खुले आसमान के नीचे रात गुजार रहे डोली मजदूर, जैन तीर्थयात्रियों को कांधे पर लेकर सम्मेद शिखर की कराते हैं यात्रा

author img

By

Published : Nov 26, 2022, 9:56 PM IST

Updated : Nov 26, 2022, 10:08 PM IST

Doli workers spending night under open sky in Giridih

जैन तीर्थस्थल मधुबन में यात्रियों को तलहटी से सम्मेद शिखर तक पहुंचानेवाले डोली मजदूरों को मौसम के थपेड़े झेलनी पड़ती है. सर्दियों में तो रात इन्हें खुले आसमान के नीचे गुजाराना पड़ता है (Doli workers spending night under open sky). हालांकि डीसी ने इनके दर्द का समुचित हल निकालने की बात कही है. पढ़े पूरी रिपोर्ट

गिरिडीह: जैन धर्म का पवित्र तीर्थस्थल सम्मेद शिखर मधुबन यहां डोली मजदूर खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं (Doli workers spending night under open sky). यह क्षेत्र विश्व प्रसिद्ध है, यहां देश विदेश से यात्री आते हैं. मधुबन आने के बाद यात्री सम्मेद शिखर का दर्शन अवश्य करते हैं. यहां सम्मेद शिखर ( पारसनाथ ) तक लाने ले जाने का काम डोली मजदूर वर्षों से करते रहे हैं. कांधे पर यात्रियों को बैठाकर 9 किमी की पर्वत चढ़ाई, पर्वत पर 9 किमी का भ्रमण कराते हुए विभिन्न मंदिरों का दर्शन करवाना और वापस पर्वत से 9 की दूरी तय कर यात्रियों को तलहटी तक लाने का काम यही डोली मजदूर करते रहे हैं, लेकिन मधुबन में इन मजदूरों की दशा अच्छी नहीं है. यहां कड़ी मेहनत करनेवालों मजदूर आराम से सो भी नहीं पाते हैं. इन्हें खुले आसमान के नीचे ही रात गुजारना पड़ता है. अभी सर्दियों का मौसम है और अभी भी ये मजदूर सर्द रातों में आसमान के नीचे या सड़क के किनारे फुटपाथ पर सोने को मजबूर हैं.

ये भी पढ़ें: जैनियों के तीर्थस्थल मधुबन में भगवान पार्श्वनाथ का निर्वाण महोत्सव, चढ़ाया गया 2300 किलोग्राम का लड्डू

पतली चादर से गर्माहट लाने का प्रयास: ईटीवी भारत ने रात के समय इन मजदूरों का हाल जाना. मधुबन पहुंचने पर जगह जगह आसमान के नीचे या सड़क के किनारे फुटपाथ पर या फिर किसी बंद दुकान के बरामदे पर पतली सी चादर या कंबल ओढ़कर सोये हुए मजदूर दिखे. कोई मजदूर चादर के अंदर ही दोनों पांव को मोड़कर गर्मी की अनुभूति लेता तो कोई मजदूर डोली पर ही निढाल होकर सोया मिला. चूंकि दिनभर की थकावट और अर्धरात्रि से काम पर लगने की जिद के कारण इन मजदूरों को नींद तो आ गई थी परंतु चैन नहीं था.

देखें वीडियो



मजदूरों ने बताया दर्द: यहां पर मजदूरों से ईटीवी ने बात की तो इन्होंने अपना दर्द बताया. डोली मजदूर संजय सोरेन, चंदन मूर्मू, रमेश हांसदा ने बताया कि यहां पर 8-10 हजार डोली मजदूर हैं. मजदूरों को यहां पर किसी प्रकार की सुविधा नहीं मिलती. मौसम से बचने के लिए कोई शेड भी नहीं है. उन्होंने बताया कि रात में मजदूर जहां-तहां सोते हैं, कहा कि न तो प्रशासन और न ही स्थानीय संस्था उनके लिए किसी प्रकार की व्यवस्था की है. संजय कहते हैं किपहले एक धर्मशाला था एक कचरा हो चुका है.

बाइक से भी पेट पर पड़ रही है लात: डोली मजदूर बताते हैं कि एक तरफ सर्द रात में उन्हें खुले आसमान के नीचे सोना पड़ रहा है, दूसरी तरफ बाइक चालक उनकी पेट पर लात मार रहे हैं. प्रतिबंध के बावजूद बाइक चालक यात्रियों को लेकर पर्वत पर जा रहे हैं. इनका कहना है कि लोकल प्रशासन भी उनकी शिकायत पर ध्यान नहीं देता.

कोठी प्रबंधन ने साधी चुप्पी: जिस मधुबन में कई लोग समाजसेवा के लिये जाने जाते हों वहां डोली मजदूरों की बदहाल स्थिति है तो सवाल व्यवस्था पर उठता ही है. इस विषय पर स्थानीय कई संस्था से प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किया हुआ लेकिन किसी में ऑन कैमरा कुछ भी नहीं बोला. साफ कहा कि वे कुछ बोलना ही नहीं चाहते.


DC ने कहा-जल्द मिलेगी उचित सुविधा: दूसरी तरफ गिरिडीह के डीसी नमन प्रियेश लकड़ा को पूरे मामले से अवगत कराया गया. डीसी ने इस विषय पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी. बताया कि डोली मजदूरों को सुविधा देने को लेकर वे लगातार प्रयासरत हैं. यह भी बताया कि इस विषय पर वरीय पदाधिकारियों से बात हुई है. वन विभाग, पर्यटन विभाग व जिला प्रशासन इस मामले पर समन्वय स्थापित कर चल रहे हैं.

Last Updated :Nov 26, 2022, 10:08 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.