को नहीं बक्श रहे हैं. नक्सली संगठनों में ना ही कोई विचारधारा बचा है और ना ही कोई सिद्धांत. जिस ग्रामीण जनता को विश्वास में लेकर अपनी सल्तनत को कायम रखने की कोशिश कर रहे थे अब वे उन्हीं के दुश्मन बन बैठे हैं. नवंबर 2022 से लेकर मार्च 2023 तक केवल सारंडा में ही 9 निर्दोष ग्रामीण नक्सलियों के लैंडमाइंस विस्फोट में अपनी जान गवां चुके हैं. इन घटनाओं में कई मवेशी भी मारे गए हैं, जबकि कई ग्रामीण लैंड माइंस के चपेट में आकर अपंग हो चुके हैं.

जान बचाने के लिए ग्रामीणों को भी बना रहे निशाना: वैसे तो झारखंड के नक्सल इतिहास में नक्सली संगठन हमेशा से ग्रामीणों को अपना निशाना बनाते रहे हैं. कभी मुखबिर के नाम पर तो कभी पनाह नही देने के नाम पर, लेकिन पुलिस के जोरदार अभियान के बाद परिस्थितियां बिल्कुल बदल गई हैं. झारखंड के अधिकांश नक्सल होल्ड से माओवादियों को खदेड़ दिया गया है. कोल्हान में कुछ ऐसे भी क्षेत्र है जहां नक्सली अभी भी अपने आप को बचाने में कामयाब हुए हैं. लेकिन यह कामयाबी ग्रामीणों के खून से तैयार की गई है. घनघोर बीहड़ों में नक्सलियों ने खुद को बचाने के लिए पूरे जंगल में ही लैंडमाइंस बिछा दिए हैं. लैंडमाइंस ऐसे जंगलों में बिछाए गए हैं जहां ग्रामीणों का रोज आना जाना होता है, नतीजा लगातार ग्रामीण लैंड माइंस विस्फोट में अपनी जान गवा रहे हैं. कोल्हान इलाके में ही 5 महीनों के भीतर 6 ग्रामीण लैंड माइंस की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं.जबकि छह बुरी तरह से जख्मी हुए है.

नवम्बर 2022 से( कोल्हान) कब कब हुई वारदाते ,किसकी गई जान

  1. 20 नवंबर 2022 को चाईबासा के टोनंटो थाना क्षेत्र में लैंडमाइंस विस्फोट में ग्रामीण चेतन कोड़ा की मौत हो गई .
  2. 28 दिसंबर 2022 को गोइलकेरा में हुए लैंडमाइंस विस्फोट में 23 वर्षीय सिंगराय पूर्ति की मौत हो गई
  3. 24 जनवरी 2023 को नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईईडी में विस्फोट होने से कट्ंबा का एक 13 वर्षीय बालक गंभीर रूप से घायल हो गया
  4. 21 फरवरी को चाईबासा के गोइलकेरा थाना क्षेत्र के मेरालगड़ा के पास लैंडमाइंस विस्फोट में 23 वर्षीय ग्रामीण हरीश चंद्र गोप की मौत हो गई
  5. 23 फरवरी 2023 को चाईबासा के टोनंटो थाना के रुकबुरु में जंगल मे लकड़ी चुनने गई बुजुर्ग महिला जेमा हांसदा लैंड माइंस विस्फोट में बुरी तरह से जख्मी हुई.
  6. 1 मार्च 2023 को चाईबासा के इचाहातु में लैंड माइंस विस्फोट में कृष्ण पूर्ति नाम के एक बुजुर्ग की मौत हो गई
  7. 1 मार्च 2023 को ही इचाहातु में ही हुए विस्फोट में 50 वर्षीय महिला नंदी पूर्ति गंभीर रूप से घायल हो गई
  8. 25 मार्च 2023 को चाईबासा के मुफस्सिल थाना क्षेत्र में हुए लैंडमाइंस विस्फोट में 62 वर्षीय महिला गुरुवारी की मौत हो गई ,वही इसी विस्फोट में एक बुजुर्ग महिला चांदू गम्भीर रूप से जख्मी हो गई.
  9. 9 अप्रैल 2023 और 14 अप्रैल 2023 को भी जंगलों में आईडी विस्फोट हुआ, दोनों विस्फोट चाईबासा के टोनंटो में हुए जिसमे एक 6 साल का बालक और एक बुजुर्ग जख्मी हो गए.
  10. 14 अप्रैल 2023 को हुए विस्फोट में 35 वर्षीय जेना कोड़ा की भी मौत हो गई थी
  11. 20 मई 2023 को विस्फोट में टोनंटो थाना क्षेत्र में विस्फोट में दस वर्षीय मासूम नारा कोड़ा की मौत हो गई

बाहरी नक्सल नेता ग्रामीणों को ही दूर कर रहे जंगल से: झारखंड के पुलिस के अधिकारियों के अनुसार बाहर के नक्सली झारखंड के सारंडा में आकर वहीं के ग्रामीणों को निशाना बना रहे हैं. पुलिस से बचने के लिए नक्सली संगठन आईईडी बमों का घेरा बना रहे हैं, वह भी उन जंगलों में जहां से ग्रामीणों की जीविका चलती है. ग्रामीण अपने पेट की आग को बुझाने के लिए जान पर खेलकर जंगलों की तरफ जा रहे हैं, लेकिन नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईडी बमों का भी शिकार हो जा रहे हैं. झारखंड पुलिस के पहल की वजह से कई बार ग्रामीणों को एयरलिफ्ट कर उनकी जान बचाई गई है हालांकि इन धमाकों में कई ग्रामीण असमय काल के गाल में भी समा गए.

1895 आम लोग मारे गए नक्सल हिंसा में: नक्सलवाद का दंश सबसे ज्यादा झारखंड के आम लोगों को भुगतना पड़ा है, 2001 से लेकर 2023 के मई महीने तक नक्सली हिंसा में कुल 1895 आम लोग अपनी जान गवां चुके हैं. साल 2007 में सबसे ज्यादा 175 लोग नक्सली हिंसा के शिकार हुए थे. आंकड़ों का जिक्र करें तो

2001 में 107 सिविलियन मारे गए: नक्सलवाद का दंश सबसे ज्यादा झारखंड के आम लोगों को भुगतना पड़ा है , 2001 से लेकर 2023 के मई महीने तक नक्सली हिंसा में कुल 1895 आम लोग अपनी जान गवां चुके हैं। साल 2007 में सबसे ज्यादा 175 लोग नक्सली हिंसा के शिकार हुए थे। आंकड़ों का जिक्र करें तो 2001 में 107 सिविलियन मारे गए , 2002 में 77 ,2003 में 93 ,2004 में 106, 2005 में 79, 2006 में 93 ,2007 में 175 ,2008 में 150 , 2009 में 138 ,2010 में 135, 2011 में 131, 2012 में 124 ,2013 में 126 ,2014 में 86 ,2015 में 47 2016 में 61, 2017 में 44 , 2018 में 27, 2019 में 30, 2020 में 28, 2021 में 16 और 2022 में अब तक 10 आम नागरिक मारे गए है ,जबकि साल 2023 के मई महीने तक ही 05 आम नागरिक मारे जा चुके हैं.

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