झारखंड में टूटा आसमान से कहर, 24 घंटे में वज्रपात से 9 लोगों की मौत, 25 से अधिक झुलसे

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Published : Aug 1, 2022, 5:58 PM IST

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झारखंड में पिछले 24 घंटे में आसमान से कहर टूट पड़ा है. वज्रपात में यहां नौ लोगों की जान चली गई. इनमें से सबसे अधिक मौत पलामू में हुई है. इधर, झारखंड में साल दर साल वज्रपात में मरने वालों की संख्या बढ़ रही है.

दुमकाः पिछले 24 घंटे में झारखंड में आसमान का कहर टूट पड़ा है. विभिन्न जिलों में हो रही बारिश के बीच वज्रपात की घटनाएं हो रहीं हैं. वज्रापात की चपेट में आकर 24 घंटे में नौ लोगों की मौत हो चुकी है. इसके अलावा 25 से अधिक लोग झुलस गए हैं. झुलसे लोगों का विभिन्न जिलों के अस्पतालों में इलाज चल रहा है.

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बता दें दुमका के जरमुंडी थाना क्षेत्र के तिलवरिया गांव में सोमवार को वज्रपात हो गया. इस दौरान दानीनाथ मंदिर से पूजा कर लौट रही गांव के ही रहने वाले रवि मिस्त्री की पत्नी कैकेयी देवी चपेट में आ गईं. इस हादसे में कैकेयी देवी की मौत हो गई. इससे पहले बीते चौबीस घंटे में पलामू में तीन, धनबाद में दो और रामगढ़, चांडिल, मांडर में एक-एक व्यक्तियों को मिलाकर कुल आठ लोगों की मौत हो चुकी थी. इस तरह बीते 24 घंटे में झारखंड में वज्रपात से कुल नौ लोगों की जान जा चुकी है, जबकि हादसे में 25 से अधिक लोग झुलस चुके हैं.

धनबाद के परघा में शिव मंदिर परिसर में वज्रपातः सावन की तीसरे सोमवार पर धनबाद के आमझर पंचायत के परघा में प्राचीन राजवाड़ी मंदिर में महिलाएं पूजा के लिए पहुंची थीं. इस दौरान हो रही बारिश के बीच शिव मंदिर परिसर में वज्रपात हो गए, जिसकी चपेट में आकर महिलाएं और बच्चे झुलस गए. सभी को बलियापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया. वहीं इनमें से कई लोगों को SNMMCH में भर्ती कराया गया है. हादसे में पांच लोग झुलए गए इनमें से पांच लोगों की स्थिति गंभीर बताई जा रही है.

साल-दर साल बढ़ रही वज्रपात में मरने वालों की संख्याः बता दें कि झारखंड में वज्रपात से मरने वालों की संख्या साल दर साल बढ़ रही है. आपदा प्रबंधन विभाग से मिले आकंड़े के अनुसार वर्ष 2012 में 148, वर्ष 2013 में 159, 2014 में 144, 2015 में 210, वर्ष 2016 में 265, वर्ष 2017 में 256, वर्ष 2018 में 261, वर्ष 2019 में 283, वर्ष 2020 में 322, वर्ष 2021 में 343 और वर्ष 2022 में 27 जुलाई से पहले तक 57 लोगों की जान अलग-अलग जिलों में वज्रपात की वजह से जा चुकी है. पिछले 24 घंटे में मरने वाले 9 लोगों की संख्या इसमें जोड़ दें तो वर्ष 2022 में अब तक झारखंड में वज्रपात से मरने वालों की संख्या 66 से अधिक हो चुकी है, जबकि अभी मानसून सीजन बचा है.

झारखंड में क्यों ज्यादा होता है वज्रपातः भूगर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार झारखंड के गर्भ में बड़ी मात्रा में खनिज भरे हैं जो आसमान से गिरने वाली बिजली को आकर्षित करते हैं. इसके साथ-साथ पठारी क्षेत्र होने की वजह से भी पूरा झारखंड आसमानी बिजली गिरने के प्रभाव वाले क्षेत्र में आता है.

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आबादी वाले क्षेत्रों में तड़ित चालक लगाकर मौत की संख्या में लाई जा सकती है कमीः झारखंड में वज्रपात से मौत में कमी लाने के लिए मौसम विज्ञान विभाग की ओर से अलर्ट जारी किए जाते हैं और बारिश से पहले लोगों को घरों में रहने की सलाह दी जाती है. इसके बावजूद हादसे हो रहे हैं. इसके अलावा आबादी वाले क्षेत्रों में तड़ित चालक लगाया जाय तो मौत की संख्या में कमी लाई जा सकती है. बशर्ते इसके लिए सरकारी इच्छाशक्ति दिखाई जाए.

तड़ित चालक क्या हैः तड़ित चालक (Lightening rod or lightening conductor) धातु की एक छड़ होती है यानी सुचालक क्षण. इसे ऊंचे भवनों की छत पर आकाशीय बिजली से बचाव के लिए लगाया जाता है. तड़ित चालक का ऊपरी सिरा नुकीला होता है और इसे भवनों के सबसे ऊपरी हिस्से में जड़ दिया जाता है और तांबे के तार से जोड़कर नीचे लाकर धरती में गाड़ दिया जाता है और आखिरी सिरे पर कोयला और नमक मिलाकर रख दिया जाता है. जब बिजली इससे टकराती है तो तार के सहारे यह जमीन के अंदर चली जाती है.

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