Khunti Mushroom Cultivation: महिलाओं को मशरूम की खेती का प्रशिक्षण, कभी हड़िया बेचकर करती थीं गुजारा

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Published : Jan 20, 2023, 1:16 PM IST

Mushroom cultivation training to rural women in Khunti

कभी गांव में हड़िया बेचकर आजीविका चलाने वाली महिलाएं आज अपने हाथों से अपनी किस्मत संवार रही हैं. जिल्लत की जिंदगी से निकलकर वो आज समाज में सिर उठाकर अपने हुनर से गरीबी को मात दे रही हैं. बैंक और निजी संस्था की पहल पर कौशल विकास प्रशिक्षण के तहत खूंटी में महिलाओं को मशरूम की खेती का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

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खूंटीः समाज में हर कोई सिर उठाकर जीना चाहता है, कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहता है, जिससे समाज उसका असम्मान करे. लेकिन दो पैसे की चाहत, गरीबी और भूख के आगे लाचार और बेबस इंसान हर काम करने को तैयार हो जाता है. खूंटी में ग्रामीण इलाके की महिलाओं की किस्मत में भी कुछ ऐसा ही लिखा हुआ था लेकिन वो अपने हुनर से इस कलंक को धो रही हैं. उनके जिन हाथों में कभी हड़िया का प्याला हुआ करता था आज उन्हीं हाथों में मशरूम का पैकेट नजर आ रहा है.

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आत्मनिर्भर भारत और समाज के ध्येय के साथ खूंटी की महिलाओं ने अपने कदम बढ़ा लिए हैं. अपने सपनों को साकार करने के लिए वो अपने हुनर को धार दे रही हैं. ऑयस्टर और बटन मशरूम की खेती कर वो अपनी आय को दुगुना कर सके. इसके लिए महिलाएं खुद को ट्रेंड कर रही हैं ताकि भविष्य में उन्हें हड़िया ना बेचना पड़े और गरीबी के कलंक से भी उन्हें मुक्ति मिल जाए.

केंद्र सरकार लगातार बेराजगारों को कौशल विकास प्रशिक्षण के माध्यम से उन्हें हुनरमंद बनाकर स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही हैं. इसमें बैंक और गैर सरकारी संस्थाएं भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. सरकारी उपक्रम बैंक ऑफ इंडिया और एक संस्था के संयुक्त प्रयास से बेरोजगार ग्रामीणों महिलाओं को दस दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है. खूंटी के बिरहु स्थित स्वरोजगार प्रशिक्षण केंद्र में महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए मशरूम उत्पादन की बारीकियां बताई जा रही हैं. जिसमें उन्हें मौखिक, लिखित और प्रायोगिक तरीके से प्रशिक्षित किया जा रहा है.

रामगढ़ से आए मशरूम प्रशिक्षक मनोहर प्रभाकर ने 30 महिलाओं को ऑयस्टर और बटन मशरूम के उत्पादन का तरीका बताया है. उन्होंने बताया कि मशरूम उगाने का सही समय जनवरी फरवरी होता है. मशरूम उगाने के लिए स्वच्छ पुआल को 12 से 15 घंटे तक फॉर्मालिन और बैविस्टिन (formalin and bavistin) मिलाकर पानी में रखना होता है. इसके बाद पानी से पुआल को निचोड़कर पॉली बैग में भरना होता है और बीच बीच में तीन चार लेयर में मशरूम का बीज लगाकर रखना होता है. इस प्रक्रिया में ऑयस्टर मशरूम जल्द तैयार होता है जबकि बटन मशरूम बनने में लंबा समय लगता है.

मशरूम की खेती का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद महिलाओं ने मशरूम उगाने की विधि बतायी और सभी प्रशिक्षु महिलाओं ने एक एक पैकेट मशरूम उगाने का पैकेट तैयार किया है. प्रशिक्षण के बाद इच्छुक महिलाओं को स्वरोजगार के लिए बैंक से लोन भी स्वीकृत करायी जाएगी. बैंक से लोन लेकर महिलाएं मशरूम उत्पादन के व्यवसाय को आगे बढ़ाएंगी और अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर बनाएंगी.

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