Latehar News: झारखंड में पग-पग पर है रोजगार, नदी, तालाबों के किनारे उगने वाले झाड़ियों से ग्रामीण कर रहे हैं अच्छी आमदनी
Published: Mar 16, 2023, 11:02 AM


Latehar News: झारखंड में पग-पग पर है रोजगार, नदी, तालाबों के किनारे उगने वाले झाड़ियों से ग्रामीण कर रहे हैं अच्छी आमदनी
Published: Mar 16, 2023, 11:02 AM
झारखंड में कण-कण में धन है, और पग-पग पर रोजगार है. राज्य प्राकृतिक संपदाओं से इस प्रकार भरा हुआ है कि यहां की मिट्टी से लेकर पेड़, पौधे और यहां तक कि झाड़िया भी लोगों की आमदनी के साधन बन जाते हैं.
लातेहारः प्रकृति ने अपने स्तर से रोजगार के कई साधन उपलब्ध करा रखे हैं. इसी प्रकार का एक साधन ढोड़ का जड़ भी है. वर्तमान समय में ढोड़ का जड़ कई ग्रामीणों के लिए आमदनी का स्रोत बना हुआ है.
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दरअसल ढोड़ का जड़ नदी, नालों और तालाबों के किनारे झाड़ियों के रूप में उगता है. स्थानीय ग्रामीण इसके जड़ को उखाड़ कर जमा करते हैं और उसे व्यापारियों के पास बेच देते हैं. वर्तमान समय में स्थानीय मार्केट में इसकी कीमत लगभग 20 से ₹25 प्रति किलो की दर से निर्धारित है. ग्रामीण इसे आसानी से स्थानीय मार्केट में नगद रूप से बेच लेते हैं. बताया जाता है कि पूरे पलामू प्रमंडल में इस जड़ का उत्पादन काफी अधिक मात्रा में होता है. जिससे ग्रामीणों को अच्छी आमदनी भी हो जाती है.
स्थानीय ग्रामीणों की माने तो नदी और तालाबों के किनारे ढोड़ का जड़ खुद-ब-खुद लग जाता है. फरवरी मार्च के महीने में जड़ जब सूखने लगता है तो उसे उखाड़ा जाता है और उसे स्थानीय व्यवसायियों को बेच दिया जाता है. फरवरी और मार्च महीने में अक्सर खेती का सीजन भी नहीं होता. ऐसे में ढोड़ का जड़ लोगों के लिए रोजगार का बेहतर साधन बन जाता है.
कन्नौज में है मंडीः ढोड़ के जड़ की खरीदारी करने वाले स्थानीय व्यवसायी शंकर साहू बताते हैं कि पूरे पलामू प्रमंडल में ढोड़ का जड़ का उत्पादन काफी अधिक होता है. वे बताते हैं कि पूरे पलामू प्रमंडल से लगभग 400 ट्रक ढोड़ का जड़ कन्नौज के मंडी में भेजा जाता है. कन्नौज में इसकी बहुत बड़ी मंडी है. जहां अच्छी कीमत पर इसकी बिक्री हो जाती है. इसका व्यवसाय पूरी तरह नगद होता है, ऐसे में आम ग्रामीणों के साथ-साथ छोटे व्यापारियों को भी इससे लाभ हो जाता है. उन्होंने कहा कि गांव के गरीब ग्रामीण जिनके पास कोई रोजगार नहीं होता उनके लिए यह वरदान के समान साबित होता है.
ढोड़ के जड़ से बनता है तेलः व्यवसाई शंकर साहू बताते हैं कि ढोड़ के जड़ से मुख्य रूप से तेल बनाया जाता है. उन्होंने कहा कि इसके तेल का मुख्य उपयोग स्प्रे अथवा सुगंधित सेंट बनाने में किया जाता है. हालांकि इसके कई अन्य उपयोग भी हैं. इसी कारण इसका डिमांड कन्नौज में खूब है.
ढोड़ के जड़ का नगद व्यापार होने के कारण ग्रामीण अब बड़े पैमाने पर झाड़ी नुमा इस जड़ को उखाड़ कर बेचने लगे हैं. इससे जहां ग्रामीणों को अच्छी आमदनी हो रही है ,वहीं नदियों, नालों और तालाबों की भी सफाई हो जा रही है.
