PM-JAY का नाम बदलने पर झारखंड में गरमाई राजनीति, वार-पलटवार का सिलसिला जारी

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Published : Sep 28, 2021, 10:29 AM IST

Updated : Sep 28, 2021, 5:23 PM IST

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झारखंड में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का नाम बदलकर मुख्यमंत्री जन आरोग्य कर दिया गया है. इस पर प्रदेश की राजनीति गर्म है. पक्ष-विपक्ष इसे लेकर एक दूसरे पर वार-पलटवार कर रहे हैं.

रांचीः विश्व की जिस सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड की धरती से की थी. उस आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का नाम झारखंड में बदल कर मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना कर देने पर सूबे की राजनीति गरमा गई हैं. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने इसे केंद्र और प्रधानमंत्री की योजना की चोरी करने तक का आरोप कांग्रेस-झामुमो पर लगाया है.

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आरोप पर सत्ता पक्ष का पलटवार

बीजेपी के आरोप पर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने नाम बदलने की वजह बताते हुए कहा कि अब ऐसा नहीं चलेगा कि माल महाराज के और मिर्जा खेले होली. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अब राज्य में यह नहीं चलेगा. वहीं झामुमो ने कहा कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है. ऐसे में कैसे योजना को पीएम के भरोसे छोड़ दें. झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा बहुत ज्यादा नाम बदलने में विश्वास रखती है. हमने एक नाम बदल दिया तो खलबली क्यों मची है.

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क्या है जन आरोग्य योजना का मामला

झारखंड सरकार ने आयुष्मान भारत-PM JAY का नाम बदलकर आयुष्मान भारत-मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना कर दिया है. सरकार की ओर से जगह-जगह बैनर और होर्डिंग लगाकर इसका प्रचार प्रसार भी किया जा रहा है. आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की जगह अब आयुष्मान भारत- मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना बताई गई है. इस योजना के तहत गरीब परिवार को हर साल 05 लाख रुपये तक के इलाज की सुविधा सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में दी जाती है.

23 सितंबर 2018 को पीएम मोदी ने रांची से ही किया था विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना का शुभारंभ

2018 में 23 सितम्बर को रांची के प्रभात तारा मैदान से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के अंतर्गत राज्य में अंत्योदय के तहत आने वाले करीब 29 लाख परिवार के सभी सदस्यों को हर वर्ष 05 लाख तक के इलाज मुफ्त करने की बीमा कराई थी. उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य के वैसे करीब 28 लाख से अधिक परिवार जो अंत्योदय में तो नहीं है पर गरीब हैं और उनके पास कार्ड है. उन्हें भी इसमें अपने खर्च पर जोड़ा था और इस तरह राज्य में 57.17 लाख परिवार के करीब ढाई करोड़ की आबादी इस योजना से आच्छादित थी. अब इसी योजना से प्रधानमंत्री शब्द हटाकर मुख्यमंत्री शब्द को जोड़ दिया गया है तो उसके लिए स्वास्थ्य मंत्री की अपनी दलील भी है.

क्या है स्वास्थ्य मंत्री की दलील

राज्य में PM JAY की जगह MM JAY यानि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की जगह मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना करने की वजह बताते हुए स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि इस योजना में केंद्र की सरकार सिर्फ अंत्योदय वाले परिवार के स्वास्थ्य बीमा की प्रीमियम राशि का 60% देती है. जबकि इसका 40 % राज्य सरकार खर्च करती है. वहीं 57.17 लाख में से करीब 28.17 लाख ऐसे परिवार जो अंत्योदय में नहीं हैं पर गरीब हैं. उनकी बीमा की राशि का 100% प्रीमियम झारखंड सरकार खर्च करती है ऐसे में पूरी बीमा राशि का ज्यादातर पैसा झारखंड सरकार वहन करती है तो कैसे नाम प्रधानमंत्री के नाम पर होगा. उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार में ऐसा नहीं चलेगा कि माल महाराज का हो और मिर्जा होली खेले.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने की तीखी टिप्पणी

प्रधानमंत्री के नाम पर शुरू स्वास्थ्य बीमा योजना का नाम बदल कर मुख्यमंत्री के नाम पर कर देने को योजना की चोरी बताते हुए भाजपा सांसद और झारखंड प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कि इस सरकार में अपनी कोई योजना लाने का माद्दा नहीं है. इसलिए आज पूरा देश झारखंड पर हंस रहा है. आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना को पीएम मोदी की योजना बताते हुए दीपक प्रकाश ने कहा कि झारखंड सरकार उस कहावत जैसा कर रही है कि कमा के लाये कोई और नाम किसी और का.

स्वास्थ्य राज्य का विषयः जेएमएम

झामुमो के केंद्रीय महा सचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि भारत में स्वास्थ्य राज्य का विषय है. ऐसे में कोई योजना पीएम के नाम की जगह सीएम के नाम पर हो गयी तो गलत क्या है. झामुमो नेता ने भाजपा पर चुटकी लेते हुए कहा कि भाजपा खुद नाम बदलने में माहिर है. ऐसे में एक योजना का नाम बदल भी गया तो इतनी हाय तौबा ठीक नहीं.

रांची से ही पीएम ने की थी शुरूआत

रांची में 23 सितंबर 2018 को पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) लॉन्च किया था. इसके तहत करीब 50 करोड़ से अधिक लोगों को सालाना 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा मिलती है. इस योजना से सरकारी और प्राइवेट दोनों अस्पतालों को जोड़ा गया.

Last Updated :Sep 28, 2021, 5:23 PM IST
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