गुमला: अंग्रेजों के दांत खट्टे करने वाले वीर शहीद तेलंगा खड़िया (martyr Telanga Khadia ) के वंशज, उनके परपोते जोगिया खड़िया बदहाली की जिंदगी जीने को विवश हैं. जोगिया ने अपनी बेटी पुनी खड़ियाइन के इलाज के लिए 75 हजार रुपये में जमीन गिरवी रखी. इसके बाद पुनी खड़ियाइन के पथरी का ऑपरेशन हुआ और अभी वह स्वस्थ है. पुनी से पहले जोगिया भी बीमार हो गया था. जोगिया के इलाज में भी 30 हजार रुपये खर्च हुए. जोगिया का इलाज उसके बेटे विकास खड़िया ने कराया. विकास खड़िया ने ओडिशा के मछली कारखाना में मजदूरी कर 40 हजार रुपये कमाए थे. उसी पैसे से जोगिया का इलाज हुआ.
इसे भी पढ़ें-शहीद निर्मल महतो की 34वीं पुण्यतिथिः सीएम हेमंत सोरेन और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने दी श्रद्धांजलि
शहीद का परिवार इन दिनों संकट में जी रहा है, लेकिन सरकार और प्रशासन इस परिवार की मदद नहीं कर रहा है. यहां तक कि शहीद के परपोते जोगिया खड़िया और पुनी खड़ियाइन बुजुर्ग हो गये हैं. वृद्धावस्था पेंशन के लिए एक दर्जन बार आवेदन जमा किया जा चुका है. सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते रहे हैं, लेकिन अभी तक दोनों बुजुर्ग दंपति की वृद्धावस्था पेंशन स्वीकृत नहीं हुई है.
चौंकाने वाली बात है कि शहीद के परपोते जोगिया के बेटे विकास खड़िया की पढ़ाई के लिए भी सरकार मदद नहीं कर रही है. विकास वर्तमान में मजदूरी कर पढ़ाई करने को मजबूर है. विकास ने गुमला शहर के एसएस बालक हाई स्कूल में इंटर 11वीं कला संकाय में नामांकन कराया है. स्कूल में नामांकन कराने के लिए उसने ओडिशा राज्य में मजदूरी की. पैसा कमाकर जब घर लौटा, तो उसी पैसे से अपने पिता का इलाज कराया और स्कूल में भी नामांकन कराया.
बदहाली में जी रहे वंशज
शहीद का परपोता जोगिया खड़िया बीमार हो गया था. स्थिति खराब थी, इलाज के लिए पैसे नहीं थे. तब जोगिया के बेटे विकास खड़िया ओडिशा से मजदूरी कर पैसा कमाकर घर लौटा. 30 हजार रुपये खर्च कर जोगिया का इलाज हुआ तो उसकी जान बची. जोगिया ठीक हुआ, तो उसकी पत्नी पुनी खड़ियाइन के पेट में पथरी हो गई. सिसई के एक निजी अस्पताल में जांच कराई गई. 70 हजार रुपये अस्पताल ने मांगे. परिवार के पास पैसे नहीं थे. अंत में जोगिया ने पत्नी पुनी के इलाज के लिए 75 हजार रुपये में एक एकड़ खेती योग्य जमीन को बंधक रख दिया है. इतना होने के बाद भी प्रशासन ने इस परिवार की कहीं मदद नहीं की. गुमला से 18 किमी दूर घाघरा गांव में शहीद के वंशज अंग्रेजों के जमाने से रहते आ रहे हैं. जोगिया खड़िया और पुनी खड़ियाइन ने कहा कि हमें आज भी गर्व होता है कि हम शहीद तेलंगा खड़िया के वंशज हैं. सरकार और प्रशासन की ओर से शहीद के परिवार की उपेक्षा की जा रही है.
इसे भी पढ़ें- लोहरदगा का अजय उद्यान बच्चों की चहक-कदमी से रहता था गुलजार, आज छाई है वीरानी
मूलभूत सुविधाओं से हैं वंचित
घाघरा गांव में 16 परिवार हैं, जिसमें कुछ परिवारों को शहीद आवास मिला है. लेकिन अब भी कई घर अधूरे हैं. शौचालय भी पूरा नहीं हुआ है. गांव तक आने के लिए एक किमी कच्ची सड़क है. बारिश के दिनों में दिक्कत होती है. पीने के पानी की भी व्यवस्था नहीं है. एक किमी दूर कुएं से पानी लाकर पीते हैं. गांव में एक डीप बोरिंग होने से पानी का संकट नहीं होगा. जोगिया ने अपने बेटे विकास खड़िया को सरकारी नौकरी देने की मांग सरकार से की है. घाघरा गांव जाने की सड़क पर असामाजिक तत्वों ने शहीद तेलंगा खड़िया की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया है, जिसकी मरम्मत नहीं की गयी है. वंशजों ने प्रशासन से प्रतिमा को ठीक करने और शिलापट को भी सुंदर बनाने की मांग की है, जिससे प्रतिमा सुरक्षित रह सके. इस संबंध में जिले के उपायुक्त ने कहा है कि इस महीने के अंत तक शहीद के वंशजों के लिए पेंशन तैयार हो जाएगी.