आरटीई के तहत पर्याप्त एडमिशन नहीं लेने का मामला, विभाग ने चिन्मय विद्यालय प्रबंधन को नोटिस भेज कर मांगा जवाब

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Published : Nov 28, 2022, 5:33 PM IST

Notice to Chinmaya Vidyalaya

आरटीई के तहत आरक्षित सीटों पर पर्याप्त एडमिशन नहीं लेने पर शहर के चिन्मय विद्यालय के खिलाफ शिक्षा विभाग ने कड़ा रुख अपनाया है. विभाग ने विद्यालय प्रबंधन को नोटिस भेजकर (Notice to Chinmaya Vidyalaya) स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है.

बोकारो: जिला शिक्षा विभाग ने आरटीई के तहत आरक्षित सीटों पर पर्याप्त एडमिशन नहीं लेने पर शहर के प्रमुख स्कूल चिन्मय विद्यालय के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया (Education Department Tough Stance) है. शिक्षा विभाग द्वारा तीन कारण बताओ नोटिस जारी करने के बावजूद चिन्मय विद्यालय ने सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी है.

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चिन्मय विद्यालय में तीन वर्षों से आरटीई कोटे की अधिकतर सीटें खालीः बताते चलें कि तीन वर्षों से चिन्मय विद्यालय में आरटीई कोटे की अधिकतर सीटें खाली हैं. अनुशंसा के बावजूद चिन्मया मिशन द्वारा संचालित चिन्मया विद्यालय आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के एडमिशन में आनाकानी कर रहा है. चिन्मय के अलावा बोकारो इस्पात विद्यालय, सरस्वती विद्या मंदिर, डीएवी पब्लिक स्कूल-सेक्टर 6 सहित कुछ अन्य स्कूलों में इस वर्ष आरटीई (Right To Education ) के दाखिले न के बराबर हुए हैं.


डीपीएस और श्री अय्यप्पा पब्लिक स्कूल की स्थिति बेहतरः आरटीई के तहत स्कूलों को समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से एक निश्चित संख्या में छात्रों का नामांकन करना होता है. शहर के प्रसिद्ध दिल्ली पब्लिक स्कूल बोकारो और श्री अय्यप्पा पब्लिक स्कूल ने आरटीई कोटे की सभी सीटों पर प्रवेश लिया है.

शिक्षा विभाग के निदेशक को लिखा गया पत्रः इस संबंध में डीएसई सह नोडल अधिकारी आरटीई प्रकोष्ठ मोहम्मद नूर आलम खान ने कहा कि चिन्मय विद्यालय में पिछले वर्ष तीन साल से आरटीई कोटे की अधिकतर सीटें खाली (Most of The RTE Quota Seats are Vacant) हैं. झारखंड के प्राथमिक शिक्षा विभाग के निदेशक को पत्र भेज कर चिन्मय विद्यालय के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है. उन्होंने कहा कि आरटीई कोटे के तहत सीट उपलब्ध होने के बावजूद चिन्मया प्रबंधन सामर्थ्य संख्या से काफी कम बच्चों का प्रवेश ले रहा है. जब शहर के डीपीएस और अय्यप्पा जैसे अधिकतर स्कूल आरटीई के तहत पूरी सीटों पर बच्चों का एडमिशन ले रहे है तो चिन्मया को क्या दिक्कत है, यह समझ से परे है.

25 प्रतिशत कमजोर वर्ग के बच्चों का प्रवेश लेना अनिवार्यः डीएसई (District Superintendent of Education) ने कहा कि आरटीई अधिनियम के तहत प्रत्येक निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूल को प्राइमरी कक्षा में अपने सामर्थ्य संख्या का कम से कम 25 प्रतिशत कमजोर वर्ग के बच्चों का प्रवेश लेना अनिवार्य है. जिला प्रशासन ने आरटीई प्रवेशों की निगरानी के लिए आरटीई सेल का भी गठन किया है. बावजूद इसके चिन्मया विद्यालय आरटीई के तहत सीटों में छह किलोमीटर के दायरे में रहने वाले कमजोर वर्ग के छात्रों का प्रवेश नहीं ले रहा है.


विभाग की सिफारिश के बावजूद नहीं लिया दाखिलाः डीएसई ने कहा कि चिन्मय विद्यालय को सत्र 2022-23 में आरटीई के तहत 60 सीटें मिली हैं. जिनमें से 39 सीटें खाली पड़ी हैं. डीएसई कार्यालय ने कमजोर वर्ग के कुछ छात्रों का आरटीई के तहत एडमिशन की सिफारिश चिन्मय विद्यालय से की थी, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने उनका प्रवेश नहीं लिया. पिछले साल 2021-22 में आरटीई के तहत उपलब्ध 66 सीटों में से चिन्मय विद्यालय ने केवल 10 सीटें भरी. वहीं 2020-21 में आरटीई के तहत चिन्मया की 50 सीटें खाली थीं.

40 स्कूलों में 528 सीटें आरटीई कोटा के तहत आरक्षितः जिले के 40 स्कूलों में प्राइमरी कक्षा में 2089 सीटें हैं. इसमें से 528 सीटें आरटीई कोटा के लिए आरक्षित हैं. जिसमें 309 छात्रों ने इस वर्ष प्रवेश लिया है. आरटीई कोटे के तहत स्कूलों में दाखिले की संख्या घोषित सीटों की तुलना में महज 58 फीसदी है.

बोकारो इस्पात विद्यालय और सरस्वती विद्या मंदिर ने आरटीई कोटे में एक भी प्रवेश नहीं लियाः बोकारो टाउनशिप अपने अच्छे शिक्षा के माहौल के लिए जाना जाता है. बोकारो इस्पात विद्यालय और सरस्वती विद्या मंदिर ने आरटीई कोटे में एक भी प्रवेश नहीं लिया है. जबकि डीएवी पब्लिक स्कूल-सेक्टर 6 ने केवल एक ही प्रवेश लिया है.

मई 2022 को डीएसई कार्यालय निजी स्कूलों को पत्र लिखा थाः यहां उल्लेखनीय है कि मई 2022 को डीएसई कार्यालय ने जिले के सभी निजी स्कूलों को पत्र भेजकर आरटीई कोटे के तहत अपने-अपने संस्थानों में पिछले साल से खाली पड़ी सीटों की संख्या का विवरण देने को कहा था. पूर्व डीएसई ने राज्य के शिक्षा विभाग के निर्देश पर जांच के लिए निजी स्कूलों के नामांकन रजिस्टर मांगा था. जो खाली पड़ी आरटीई कोटा सीटों का मूल्यांकन करने और स्कूलों द्वारा उसमें सामान्य वर्ग के बच्चों को भरने के लिए अपनाई गई थी. गरीब बच्चों के आरटीई में नामांकन को लेकर स्थिति स्पष्ट करने के लिए स्कूल रजिस्टर की समीक्षा की गई. बहाना बनाकर गरीब बच्चों को स्वीकार करने से इनकार करने वाले निजी स्कूलों ने अपना पक्ष स्पष्ट किया था. इस कवायद के बावजूद बोकारो के स्कूलों में आरटीई के तहत सीटें खाली रहीं.

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