Dinesh Gope Arrested: कभी दोस्तों के साथ भैंस चराने वाला दिनेश गोप, आखिर कैसे बन गया नक्सलियों का सरगना

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Published : May 21, 2023, 10:50 PM IST

Dinesh Gope Arrested

पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप कभी अपने दोस्तों के साथ भैंस चराने जाता था. लेकिन कैसे वह एक खूंखार नक्सली बन गया, जानिए ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट से.

नक्सली दिनेश गोप का पुश्तैनी गांव

खूंटी: जिले के एक छोटे से गांव मोहराटोली में कभी अपने दोस्तों के साथ भैंस चराने वाला बच्चा मोस्ट वांटेड नक्सली बन जाएगा, ये किसने सोचा था. कभी बेहद ही सीधा और शांत मिजाज रहने वाले लड़के के खिलाफ देश के तीन राज्यों में करीब 150 से भी अधिक मामले दर्ज कैसे हो गए. वह नक्सली बना कैसे, इन सारे सवालों का जवाब उसके कभी करीबी रहे लोगों ने देने की कोशिश की है.

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हम बात कर रहे हैं झारखंड में नक्सल को बढ़ावा देने वाले पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप की. दिनेश गोप को काफी कड़ी खोजबीन के बाद पुलिस ने आखिर पकड़ ही लिया. एके 47 और विदशी हथियारों का शौकीन दिनेश गोप को एनआईए और झारखंड पुलिस की विशेष टीम नेपाल से गिरफ्तार कर झारखंड लेकर आई है. हालांकि, एनआईए के अनुसार उसे दिल्ली से पकड़ा गया है.

कर्रा थाना क्षेत्र स्तिथ लापा मोहराटोली गांव का निवासी दिनेश गोप आखिर नक्सली कैसे बन गया, गांव वाले आज तक नहीं समझ पाए, क्योंकि उसके साथ भैंस चराने वाला दोस्त बताता है कि वो काफी सीधा और शांत मिजाज का रहने वाला था. नाम नहीं बताने की शर्त पर भैंस चराने वाले एक दोस्त ने बताया कि हमलोग लापा मोहराटोली गांव में कभी भैंस चराने जाया करते थे. हम दो तीन दोस्त भैंस चराने के साथ साथ स्कूल भी जाया करते थे. दिनेश भी साथ स्कूल जाता था. किसी तरह उसने मैट्रिक पास किया और आर्मी की तैयारी करने लगा. उसका आर्मी में बहाली भी हो गया. आर्मी में जाने के लिए ज्वाइनिंग लेटर आया. लेकिन जॉइनिंग लेटर लेकर जैसे ही वह घर के लिए निकला, कि रास्ते में उसे जानकारी मिली कि उसके भाई सुरेश गोप को पुलिस ने लापा बरटोली के पास मुठभेड़ में मार गिराया.

भाई की मौत का बदला लेने के लिए नक्सली संगठन से जुड़ा: दोस्त के अनुसार, जेएलटी संगठन को दिनेश गोप का भाई सुरेश गोप चलाता था, लेकिन उसके मारे जाने के बाद दिनेश गोप भाई का बदला लेने के लिए संगठन से जुड़ गया और मुखबिरों की हत्या करने लगा. उसके खिलाफ पहला मामला वर्ष 2003 में कर्रा थाना में दर्ज हुआ, उसके बाद से वह क्षेत्र में संगठन विस्तार में लग गया और पार्टी का नाम बदलकर पीएलएफआई कर दिया. पांच सालों तक कर्रा इलाके में ही उसका ठिकाना था, लेकिन उसने वर्ष 2008 के आसपास कर्रा छोड़ दिया और उसके बाद कभी गांव की तरफ नहीं लौटा. दोस्त ने बताया कि मुठभेड़ में मारा गया सुरेश गोप ने इंटर तक की पढ़ाई की थी.

10 साल पहले लौटा था गांव: भैंस चराने वाले दोस्त ने बताया कि लगभग 10 वर्ष पहले एक दिन अचानक दिनेश गोप गांव आया था और जिससे ज्यादा लगाव था, उससे मुलाकात कर वापस लौट गया. जाते जाते गांव समाज से लेकर परिवार वालों का हाल खबर भी लिया. लेकिन, उसके बाद वह कभी गांव की ओर नहीं आया. दोस्त ने बताया कि क्षेत्र में बच्चे शिक्षा से दूर हो रहे थे, लोगों को पूजा पाठ करने में परेशानियां आने लगी थी तो उसने समाज के लिए स्कूल और मंदिर बनवाया. वह गरीब परिवार के बच्चे और बच्चियों की खूब मदद करता था. साथ ही शादी ब्याह में भी खर्च करता था. उसने बताया कि वो गलत जरूर था, लेकिन क्षेत्र के लिए एक मसीहा की तरह रहा.

गांव में सन्नाटा पसरा: दिनेश गोप की गिरफ्तारी के बाद से उसका गांव समेत उसके ठिकानों तक सन्नाटा पसर गया है. दिनेश गोप ने जहां स्कूल और मंदिर बना कर खुद का ठिकाना बनाया था, वैसे जगहों पर भी लोगों ने चुप्पी साध ली है. कुख्यात नक्सली दिनेश गोप के पुस्तैनी गांव में भी सन्नाटा है, जबकि उसका घर जमींदोज हो चुका है. लोग बताते हैं कि 20 वर्षो से यहां कोई नहीं रहता, जिसके कारण पुस्तैनी घर अपने आप गिर गया और जमीन में मिल गया.

इधर जिले में दिनेश गोप की गिरफ्तारी के बाद जिले के व्यापारियों में खुशी का माहौल है और खूंटी पुलिस भी गदगद है. ईटीवी भारत को कई ठेकेदारों ने फोन कर बताया कि अब पीएलएफआई का खौफ नहीं है. क्षेत्र में चल रही विकास की योजनाएं कम समय में बेखौफ पूरी होगी.

खूंटी जिले में ही सिर्फ 100 से अधिक मामले दर्ज: बताते चलें कि पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप के खिलाफ खूंटी जिले में ही सिर्फ 100 से अधिक मामले दर्ज हैं. जबकि गुमला जिले के कामडारा थाना में दिनेश गोप पर 20 मामले दर्ज है. बताया जाता है कि ज्यादातर नक्सली कांड कामडारा इलाके में ही हुआ. इसी तरह सिमडेगा जिला में लगभग 25 केस और रांची में तीन दर्जन से ज्यादा विभिन्न कांड दर्ज है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, दिनेश गोप पर काफी केस दर्ज किया गया. कुछ घटनाओं में उसका नाम शामिल नहीं हो पाया, लेकिन जितने मामले दर्ज हुए, उसके अनुसार सुप्रीमो ने कई दर्जन आम जनों से लेकर व्यापारियों को मौत के घाट उतारा है.

2011 की घटना से आया चर्चा में: दिनेश गोप ने सबसे बड़ी घटना 2011 में अंजाम दिया था. उसने विश्वनाथ गोप और उसके बॉडीगार्ड नीरज की बेरहमी से हत्या कर दी थी, उसके बाद उनके शवो को गाड़ी समेत जला दिया था. फिर उसने वर्ष 2013 में कर्रा थाना क्षेत्र में भूषण सिंह और गोविंद सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस घटना को दिनेश गोप, जिदन गुड़िया, तिलकेश्वर गोप समेत दर्जनों नक्सलियों ने अंजाम दिया था. उस वक्त भूषण सिंह अपने घर मे थे. दहशत फैलाने के लिए दिनेश गोप ने भूषण सिंह के घर पर कई राउंड फायरिंग की थी, जिससे घर के दीवारों पर छर्रे जमा हो गए थे.

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वहीं इसके बाद 2014 में मुरहू थाना में उसने पुलिस पार्टी पर हमला किया था. 2014 में ही तोरपा में एक शख्स का अपहरण कर उसकी हत्या की गयी थी. बाद में उसके शरीर और चेहरे को बिगाड़ दिया गया था. हालांकि उस वक्त मृत युवक की पहचान नहीं हो सकी थी, यह काम भी दिनेश गोप ने ही अंजाम दिया था. वहीं वर्ष 2016 में अड़की थाना क्षेत्र में दिनेश गोप ने एक ही परिवार के तीन सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया था, जिसमें परिवार के सुखराम पहान, रुकन पहान और दीत पहान शामिल थे. घटना को दर्दनाक तरीके से अंजाम दिया गयी था. उस वक्त दिनेश गोप ने दर्जनों ग्रामीणों को बेरहमी से पीटा भी था. 2017 में उसने कर्रा स्तिथ एक प्लांट में कर्मियों को बंधक बना कर जला दिया था, जिसके बाद सूचना पर पहुंची पुलिस पर फायरिंग करके वह भाग गया था.

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