ट्रैफिकिंग की शिकार बच्चे पहुंचे रांची, आपबीती सुनकर चौंक जाएंगे आप

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Published : Jul 9, 2021, 6:51 PM IST

Updated : Jul 9, 2021, 10:41 PM IST

human trafficking

दिल्ली में झारखंड की जिन 26 बच्चों को बचाया गया था वे रांची पहुंच चुके हैं. मानव तस्करी के शिकार इनमें से कई बच्चे ऐसे हैं जिन्हें अपनों ने ही धोखा दिया और नर्क में झोंक दिया. इन बच्चों ने बताया कि इनके साथ ना सिर्फ शारिरिक शोषण किया जाता था बल्कि मारपीट भी की जाती थी.

रांची: ट्रैफिकिंग की शिकार झारखंड की 26 बच्चे दिल्ली से शुक्रवार को रांची पहुंचे. गरीब रथ से रांची जंक्शन पहुंची इन बच्चों का स्वागत फूलों का गुलदस्ता देकर किया गया. ये सभी बच्चे साहिबगंज, पश्चिमी सिंहभूम, गुमला, धनबाद, सिमडेगा और बोकारो जिले की हैं. इन्हें काम दिलाने के बहाने दिल्ली ले जाकर बेच दिया गया था. रांची पहुंचने के बाद सभी बच्चों की कोविड जांच कराकर उन्हें अपने घर भेजा गया.

ट्रैफिकिंग में जीजा ने साली को बनाया शिकार
मानव तस्करी के इस खेल में अधिकांश बच्चे अपनों का ही शिकार हुए. रांची जंक्शन पहुंची एक बच्ची ने बताया कि उसे जीजा ने दिल्ली में काम दिलाने के भेजा था. जहां दलालों के हाथों वो बिकती रही. इस दौरान ना केवल उसका शारिरिक शोषण हुआ बल्कि उसे मारा पीटा जाता था. घर की चार दीवारी के अंदर बंद रखा जाता था. जब इसकी सूचना बाल कल्याण संघ और दिल्ली पुलिस को मिली तो उसे रेस्कयू किया गया.

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दिल्ली के अलग-अलग जगहों से बच्चे कराए गए मुक्त

झारखंड सरकार के सहयोग से बाल कल्याण संघ रांची द्वारा संचालित एकीकृत पुनर्वास संसाधन केंद्र ने दिल्ली के विभिन्न स्थानों से इन बच्चों को मुक्त कराया. बालक-बालिकाओं में बोकारो के 01, धनबाद के 01, गुमला के 8, साहिबगंज के 8, सिमडेगा के 01, पश्चिम सिंहभूम के 5 बच्चे शामिल हैं. इससे पहले जुलाई में ही 21बच्चों को मुक्त कराकर उनके परिजनों को सौंपा गया था. इस तरह जुलाई में कुल 47 बच्चों को मानव तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया जा चुका है.

मानव तस्करी रोकना एक बड़ी चुनौती
राज्य सरकार के लिए ह्यूमन ट्रैफिकिंग रोकना एक बड़ी चुनौती है. सिमडेगा, खूंटी, गुमला, चाईबासा जैसे जिलों की गरीब आदिवासी परिवार की बच्चियों को काम दिलाने के नाम पर दिल्ली एवं अन्य शहरों में भेज दिया जाता है. जहां उन्हें प्रताड़ित किया जाता है. बाल कल्याण संघ के अध्यक्ष संजय मिश्र की मानें तो ऐसी बच्चियों के पुर्नवास की व्यवस्था जरूर होनी चाहिए नहीं तो ये फिर ट्रैफिकिंग की शिकार हो जाएंगी. वहीं बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष रानी ने चिंता जताते हुए कहा कि आखिर कैसे ये बच्चियां दिल्ली तक पहुंची और इसके लिए दोषी कौन हैं इसे चिंहित करना होगा.

सीएम के आदेश के बाद नतीजे आ रहे सामने

मुख्यमंत्री के पद पर बैठने के पांच सप्ताह बाद ही हेमंत सोरेन(Hemant Soren) ने सभी जिलों के उपायुक्तों को निर्देश दिया था कि मानव तस्करों(Human Trafficking) के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. इसका नतीजा भी सामने आने लगा है. पुलिस की कार्रवाई के बाद अब तक कई बच्चों को बचाया जा चुका है. 7 नवंबर 2020 को 45 लड़कियों को बचाया गया और उन्हें दिल्ली से एयरलिफ्ट(Airlift) किया गया. फरवरी 2021 में दिल्ली से 12 लड़कियों और दो लड़कों सहित 14 नाबालिगों को छुड़ाया गया. इन लड़कियों को रोजगार के बहाने हायरिंग एजेंसियों के जरिए दिल्ली ले जाया गया था. 24 जून 2021 को पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई में रांची रेलवे स्टेशन और बिरसा मुंडा हवाई अड्डे से लगभग 30 नाबालिग लड़कियों और लड़कों को सफलतापूर्वक रेस्क्यू(rescue) किया गया. इन सभी को तस्करी कर दिल्ली ले जाया जा रहा था.

Last Updated :Jul 9, 2021, 10:41 PM IST
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