बिरहोर समुदाय के लोगों का बनवाया जा रहा है आधार कार्ड, सरकारी योजनाओं के लाभ से हैं वंचित

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Published : Sep 24, 2022, 10:53 PM IST

Aadhar card camp for birhor

कोडरमा में रहने वाले बिरहोर समुदाय के सैकड़ों लोग आज भी आधार कार्ड से वंचित हैं. जिसके कारण उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पा रहा था. ऐसे में शिविर लगाकर उनका आधार कार्ड बनवाया जा रहा है (Aadhar card camp for birhor tribe).

कोडरमा: जिले में आदिम जनजाति बिरहोर (birhor tribe in Koderma) समुदाय के लोग आज भी काफी पिछड़े हैं. ये जानकर हैरानी होगी कि आज भी यहां सैकड़ों बिरहोर के पास आधार कार्ड नहीं हैं. बिरहोर समुदाय के लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सरकार की तरफ से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. ऐसे में उन योजनाओं का शत प्रतिशत लाभ बिरहोर समाज के लोगों को मिल सके इसके लिए उनका आधार कार्ड बनावाया जा रहा है.

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सैकड़ों बिरहोर आधार कार्ड से हैं वंचित: मेरा आधार मेरी पहचान, लेकिन झारखंड की पहचान कहे जाने वाले आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय के सैकड़ों लोग आधार कार्ड की नई पहचान से वंचित हैं. कोडरमा झुमरी तिलैया के झरनाकुंड नवसृजित प्राथमिक विद्यालय में आदिम जनजाति बिरहोरों का आधार कार्ड बनवाने को लेकर दो दिवसीय शिविर का आयोजन किया गया (Aadhar card camp for birhor tribe). इस शिविर में 60 बिरहोरों के आधार कार्ड बनवाए गए. झरनाकुंड बिरहोर टोला में तकरीबन 100 बिरहोर निवास करते हैं, जिसमें गिने-चुने बिरहोरो का ही आधार कार्ड बना हुआ था.

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सरकारी योजनाओं का नहीं मिल रहा था लाभ: झरनाकुंड में बिरहोरों की संख्या लगातार बढ़ रही है. आधार कार्ड से वंचित रहने के कारण नए सदस्यों को किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा था, जिसकी शिकायत लगातार जिला प्रशासन तक पहुंच रही थी. बहरहाल, विशेष शिविर का आयोजन कर झरनाकुंड के अलावा जिले के विभिन्न बिरहोर टोला में शिविर आयोजित किए जा रहे हैं. जहां आधार कार्ड से वंचित बिरहोरों का आधार कार्ड बनवाया जा रहा है, जिसमें महिलाओं और बच्चों की संख्या ज्यादा है.

बिरहोरों को शिविर तक लाना भी बड़ी चुनौती: बिरहोर समुदाय के लोगों को सरकार की ओर से मुफ्त राशन के अलावा पेंशन भी दिया जाता है लेकिन, आधार कार्ड नहीं होने की वजह से कई बिरहोर सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित थे. अब आधार कार्ड से जुड़ जाने के बाद इन्हें नई पहचान मिल गई है. जिससे इन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिलने लगेगा. दरअसल, आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय के लोग अब तक समाज की मुख्यधारा से पूरी तरह से नहीं जुड़ पाए हैं और अभी भी ये समुदाय जंगलों में निवास करना ज्यादा पसंद करते हैं. ऐसे में इन बिरहोरों को आधार कार्ड के लिए शिविर तक लाना भी बड़ी चुनौती थी.

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