मिलिये देश के तीसरे और दुनिया के 9वें सबसे छोटे आदमी से!

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Published : Sep 20, 2021, 3:55 PM IST

Khirodhar of Hazaribag

दुनिया में कई लोग खास होते हैं और इसके कारण उन्हें वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी जगह मिलती है. लेकिन, कई लोगों की पहचान सिर्फ इस वजह से नहीं हो पाती है क्योंकि वे सुदूरवर्ती इलाकों में रहते हैं और कई एजेंसियों को इसकी जानकारी नहीं हो पाती. ऐसे ही एक इंसान हैं हजारीबाग के खिरोधर. ये देश के तीसरे और दुनिया के 9वें सबसे छोटे आदमी हैं!

हजारीबाग: दुनिया में कई तरह के लोग हैं. कोई लंबा तो किसी का कद काफी छोटा है. कोई गोरा है तो कोई सांवला. ऐसा हार्मोंस के असंतुलन की वजह से होता है. रंग बिरंगी इस दुनिया में जो भीड़ से अलग और खास है उसे वर्ल्ड रिकॉर्ड में जगह भी मिलती है. लेकिन कभी-कभी कोई व्यक्ति जो सामान्य व्यक्ति से अलग हो और सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र में रहता हो तो उसकी जानकारी विभिन्न एजेंसियों को नहीं मिल पाती. जिसके कारण उसकी पहचान छिपी रह जाती है. ऐसे ही एक इंसान हैं हजारीबाग के खिरोधर.

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28 इंच है खिरोधर की लंबाई

हजारीबाग के विष्णुगढ़ प्रखंड के बारा गांव में रहने वाले खिरोधर की लंबाई 28 इंच है. सेंटीमीटर में बात करें तो यह 71.12 है. ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह विश्व के टॉप 10 छोटे कद के इंसान में शामिल हो सकता है. ईटीवी भारत की रिसर्च के मुताबिक अब तक जो डाटा सामने आया है उसके मुताबिक खिरोधर देश में तीसरा और दुनिया का नौवां सबसे छोटा इंसान हो सकता है. खिरोधर की उम्र करीब 40 साल है और वजन 10 किलो. ये चार भाइयों में सबसे बड़ा है. माता-पिता बताते हैं कि जब खिरोधर का जन्म हुआ था उस वक्त भी इसकी लंबाई और वजन दूसरे बच्चों की तुलना में काफी कम थी. परिवार वाले उसे कई डॉक्टर के पास ले गए लेकिन कोई बदलाव नहीं हुआ. न उसका वजन बढ़ा और न कद.

खिरोधर और उसके माता-पिता से बात की संवाददाता गौरव प्रकाश ने.

दुकान चलाता है खिरोधर

खिरोधर इंटर पास है. पहले वह गांव के बच्चों को पढ़ाता भी था. लेकिन बाद में पढ़ाना बंद कर दिया क्योंकि लंबाई कम होने के कारण वह बैठ भी नहीं पाता है. ऐसे में उसके परिवार वालों ने एक छोटा सा दुकान उसके लिए खोल दिया. गांव के लोग आते हैं, खुद ही समान लेते हैं, खुद ही वजन करते हैं और उसे पैसा देते हैं. इंटर तक पढ़ने के कारण उसे पैसे की भी अच्छी जानकारी है. मानसिक रूप से खिरोधर स्वस्थ है. लेकिन कुदरत की मार ने उसकी लंबाई को बढ़ने नहीं दिया और गरीब होने के कारण परेशानी भी है.

सरकार से मदद करने की मांग

खिरोधर अपनी समस्या को लेकर जिले से लेकर राजधानी तक कई बार चक्कर लगा चुका है. उसे सरकार की ओर से मदद मिली भी है क्योंकि वह दिव्यांग है. उसे एक हजार रुपए की आर्थिक मदद मिलती है और उसका नाम अंत्योदय राशन कार्ड में भी अंकित है. लेकिन, फिलहाल उसे राशन मिलना बंद हो गया है. उसका कहना है कि उसे सरकार से मदद चाहिए. एक इलेक्ट्रॉनिक गाड़ी मिले जिससे वह घर से बाहर निकल सके. साथ ही आर्थिक रूप से भी मदद की जाए. खिरोधर का कहना है कि गूगल सर्च के हिसाब से उसे दुनिया के टॉप-10 छोटे कद वाले इंसान में शामिल होना चाहिए. जिससे झारखंड सहित हजारीबाग का नाम विश्व पटल पर जाना जाएगा.

खिरोधर की लाचारी से परेशान हैं माता-पिता

खिरोधर की माता-पिता बताते हैं कि इसे पालने में काफी परेशानी होती है. घर में कोई रहता नहीं है. हम लोग खेती करने के लिए चले जाते हैं. उस वक्त परेशानी हो जाती है. एक छोटा सा खिड़की बनाया है और वह उसी खिड़की से अंदर अपने कमरे में चला जाता है और फिर काम पड़ने पर बाहर निकलता है. खास करके शौचालय ले जाने के लिए काफी दिक्कत होती है. उनका यह भी कहना है कि उन्हें यह जानकारी नहीं है कि विश्व में छोटे कद लोगों को अलग पहचान मिलती है. अगर जानकारी होती तो अपने बेटे के बारे में बताते. वर्तमान में खिरोधर आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है. परिवार वाले भी बोलते हैं कि गरीबी के कारण परिवार का भरण पोषण भी करने में दिक्कत हो रही है.

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