विधायक के बिगड़े बोल, क्या बाबूलाल और रघुवर दास के बाप का झारखंड है?

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Published : Aug 26, 2022, 10:26 PM IST

Updated : Aug 26, 2022, 10:48 PM IST

Gumla MLA Bhushan Tirkey controversial speech in CM Hemant Soren public meeting in Latehar

लातेहार-गुमला बॉर्डर पर स्थित टूटूवापानी के पास विकास मेला कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ आए विधायक भूषण तिर्की की जुबान संबोधन के दौरान फिसल गई. उन्होंने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और रघुवर दास पर कटाक्ष करने के फेर में आपत्तिजनक बयान दे डाला.

लातेहारः लातेहार-गुमला बॉर्डर पर स्थित टूटूवापानी के पास विकास मेला कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ आए विधायक भूषण तिर्की की जुबान संबोधन के दौरान फिसल गई. उन्होंने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और रघुवर दास पर कटाक्ष करने के फेर में आपत्तिजनक बयान दे डाला. भूषण तिर्की ने कहा- क्या झारखंड राज्य बाबूलाल मरांडी या रघुवर दास के बाप का है? उन्होंने कहा कि झारखंड यदि किसी का है तो वह शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन का है.

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दरअसल, विकास मेला में फील्ड फायरिंग रेंज के लिए आंदोलन कर रहे आंदोलनकारियों को सम्मानित किया जा रहा था. फील्ड फायरिंग रेंज के दायरे में लातेहार जिले के साथ-साथ गुमला जिले के भी कई गांव आ रहे थे. इसलिए टूटूआपानी में आयोजित विकास मेला के साथ-साथ आंदोलनकारियों के सम्मान समारोह में बड़ी संख्या में गुमला जिले के भी ग्रामीण पहुंचे थे.

भूषण तिर्की का बयान

इसी दौरान सीएम की जनसभा में लोगों को संबोधित करते हुए गुमला विधायक भूषण तिर्की ने सीएम हेमंत सोरेन सरकार की जहां जमकर तारीफ की. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी तथा रघुवर दास के खिलाफ शब्दों की मर्यादा लांघ गए. उन्होंने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि झारखंड राज्य बाबूलाल मरांडी का है तो कुछ लोग कहते हैं कि रघुवर दास का है.

विधायक भूषण तिर्की ने कहा कि झारखंड बाबूलाल मरांडी के बाप का है क्या ? रघुवर दास के बाप का है क्या? उन्होंने कहा कि झारखंड के लिए यदि किसी ने संघर्ष किया तो वह शिबू सोरेन है. इसलिए झारखंड यदि किसी के बाप का है तो वह आज आप सभी के सामने मंच पर विराजमान है.

1964 से रचा जा रहा था आदिवासियों को उजाड़ने का षड्यंत्रः विधायक भूषण तिर्की ने कहा कि आदिवासियों को उजाड़ने के लिए वर्ष 1964 से ही लगातार षड्यंत्र किया जा रहा था. झारखंड बनने के बाद भी किसी भी मुख्यमंत्री ने आदिवासियों के हित में काम नहीं किया. परंतु जैसे ही हेमंत सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री बने उन्होंने आंदोलनकारियों के आंदोलन को सफल बनाते हुए षड्यंत्र को असफल कर दिया.

Last Updated :Aug 26, 2022, 10:48 PM IST
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