लोहरदगा: लोहरदगा में 1958 में सुरभि सेवा संवर्धन गौशाला की स्थापना की गई थी. 1958 से संचालित इस 63 साल पुरानी गौशाला का रातू महाराजा से भी कनेक्शन है. फिर भी जिले की दशकों पुरानी गौशाला इन दिनों कई चुनौतियों का सामना कर रही है.
गौशाला का रातू महाराजा से कनेक्शन
जिले की सुरभि सेवा संवर्धन गौशाला की शुरुआत वर्ष 1958 में की गई थी. लोहरदगा में 63 साल पुरानी गौशाला का निबंधन तत्कालीन बिहार सरकार के समय में सुरभि सेवा संवर्धन गौशाला समिति के नाम से कराया गया था. गौशाला के लिए रातू महाराजा की ओर से जमीन दी गई थी. वर्तमान में स्थिति यह है कि कभी एक एकड़ फैली गौशाला सिर्फ 22 डिसमिल में सिमट कर रह गई है. दिन-प्रतिदिन जमीन का अतिक्रमण किया जा रहा है. इतना ही नहीं, गायों को चरने के लिए मिली गौशाला की जमीन पर अवैध कब्जे किए जा रहे हैं.
35 वर्षों तक था बंद
यह गौशाला लगभग 35 सालों से बंद थी. लेकिन वर्ष 2015 में उत्साही गौ सेवकों ने मिलकर दोबारा इसका संचालन शुरू किया. अब गौशाला को बेहतर करने की कवायद की जा रही है.
आर्थिक संकटों से जूझ रही गौशाला
लोहरदगा के अजय उद्यान राजा बंगला के पास स्थित गौशाला इन दिनों आर्थिक संकट से जूझ रही है. इस गौशाला का संचालन करीब दो दर्जन उत्साही गौ सेवकों की ओर से किया जा रहा है. यह गौसेवक आपस में चंदा वसूल कर गौशाला का संचालित कर रहे हैं. सरकार की ओर से कोई भी आर्थिक मदद नहीं मिल रही है. तत्कालीन बिहार सरकार के समय के निबंधन को वर्तमान झारखंड सरकार से निबंधन को लेकर कोशिश ही नहीं की गई. अब निबंधन की कवायद शुरू की गई तो जमीन कम पड़ गई.
गौशाला में 10 मवेशी
गौशाला में 10 मवेशी हैं. परेशानी तब आती है, जब मवेशी तस्करों से मवेशी जब्त किए जाते हैं और उसे रखने के लिए कोई जगह नहीं मिलती है. पुलिस प्रशासन को मवेशियों को ग्रामीणों के बीच बांटना पड़ता है.