ग्रामीणों के तीर से घायल हुए पुलिसकर्मी, ईसीएल राजमहल परियोजना बना अखाड़ा

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Published : Jan 19, 2023, 7:52 PM IST

Updated : Jan 19, 2023, 8:02 PM IST

ECL Rajmahal project

ईसीएल राजमहल परियोजना क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण करने गयी पुलिस और ग्रामीण के बीच झड़प हुई. जिसमें कई पुलिस पदाधिकारी और जवान जख्मी हो गए. एक जवान को पैर में तीर भी लगा है. कुछ ग्रामीणों को हिरासत में लिया गया है.

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गोड्डाः जिले में ईसीएल राजमहल परियोजना ललमटिया अंतर्गत बसडीहा में ग्रामीणों ने लगातार दूसरे दिन भूमि अधिग्रहण का विरोध किया. इस दौरान झड़प शुरू हो गई. पत्थरबाजी भी हुई. जिसके बाद पुलिस द्वारा हवाई फायरिंग की बात कही जा रही है. झड़प में कई जवानों को चोट लगी है.

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पुलिस-ग्रामीणों के बीच झड़पः दरअसल जमीन अधिग्रहण के लिए दूसरे दिन 400 की संख्या में महिला और पुरुष पुलिस बल जिसमें सीआरपीएफ और आईआरबी के जवान शामिल थे. भूमि अधिग्रहण के लिए भेरेंडा पहुचे. जिसका ग्रामीणों ने पूर्व की तरह विरोध किया. इस दौरान दोनों तरफ से पत्थरबाजी शुरू हो गयी. जिसमें पुलिस द्वारा आंसू गैस छोड़े जाने व हवाई फायर की बात आई है. इस दौरान एसडीपीओ महगामा शिवशंकर तिवारी को मामूली चोट आई, कुछ जवानों को भी चोट आई है. साथ ही एक जवान को पैर में तीर लगने की भी सूचना है. ग्रामीण पारंपरिक हरवे हथियार के साथ पहुचे थे.

ग्रामीण लगातार कर रहे विरोधः जानकारी के मुताबिक वर्ष 2018 में बसडीहा और तालझारी की 125 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई थी. इसकी घेराबंदी का ग्रामीण लगातार विरोध कर रहे हैं. तालझारी गांव के ग्रामीणों ने छह माह पूर्व सीएमडी को वार्ता के दौरान बंधक बना लिया था. ईसीएल परियोजना के द्वारा तालझारी और आसपास के ग्रामीणों को 10 करोड़ मुआवजा और 22 लोगों को ईसीएल में रोजगार दिया गया है.

'खनन करना ईसीएल का हक': इस पूरे मामले में महाप्रबंधक ईसीएल आर सी महापात्रा के अनुसार तालझारी के आसपास 125 एकड़ जमीन अधिगृहित की गई है. ग्रामीणों की हर मांग मानी गयी है. ऐसे में अधिगृहित जमीन पर कोयला खनन करना प्रबंधन का हक बनता है. प्रशासन के सहयोग से कोयला खनन का प्रयास किया जा रहा है.

लोगों को ईसीएल पर भरोसा नहींः वर्ष 1979-80 में राजमहल परियोजना अस्तित्व में आई. कोल वेरिंग एक्ट के तहत खनन कार्य पूरा होने के 20 साल बाद जमीन को भर कर रैयतों को लौटाने का प्रावधान है. लेकिन राजमहल परियोजना ने एक इंच भी जमीन लौटाई नहीं है. जिससे लोगों का विश्वास प्रबंधन पर नहीं है. आज भी पुनर्वास के कई मामले आधे अधूरे फंसे हैं.

खतरे में राजमहल परियोजना का अस्तित्वः वहीं दूसरी ओर ईसीएल राजमहल परियोजना के अस्तित्व का सवाल है. जिसके तहत प्रबंधन अब करो या मरो के हाल में भूमि अधिगृहित कर खनन चालू रखना चाहती है. क्योंकि ईसीएल राजमहल परियोजना से एनटीपीसी कहलगांव और एनटीपीसी फरक्का को कोयले की आपूर्ति होती है.

Last Updated :Jan 19, 2023, 8:02 PM IST
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