Latehar News: महुआ से बहार, बढ़ रही आमदनी-मिल रहा रोजगार

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Published : Mar 17, 2023, 2:26 PM IST

Mahua became source of income for villagers in Latehar

महुआ का सीजन, फिजा में मदमस्त सुगंध घोल देती है. महुआ के पीले फूलों के आवरण से गांव, जंगल और पठार ढक जाता है. हवा के मद्धम झोंके से इठलाती हुई महुआ के फूल काफी सुंदर लगते हैं. महुआ के फल जब जंगल की धरती को चूमते हैं तो महुआ की महक से पूरा वातावरण सुगंधित हो जाता है. प्रकृति की अनुपम देन महुआ को पाकर झारखंड का गांव धन्य है. आज ये महुआ ग्रामीण इलाकों के लिए वरदान है. ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट से जानिए, लोग कैसे कर रहे महुआ से आमदनी.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

लातेहारः महुआ का सीजन आते ही ग्रामीण क्षेत्रों में बहार आ जाती है. प्रकृति भी पीले फल और फूल से सराबोर हो जाती है. इस मौसम का इंतजार गांव में रहने वालों को भी बेसब्री से रहता है. क्योंकि ग्रामीणों को अपने गांव में ही आर्थिक आमदनी का बेहतर विकल्प मिल जाता है. ऐसे में ग्रामीण पलायन करने के बदले अपने गांव में ही रहकर महुआ के व्यवसाय से जुड़ जाते हैं. इस महुआ के पेड़ से ग्रामीण और मजदूरों के साथ-साथ व्यवसायी तथा समाज के अन्य वर्ग भी सीधे तौर पर लाभान्वित होते हैं.

मार्च महीने के दूसरे सप्ताह से लेकर अप्रैल महीने के दूसरे सप्ताह तक महुआ का सीजन माना जाता है. लातेहार जिले में महुआ के पेड़ अत्यधिक मात्रा में पाए जाने के कारण यह सीजन यहां के ग्रामीणों के लिए वरदान के समान होता है. ग्रामीणों को अपने गांव और आसपास के जंगली क्षेत्रों में ही आर्थिक कमाई का एक बेहतर विकल्प मिल गया है. ग्रामीण सुबह और दोपहर में महुआ चुनते हैं, उसके बाद उसे धूप में सुखाने के बाद बाजार में बेचते हैं. इससे ग्रामीणों को काफी अच्छी कमाई हो जाती है.

रूक जाता है पलायनः महुआ का सीजन आने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों से मजदूरों का पलायन भी पूरी तरह रूक जाता है. होली के मौसम में घर आने वाले मजदूर अपने घर में रहकर हैं महुआ चुनने का कार्य करते हैं. कुल मिलाकर 1 माह तक ग्रामीणों को उनके गांव और घर के आस-पास ही रोजगार के बेहतर साधन मिल जाते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि एक माह तक गांव में रोजगार की कमी नहीं रहती. अगर सरकार महुआ के पेड़ को लेकर कोई योजना बनाए तो यहां के गरीब ग्रामीणों को इसका सीधा लाभ मिल पाएगा. वहीं ग्रामीण यह भी बताते हैं कि महुआ का सीजन में लोग महुआ चुनने के बाद उसे बेचकर अपने जरूरत के सामान खरीदते हैं. महुआ के सीजन में ग्रामीणों को किसी चीज की कमी नहीं होती है.

करोड़ों का होता है व्यवसायः महुआ के सीजन में सभी वर्ग को इसका लाभ मिलता है. इस संबंध में स्थानीय व्यवसायी निर्दोष गुप्ता ने कहा कि महुआ एक ऐसी फसल है, जिससे समाज के कई वर्ग के लोग लाभान्वित होते हैं. एक तो गांव से पलायन रुक जाता है, जिससे गांव में चहल-पहल रहती है. महुआ से ग्रामीणों को अच्छी कमाई भी हो जाती है. ग्रामीणों के द्वारा बाजार में महुआ बेचा जाता है, जिससे व्यवसायी वर्ग के लोग भी लाभान्वित होते हैं.

महुआ पूरी तरह नकदी फसल होने के कारण समाज के कई अन्य लोग भी अब महुआ खरीद कर स्टॉक करते हैं और फिर सीजन ऑफ होने पर इसकी बिक्री करते हैं. महुआ हमेशा मुनाफा ही देता है. उन्होंने बताया कि जिले में 50 करोड़ से अधिक के महुआ की खरीद बिक्री होती है. महुआ का मुख्य उपयोग शराब बनाने के अलावा कई अन्य दूसरे कामों में भी होता है.

मजदूरों को मिलता है दोहरा लाभः महुआ का सीजन आने के बाद मजदूरों को दोहरा लाभ मिलता है. एक तो मजदूर मजदूरी कर कमाई कर लेते हैं. उसके बाद महुआ की फसल से उन्हें अतिरिक्त कमाई भी हो जाती है. सदर प्रखंड विकास पदाधिकारी मेघनाथ उरांव ने कहा कि महुआ चुनने का समय मुख्य रूप से सुबह और दोपहर में होता है. ऐसे में सुबह और दोपहर में मजदूर महुआ चुन लेते हैं. वहीं शेष समय में मनरेगा और अन्य योजनाओं में मजदूरी भी कर लेते हैं.

महुआ, हमेशा ही ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हुआ है. ग्रामीणों को महुआ से रोजगार मिलता है, महुआ का व्यवसाय भी काफी होता है. अगर सरकार इस फसल की खरीद बिक्री को लेकर कोई सकारात्मक योजना बनाए तो आने वाले समय में महुआ का बेहतर आर्थिक स्रोत बनेगा.

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